प्रतीक्षा
तुम्हारे आने की प्रतीक्षा और बेसब्री,
एक-एक दिन गिन-गिनकर कटता है।
*
उतावलापन और बढ़ती प्रतीक्षा,
कितनी बेचैनी कितनी उत्सुकता।
*
अपार हर्ष और खुशियाँ अपने अंतस में,
पुलकित हृदय प्रतीक्षा में रत्।
*
न जाने कितने ख्वाब हैं आखों में,
कितनी बातें हैं मन में ।
*
कितनी आशायें जग उठती हैं,
कितनी तमन्नाये और अपेक्षाऐ।
*
हर घड़ी मन प्रतीक्षा में रत्,
हलचल बेसब्री और प्रतीक्षा।।
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com