Vichardhara by nandini laheja
September 29, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
विचारधारा
अनगिनत विचारों की धारा में, नित बहता जाता यह जीवन है।
पल भी यह ना चैन पाता,विचारों में मग्न रहता अपना जीवन है।
कभी विचारधारा हमारी, हमें मंजिल तरफ ले जाती है।
दिखलाती सही मार्ग हमें , सफलता भी दिलाती है।
तो कभी कई विचार, मन को व्यथित बड़ा है कर देते।
क्या सही क्या है गलत, चाहकर भी ना समझ पाते।
गर कभी ऐसा, ध्वंद विचारों का, तुझे सताता है।
नयन मूँद, कर ध्यान ईश का, वही सही राह दिखता है।
माना सभी को अपने विचारों को, सम्मुख लाने का अधिकार है।
पर एक होगी विचार धारा, सभी की यह सोचना बेकार है।
पर परिवार, समाज या फिर राष्ट्र हित में,
हर आयु,वर्ग,जाति, की विचार धारा को, मिलना चाहिए उचित सम्मान।
तभी आपसी प्रेम व् सौहार्द बढ़ेगा, ना होगा किसी का अपमान।
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक
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