उम्र भर रोटियाँ सेंकी...!!!
उम्र भर रोटियाँ सेंकी हमनें ,
हाथ जले तो असावधानी हमारी है।
लॉट के लॉट बर्तन धोये हमनें ,
तुमनें अपनें प्लेट धोये तो मेहरबानीं तुम्हारी है।
घर बाहर में सामंजस्य बनाया हमनें,
औलादें बिगड़ीं तो जिम्मेदारी हमारी है ।
रिश्तों को खूबसूरती से नवाज़ा हमनें ,
तारीफ़ हुई तो हिस्सेदारी तुम्हारी है ।
श्रृंगार भी तुम्हारा और शौक भी तुम्हारी,
रहा या गया ये किस्मत हमारी है।
हरण हो या अपहरण या जुए का खेल,
बैठे दाव खेले ये दावेदारी तुम्हारी है ।
एक उम्मीद से सुनते आए तुमको ,
मुश्किल में खड़े मिलोगे इतनी सी आवाज हमारी है ।
इस "विजय" की आवाज क्षितिज के पार तक जानी चाहिए,
सही मायने में ये कारीगरी तुम्हारी है ।
बेटी बहनों के आँखों में दर्द बहुत है ,
मेकअप से छुपते है ये हौसले हमारे हैं ।
क्या बदला हैअब तक पोस्टर के सिवा...?
कुछ नहीं हो सकता ख़ौफ़ तुम्हारे हैं ...!!!
कुछ बदलना चाहते हो तो सोच बदलो,
मजाक बनता है तो रूह काँप जाती है ये जज्बात हमारे है।
भरी महफ़िल में खैर पूछ लेते है तुम्हारी,
हम तेरे लोगों में खड़े हो जाये तो धज्जियां उड़ाई है।
तुम्हारे लिए रोज पकवान बनाये हमनें,
बुख़ार आने पर तुमनें बनाये तो परेशानी तुम्हारी है।
उम्र भर रोटियाँ सेंकी हमनें ।
हाथ जले तो असावधानी हमारी है ।।
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