शिक्षक तेरी कहानी
गुरू का दर्जा सबसे ऊंचा
कहलाते हैं राष्ट्र निर्माता
शिष्योंके हैं भाग्य विधाता
उनके शरण में जो आता
सर आंखों पर उन्हें बिठाता
कर्मवीर का पाठ पढ़ाता
आलस को कोसों दूर भगाता
लेता है जो गुरू से ग्यान
बन जाता है वो महान
बुद्धि विवेक पहले आ जाती
जग में रहना है सिखलाती
अपना चूल्हा चाहे रोता है
फिर भी शिक्षा देता है
सरकार हमारी है अच्छी
ससमय वेतन नहीं देती
हर काम इनसे ही लेती
गुरू की खाली हो जब पेट
शिक्षा की महल बनेगी रेत
धूमिल होगी इनकी पहचान
कैसे हो जन-जन का कल्याण
जहां गुरू की होगी अवहेलना
कैसे संवरेगी ग्यान की गहना।
स्व रचित
डॉ.इन्दु कुमारी
हिन्दी विभाग
मधेपुरा बिहार
852113
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