Pramanikta by Jay Shree birmi
September 30, 2021 ・0 comments ・Topic: Aalekh lekh
प्रामाणिकता
भ्रष्टाचार और अप्रमाणिकता सुसंगत नहीं हैं।भ्रष्टाचारी भी उसको रिश्वत देने वाले की ओर प्रमाणिक हो सकता हैं, तभी वह किसी का भी कोई काम अपने हक के दायरे से बाहर जाके भी करे वो भी कोई धन या रिश्वत की लालच से तो उसे भ्रष्टाचार ही कहेंगे क्योंकि वह अपने पद का अनुचित फायदा उठा कर करते हैं।
भ्रष्टाचार एक संगठित प्रक्रिया हैं,एक सिस्टेमिक प्रक्रिया हैं।
अपने उपर वाला या सबसे उपर वाला नेता या अधिकारी हर जगह अपना आदमी रख जासूसी करवाते हैं,कौन से डिपार्टमेंट से कौनसा काम मंजूर हुआ और किसका काम मंजूर हुआ।किसने सरकारी ज़मीन के आवंटन के लिए अर्जी दी,कौन से कोटे से किसको क्या क्या मिला सब हिसाब रखा जाता हैं।
बाद में काम की कीमत का आकलन होता हैं और उसमें कितना कट मनी मिल सकता हैं? उसका भी लेखा जोखा लिया जाता हैं।
हर लेवल पर सब के हिस्से होते हैं,जितना लेवल ऊंचा परसेंटेज ज्यादा होता हैं।
ऐसे में भ्रष्टाचार में भी प्रामाणिकता से कार्य होता दिखता हैं।
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