Hunkar rasvanti ke praneta by Dr. indu kumari

 हुंकार रसवंती के प्रणेता

Hunkar rasvanti ke praneta by Dr. indu kumari


पैनी दृष्टि पहुँची पहले ऐसे थे रवि

कालजयी रचनाएं धूमिल न होगी

चमके चाँद सितारे मलिन न होगी

साहित्य जगत के जीवंत हस्ताक्षर

इनकी ना मिटने वाली शब्दाक्षर है

अंग्रेज भी कांपते  कलम हुंकार से

गूंजती भारतभूमि जयजयकार से

सत्त में संकोच न धरते अपनों' से

हुई चीन से हा सिर झुके घूटनों में

बिहार के बागों के दिनकर लाल

टैगौर गाँधी मा्र्क्स रूप इकबाल

जन कवि का दर्जा सहज मिले

माटी की सुगंध सर्वत्र है  फैले

राष्ट्रभक्ति बसी थी नस-नस में

फिजाएं आहत थी तन मन में

समाज में चेतना का अलख 

जगाया रसवंती का कर संचार

प्रेम सौहार्द का भंगिमा फैलाया

ऐसे स्नेही विरले ओजी सपूत

दिनकर जयंती पर सादर नमन


      स्व रचित

डॉ.इन्दु कुमारी

              हिन्दी विभाग

               मधेपुरा बिहार

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