हिन्दी दिवस पर दो शब्द...!!
14/09/2021
भाषा विशेष के अर्थ में --हिंदुस्तान की भाषा हिन्दी हमारी राष्ट्र भाषा है । हिंदी शब्द का सम्बन्ध संस्कृत शब्द सिंधु से माना जाता है सिन्धु सिंध नदी को कहते थे उसी आधार पर उसके आस -पास की भूमि को सिंध कहने लगे । यह सिंधु शब्द ईरानी में जाकर हिन्दू , हिन्दी और फिर हिन्द हो गया । वस्तुतः ईरानी भाषा में 'स' का उच्चारण 'ह' किया जाता है अतः कालान्तर में सिंध से हिन्द हो गया ,हिन्द शब्द सम्पूर्ण भारत का पर्याय बनकर उभरा और इसी हिन्द से हिन्दी शब्द बना ।
हिंदी भाषा की लिपि (देवनागरी) विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक लिपि है इसमें प्रत्येक ध्वनि के लिए एक निश्चित लिपि चिन्ह का प्रयोग होता है और एक लिपि चिन्ह एक ही ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है ।
सामान्यतः भाषा को वैचारिक आदान -प्रदान का माध्यम कहा जाता है ,भाषा अभिव्यक्ति का सर्वाधिक विश्वशनीय माध्यम है यही नहीं यह हमारे समाज के निर्माण , विकास ,अस्मिता ,सामाजिक व सांस्कृतिक पहचान का भी महत्व पूर्ण साधन है ।मनुष्य को सभ्य व पूर्ण बनाने के लिए शिक्षा जरूरी है सभी प्रकार की शिक्षा का माध्यम भाषा ही है जो हमारी हिंदी भाषा में कुशलता पूर्वक निहित है।
हमारी हिन्दी मजबूत ,सरल ,सुबोध ,गौरव मयि एवं समृद्ध भाषा है ,इसमें अन्य सभी भाषाओं को समाहित करनें की क्षमता है ,जो अनेकता में एकता का एकमात्र उदाहरण है । हिन्दी वह भाषा है जो "पानी में चीनी" की भाँति घुलकर भी रंग नहीं बदलती बल्कि पहले से और अधिक मीठी हो जाती है जब दूसरी अन्य भाषाओं को अपनें में समेटती है ।
राष्ट्र भाषा हिन्दी के विषय में भारतेंदु हरिश्चंद्र जी नें कहा है ----
निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल ।
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को शूल।।
अतः गर्व से कहें हम हिन्दी भाषी हैं हिन्दी हमारा गौरव है ।
विजय लक्ष्मी पाण्डेय
एम. ए., बी.एड.(हिन्दी)
आजमगढ़, उत्तर प्रदेश
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