Har dushkarm ke bad by Jitendra Kabir
September 30, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
हर दुष्कर्म के बाद
भूल जायेंगे
लोग इन बर्बर घटनाओं को,
जो नहीं भुला पाएंगे
वो बहला लेंगे खुद को
झूठा दिलासा दे कर,
कि उसकी तो किस्मत ही
खराब थी,
कि उसका तो चरित्र ही
खराब होगा,
कि उसको पूर्वजन्मों के बुरे कर्मों
की सजा मिली होगी,
कि क्या पता सारा मामला राजनीति
से प्रेरित हो,
असल में यह सरकार को
बदनाम करने का षड़यंत्र मात्र हो,
कि ऐसी हैवानियत हमारे साथ कभी
नहीं हो सकती क्योंकि हम ईश्वर के
परम भक्त हैं,
इन तर्कों के साथ मन - बहलाव करते
कुछ घंटे या कुछ दिन बीतते न बीतते
देश के किसी और हिस्से से ऐसी हैवानियत
की खबर आएगी,
और एक बार फिर हमारे ऊपर डर हावी
होगा,
हुक्मरान फिर से अपने विरुद्ध षड़यंत्र का
आरोप विरोधियों पर लगाएंगे,
फिर से सारा सरकारी तंत्र, मीडिया सत्ता की
नाकामी पर पर्दा डालने लग जाएंगे,
फिर से सरकार के पिट्ठू देशभक्ति के नाम पर
जुबान पर ताले लगाएंगे,
और ज्यादातर जनता अपनी खैर मनाते हुए
कुछ दिन के लिए न्यूज चैनल देखना, अखबार
पढ़ना छोड़ देगी,
बिल्कुल दड़बे में कैद मुर्गे-मुर्गियों की तरह
दार्शनिक बनते हुए,
ताकि इस 'रामराज्य' में कुछ पल तो सुकून के मिलें
सिर काटे जाने से पहले।
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