Anath tere bin by Indu kumari
September 04, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
श्री कृष्ण जन्मोत्सव
अनाथ तेरे बिन
आधी रात को जन्म भये
कारावास का खुले वज्र कपाट
दैत्य प्रहरी सो गए ऐसे
रह गए शून्य सपाट
भादौ की कालिमा रातों में
सूझै न हाथों को हाथ
मूसलाधार बरस रहे ऐसे
खुशियों की आयी सौगात
बिजली चमक रही चमचम
मेघा गरज रहे है डमडम
हो गए प्रिय का आगमन
प्रकृति कर रहे हैं स्वागत
झुूमती है चारो दिशाएं
भक्तों की जगी आशाएं
यमुना जी उमड़ पडी़ है
कब आएंगे नाथ हमारे
शेषनाग छतरी बनने को
आकुल-व्याकुल हो रहे
सबके नैनों के तारे कान्हा
बि खे रे मंद -मंद मुस्कान
बेफिक्र हो जाओ प्यारे
कर जोड़ करें गुणगान
सब पर होगी प्रेम बारिश
हम अनाथ हैं तेरे बिन
स्व रचित
डॉ.इन्दु कुमारी
हिन्दी विभाग
मधेपुरा बिहार
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