Soch kar dekho by Jitendra Kabeer
August 22, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
सोच कर देखो
दो महत्वपूर्ण काम
राजनीति और अध्यात्म,
जो दशा और दिशा
तय करते हैं
किसी भी राष्ट्र और समाज की,
छोड़ दिये हैं हमने...
अवसरवादियों, बाहुबलियों,
चाटूकारों, सनकियों,
ठगों, बेइमानों और अनपढ़ों
के हवाले,
अध्यात्म में अंधभक्ति पर जोर
और राजनीति में अपराध का बोलबाला
नतीजा है इसका।
जितेंद्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com
If you can't commemt, try using Chrome instead.