स्क्रैप पॉलिसी
देश में प्रदूषण कम करने के लिए सरकार कई दिशाओं में काम कर रही हैं,जिसमे से प्रमुख हैं स्क्रैप पॉलिसी। इसके अंतर्गत पहले तो बीज चलित वाहनों को प्रोत्साहन मिले ऐसे कदम उठाने पड़ेंगे।जिसमे उनको चार्ज करने के लिए चार्जिंग स्टेशन हर जगह उपलब्ध रहे और शॉर्टेज न हो।जैसे ऑटो रिक्शा को CNG बनाया था तो शुरू शुरू में काफी दिक्कतें आई थी,ऑटो रिक्शा दूसरे वाहनों से कम थे इसलिए इंतजाम हो गया,लेकिन इस बार ज्यादा एहतियात की जरूरत पड़ेगी।
दूसरे कबाड़ में आए वाहनों का निकाल करना ,एक सुनियोजित तरीके से करने का आयोजन करना पड़ेगा वरना जगह जगह पुलिस स्टेशन के बाहर जैसे कबाड़ वाहनों के दृश्य होते हैं वैसी परिस्थितियां पैदा हो जायेगी।
यह कानून २०२३ से अमल में आयेंगे जिसमें १५ साल या उससे पुराने कमर्शियल वाहनों को स्क्रैपिंग का अमल होगा और २०२४ से वयक्तिक उपयोग में लिए जाने वालें वाहनों के लिए स्क्रैपिंग का कानून अमल में आ जायेगा।जिसे वोलेंटरी व्हीकल फ्लीट मोड़नाइजेशन प्रोग्राम नाम दिया हैं जिसेसे अर्थतंत्र को वेग मिलेगा और प्रदूषण पर नियंत्रित रहेगा।ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्ट में पास नहीं होने वाले वाहनों को डी रजिस्टर्ड कर रास्तों पर चलाने से बाध्य किया जाएगा ।उन्हे स्क्रैप करने के विकल्प प्राप्त होंगे।और जो उत्तीर्ण होंगे उन्हें रजिस्टर किया जाएगा और रोड टैक्स के अलावा ग्रीन टैक्स भी भरना होगा।
केंद्र के अलावा राज्यों को भी सहकार देना पड़ेगा इस कानून को अमल में लाने के लिए।अभी अपने राज्यों में इतने स्क्रैप सेंटर नहीं हैं जहां हजारों वाहनों को स्क्रैप कर सके।ऑटोमेटेड फिटनेस की चकास ने के लिए भी काफी सेंटर्स को खोलना होगा,और वे राज्य सरकारों के अधीन होंगे तो उसको कौन से डिपार्टमेंट को सुप्रद किया जाएगा ये सभी प्रश्न अभी अनुत्तरीय हैं।बहुत ही बड़ी जगह चाहिए होंगी जहां हजारों गाडियां पार्क हो सके और जो स्क्रैप होगा उसका भी भंडारण की व्यवस्था करनी होगी।उनकी सख्या अंदाजन ७१८ की जरूरत होगी ऐसा माना जाता हैं।
अंदाजन बीस साल पुराने लाइट व्हीकल और १५ साल पुराने हैवी वेहिकलों की संख्या ३४ लाख वाहन आज देश में दौड़ रहे हैं।इन वाहनों को उद्देश्य से ग्राहकों को जागृत करना पड़ेगा।
हवा के प्रदूषण में जितना प्रमाण कार्बन का हैं उसमें १३ % कार्बन वाहनों द्वारा नित्सर्गित हैं।आगे २० से ३० तीस सालों में जो वाहन रास्ते पर आयेंगे वह भी पर्यावरण को और प्रदूषित करेंगे तो कार्बन का हवा में परिमाण और बढ़ेगा,भयंकर प्रमाण जो लोगों की जिंदगीयों को तो एक खतरनाक मोड़ पर ला के रख देगा।ग्लोबल वार्मिंग भी खतरनाक स्तर पर पहुंच जाएगा।
अपने देश के ६०%से ज्यादा मालसमान और ८५% यात्री रोड परिवहन से होती हैं ,इसलिए ये योजनाओं के कार्यान्वित होने से पर्यावरण थोड़ा शुद्ध हो जायेगा और बहुत सारे फायदे होंगे,ओजोन लेयर जो फट रहा हैं वो कम हो जायेगा,जो हरियाली कम हो रही हैं वह बच जायेगी। द्वि चक्री और त्रिचक्री विज वाहनों के लिए आज कल लोगो का झुकाव हो रहा हैं।
विज वाहन के उपयोग को प्रचलित करने के लिए वाजिब किमत से उपलब्ध करवाने के साथ साथ,आयती चीजों पर आयती कर को भी कम करना होगा या निशुल्क करना पड़ेगा।
इसके अलावा विज उत्पादन को बढ़ाना पड़ेगा जैसेसे पावर सेक्टर का विकास अत्यंत आवश्यक हो जायेगा।पावर के उत्पाद के लिए कोयले जैसे पारंपरिक ईंधन के उपयोग से प्रदूषण बढ़ेगा तो उसका भी ठीक विकल्प ढूंढना होगा।
बड़े वाहनों को विज से लंबे सफर की लिए दिक्कतें आ सकते हैं तो उन्हें एल. एन. जी. ज्यादा उचित रहेगा।
इस पॉलिसी के अलावा मालसमन को रेलवे द्वारा भेजा जाए और यात्री वाहनों की संख्या को नियंत्रण में लाने के लिए सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करना अवकार्य हैं।
जयश्री बिरमी
निवृत्त शिक्षिका
अहमदाबाद
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