Sangharsh akela hota hai by Jitendra Kabeer

August 22, 2021 ・0 comments

 संघर्ष अकेला होता है

Sangharsh akela hota hai by Jitendra Kabeer



उस वक्त साथ नहीं थे

बहुत से लोग

शायद जानते भी न हों

उनका नाम,

खेलों में

इस देश का नाम रौशन 

करने वालों का

गुमनामी में संघर्ष

जिस वक्त चढ़ा था परवान।


उस वक्त साथ थी केवल 

उनकी इच्छाशक्ति, मेहनत 

योग्यता, मुठ्ठी भर लोगों का

साथ और कुछ कर दिखाने का

अरमान,

जिसके बूते कर दिखाया उन्होंने

देश-दुनिया में बड़ा अपना नाम।


संघर्ष होता है 

हमेशा अकेला ही इंसान का,

दुनिया में ज्यादातर लोग 

आते हैं साथ पीने सफलता का जाम,

विश्वास न हो इस बात का

तो देखना कभी अपने आस-पास ही

असफल हो चुके लोगों का अंजाम।


                             जितेन्द्र 'कबीर'


यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।

साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'

संप्रति - अध्यापक

पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश

संपर्क सूत्र - 7018558314

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