Sandesh prakriti ka kavita by Anita Sharma
August 06, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
"संदेश प्रकृति का"
संदेश बादल दे रहे समस्त जग को,
कल्याण मार्ग हो जीवन आधार।
संमार्ग हो ध्येय बादल हमें बतलाते,
जीना है तो औरों के लिए जियो हमें सिखलाते।
धरती से जल संचित करता सूरज,
वर्षा में लौटाता बादल।
जीवन में लेना ही नहीं,देना भी ध्येय हो,
प्रकृति हमें सिखाती जीवन का संदेश।
प्रकृति के कण-कण में छुपा हुआ,
संदेश कर्म परोपकारी हो।
जन जन तक विकसित हो कल्याण मार्ग,
देता यही प्रकृति का कण-कण संदेश।
झूम झूम बरसते बादल,वृक्षो को नव जीवन देते,
नव-संचार धरा पर करते,जलप्लावित नदियों को करते।
------ अनिता शर्मा झाँसी
----मौलिक रचना
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