Musaladhar barish kavita by Anita Sharma
August 06, 2021 ・0 comments ・Topic: Anita_sharma poem
मूसलाधार बारिश
एक जमाना याद आया,मूसलाधार बारिश देखी।
यादों के झुरमुट में बसी,
वही पुरानी यादें लौटी।
लगातार बिन रूके तब,
गिरता था पानी।
रस्सी पर बिन सूखे ही,
लटका करते गीले कपड़े।
एक जमाने के अंतराल में,
दोहराया प्रकृति ने मंजर।
घरों में कैद किया बारिश ने,
लबालब सड़कों में भरा पानी।
वहीं कई घरों में हाजिरी दी,
पानी ने भरकर।
हुआ अस्त व्यस्त जनजीवन,
बिजली ने भी झटका मारा।
अंधकार में शहर डूबा था,
गर्मी ने बेचैन किया।
आया सावन झूम कर ,
बदरा बरसे झूमकर ।
बचपन में जो देख जिया था,
आँखे तरसा करती थी ।
मन में बसा जो चित्र था ,
बरसों बाद फिर जिया उसे।
अनिता शर्मा झाँसी
मौलिक रचना
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