Lena dena by Anita Sharma

 *लेना-देना

Lena dena by Anita Sharma


लेना देना लगा है जग में,

क्या तू साथ ले जायेगा।

जैसा कर्म करेगा वैसा प्रारब्ध पायेगा,

सूझ-बूझ रख कर्म करे जा जग में ।

सब ईश्वर की माया है ,

जो देगा वो लेगा जग से।

यही तो लेना-देना जग में ,

स्व-नियंत्रण रखकर जीना।

भौतिकता में न जकड़ना ,

आत्मबोध को पाना है।

भ्रमित न जग में तू भटकना ,

सत्कर्मों को संजो कर बढना।

सृष्टि का नियम यही है ,

जो लेगा जग से वो देना है।

यही तो लेना-देना जग में,

हर कर्म का फेरा है जग में।

सुख बाँटोगे,सुखी रहोगे,

दुःख का दलदल दर्द-दरिया।

लेना-देना जग में बंदे ,

साथ साथ ही जाना है।

------अनिता शर्मा झाँसी

-------स्वमौलिक रचना

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