बंधन न रहेगा कोई
मीरा के श्याम
राधा के संग रहे हमेशा
मीरा को नहीं मलाल
हर पल जोहती बाट
कब आएंगे मोहनलाल
अखियाँ है दरस की प्यासी
नित रहती है वे उदासी
देखत- देखत दिन बीते
रैन होती है पराती (सुबह)
पलक झपकाए
मीरा के आए श्याम
बिना दरस दिए भागे
वे गिरधर गोपाल
प्रेम दीवानी हो
गई व्याकुल
कब भागा चितचोर
मिलन तो एक दिन
होगा ऐसा
बंधन न रहेगा कोई
डा. इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार
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