Azadi kish liye chahi thi humne by Jitendra Kabeer
August 22, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
आजादी किस लिए चाही थी हमनें
हम भारतीयों के साथ भेदभाव करते थे अंग्रेज
खुद को कुलीन मानकर,
नीचा दिखाते थे हमें वो असभ्य जानकर,
आजादी के इतने सालों बाद हम आज भी
भेदभाव करते हैं एक-दूसरे से
जाति-धर्म, प्रांत, भाषा, अशिक्षा और
गरीबी के नाम पर,
जब गुलाम ही बने रहना था हमें
ऐसी तुच्छ मानसिकताओं के
तो बताओ जरा, आजादी चाही थी हमनें
खुद पर रहे कौन से गुमान पर।
हम भारतीयों का शोषण किया करते थे अंग्रेज
खुद को हमारा मालिक मानकर,
हर तरह से शोषण को अपना हक जानकर,
आजादी के इतने सालों बाद हम आज भी
शोषित होते हैं झूठे चुनावी वादों,
चौतरफा भ्रष्टाचार, गुण्डागर्दी और
महंगाई के नाम पर,
जब शोषण जारी रहना ही था जनता का
किसी न किसी तरीके से
तो बताओ जरा, आजादी चाही थी हमनें
खुद पर रहे कौन से गुमान पर।
अंग्रेजी राज का विरोध करने वाले
हम भारतीयों को राजद्रोही कहा करते थे अंग्रेज
खुद को हमारा राजा मानकर,
प्रताड़ित करते थे हम सबको दुश्मन जानकर,
आजादी के इतने सालों बाद हम आज भी
राजद्रोही ठहराए जाते हैं
उतरते हैं जब भी सड़कों पर अपने खिलाफ हुए
अत्याचार के नाम पर,
जब ऐसा ही नजरिया रहना था जनता के प्रति
इस देश की सरकारों का
तो बताओ जरा, आजादी चाही थी हमनें
खुद पर रहे कौन से गुमान पर।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति- अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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