Aisi bahano ki kaun sune by Jitendra Kabeer
August 25, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
ऐसी बहनों की कौन सुनें?
रक्षाबंधन के अवसर पर
असमंजस में रहती हैं वो स्त्रियां
ब्याही गई हैं जो किसी बड़े घर में,
राखी बांधने जाना है उनको भी
लेकिन क्या करें वो जब
घर के कार्यों को देखते हुए सास-ससुर
खुले मन से मायके जाने की
उनसे बात ही न कहें,
अगर चली ही जाएं
तो राखी बांधने के लिए घर आने वाली
पति की बहनों की खातिरदारी का
इंतजाम कौन करे?
मायका हो नजदीक अगर
तो घंटा दो घंटा जल्दबाजी में जाकर
काम निपटाने की वो कोशिश करें,
लेकिन हो मायका जो दूर उनका तो
हो सकता है रक्षाबंधन का उनका त्यौहार
बहुत बार की तरह इस बार भी
डाक से राखी भेज कर
या फिर फोन पर ही किसी दूसरी बहन को
राखी बांधने के लिए बोल कर ही मनें।
जितेन्द्र 'कबीर'
यह कविता सर्वथा मौलिक अप्रकाशित एवं स्वरचित है।
साहित्यिक नाम - जितेन्द्र 'कबीर'
संप्रति - अध्यापक
पता - जितेन्द्र कुमार गांव नगोड़ी डाक घर साच तहसील व जिला चम्बा हिमाचल प्रदेश
संपर्क सूत्र - 7018558314
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