kavya Purvagrah by sudhir Srivastava
July 18, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
पूर्वाग्रह
हमने समझा जिसे साधू
वो तो शैतान निकला,
दुत्कारा था जिसे उस दिन बहुत
इंसानरुपी वो तो भगवान निकला।
आँखें खूल गयीं मेरी
उतर गया पूर्वाग्रह का बुखार,
समझ एक झटके में आ गया मेरे
पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर
न किसी का आँकलन कर।
आप भी संदेश मेरा साफ सुन लो
पूर्वाग्रहों से दूरी बनाकर चलो,
पूर्वाग्रह से ग्रसित
किसी को बदनाम मत करो।
आँखें बंदकर न किसी पर
विश्वास ही करना,
बिना जाने ,बिना समझे,बिना परखे
किसी को दोस्त, दुश्मन
या हमदर्द न समझना।
सच कहूँ तो पूर्वाग्रह
ऐसी बीमारी है,
जो औरों पर शायद कम
हम पर ही पड़ती भारी है।
● सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921
©मौलिक, स्वरचित
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