gazal by krishna kant kamil prayagraj

July 03, 2021 ・0 comments

ग़ज़ल ️

gazal by krishna kant kamil prayagraj


लिक्खा या बिन लिक्खा पढ़ना
जो भी पढ़ना अच्छा पढ़ना


ग़र मंज़िल तक जाना है तो
सबसे पहले रस्ता पढ़ना


ग़र लिखना है कुछ अच्छा तो
लिखने से तुम ज्यादा पढ़ना


हम शायर करते रहते हैं
पढ़ना लिखना लिखना पढ़ना


ख़ाक बड़ा होने देगा ये
तेरा सबको छोटा पढ़ना


नाम लिखा होगा शायर का
आप ग़ज़ल का मक़ता पढ़ना


अदब नहीं तुझमें ग़र 'कामिल'
बेमानी है लिखना पढ़ना


बेमानी- बेकार, अर्थहीन
*******************


- कृष्ण कान्त 'कामिल'
-ग्राम- पूरा मुनई, तह- कोरांव, जनपद- प्रयागराज-
पिन कोड -212306




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