Tum ho meri mohabat rahogi meri
March 05, 2021 ・0 comments ・Topic: poem
Tum ho meri mohabat rahogi meri

बारिशों के बूँद सा टपकता रहा
तुम भी रोती रही मैं भी रोता रहा
प्यार तुझको मैंने किया है सनम
भूल जाने की आदत नहीं है मेरी
तेरे मजबूरियों ने सितम कर दिया
दर्द में तुम रही दर्द में मैं रहा
तुम हो मेरी मोहब्बत रहोगी मेरी
देख के, नजरें ना , चुराना सनम
हूँ अकेला जीवन के मेले में
राह में जैसे राही भटकता रहा
प्यार तुझको मैंने किया है सनम
रात की चाँदनी दिन में ढलती रही
मैं भी रोता रहा तुम भी रोती रही
दर्द में मैं रहा दर्द में तुम रही
बारिशों के
कुछ भी हो जाए मैं हूँ तुम्हारी प्रिये
ज़िन्दगी के मेरे सांसों में तुम
मेरे रग रग में रागों में गीतों में तुम
रात रानी हूँ मैं दिन के सूरज हो तुम
जो जलाए थे तुम प्यार के ज्योती को
दे रही रोशनी मेरे तन मन को
चाह कर भी तुम्हारी नहीं मैं रही
तुम अधूरे रहे मैं अधूरी रही
तेरे मजबूरियों ने सितम कर दिया
दर्द में तुम रही दर्द में मैं रहा
बारिशों के बूँद सा टपकता रहा
तुम भी रोती रही मैं भी रोता रह
दर्द में तुम रही दर्द में मैं रहा
मैं अधूरी रही तुम अधूरे रहे
मैं भी रोता रहा तुम रोती रही
दर्द में मैं रही दर्द में तुम रहे
कवि सी.पी. गौतम
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