सुंदर सी फुलवारी| Sundar si phulwari

सुंदर सी फुलवारी

सुंदर सी फुलवारी मां -पिता की दुनिया बच्चे हैं,बच्चों की दुनिया मात- पिता ।रिश्ते बदलें पल- पल में ,मां -पिता कभी नहीं बदलते हैं।बच्चों के भाव बदलते हैं,हरदम बस उलझे रहते हैं।तुलना की इनकी आदत है,खुद को कम आंका करते हैं।मां -पिता के प्यार पर शंका कर,खुद का मन दुःख से भरते हैं।ये दौर सभी … Read more

श्रमिक | kavita -shramik

श्रमिक | kavita -shramik

एक मई को जाना जाता,श्रमिक दिवस के नाम से श्रमिक अपना अधिकारसुरक्षित करना चाहते हैं ,इस दिन की पहचान से।कितनी मांगे रखते श्रमिक,अपनी- अपनी सरकार से।

बचपन| kavita-Bachpan

बचपन| kavita-Bachpan

बचपन हंसता खिलखिलाता बचपन,कितना मन को भाता है। पीछे मुड़कर देखूं और सोचूं, बचपन पंख लगा उड़ जाता है। बड़ी रीझ थी बड़े होने की, कितने सपने पाले थे। बड़े हो कर हम ये करेंगे,वो बनेंगे, कितने पंख लगा डाले थे। बिना पंख के उड़ना तो बस बचपन में ही सम्भव था। बड़े हुए तब … Read more

आखा बीज | aakha beej

आखा बीज | aakha beej

आखा बीज भारत में कई राज्य हैं, उनमें राजस्थान है एक। राजस्थान में शहर बीकानेर, कहते हैं जिस को बीकाणा। राव बीका जी ने नींव लगाई, आंखा बीज का दिन था वो। आखा बीज का शुभ दिनआज भी, मिल जुल कर सभी मनाते हैं। लोग उड़ाते पतंग हैं इस दिन, बड़ा ही उल्लास दिखाते हैं। … Read more

नये युग का निर्माण करो | naye yug ka nirmaan karo

नये युग का निर्माण करो

नये युग का निर्माण करो नारी तुम निर्मात्री हो, दो कुलों की भाग्य विधात्री हो। सृजन का है अधिकार तुम्हें, तुम ही जीवन धात्री हो। तुमसे ही उत्पन्न ये सृष्टि है। ममता और प्यार की मूरत तुम, धरती पर भगवान की सूरत तुम। तुम से ही जीवन सुखमय है, जीवन का सार, आधार तुम्हीं। तुम … Read more

Kavita – जीवन सुगम बना दो | Jeevan sugam bana do

Kavita - जीवन सुगम बना दो | Jeevan sugam bana do

जीवन सुगम बना दो मैं कुदरत का प्यारा पंछी हूं,तुम सब के बीच मैं रहता हूं। मेरी आंख के आंसू सूख गए,अब तुम से शिकायत करता हूं। लम्बी चौड़ी कोई बात नहीं,मैं इतनी गुज़ारिश करता हूं। बस इतनी अरदास मेरी तुमसे,मेरा जीवन सुगम बना दो तुम। कितनी मुश्किल मानव ने दी,मुझे उन से छूट दिला … Read more

मन से कभी न हारना | man se kabhi na harna

मन से कभी न हारना

मन से कभी न हारना मन के हारे हार है और मन के जीते जीत मन से कभी नहीं हारना,सुन मेरे मन मीत। कभी कभी मन थक जाता है, थक जाता है,भर जाता है। उलझन में ये फंस जाता है। निराशा के बादल घेरे मन को, आशा का ना कोई ठोर दिखे। उस वक्त भी … Read more

मीठे वचन | meethe vachan

मीठे वचन

मीठे वचन मीठे वचन सभी को प्यारे मीठे वचन सदा ही बोलो। मीठे वचन हैं बहुत सुहाते, कानों में मिश्री सी घोले। कड़वे वचन होते हैं कर्कश, दिल को छलनी करते हैं। इनके घाव कभी नहीं भरते, यादों में सदा ताज़ा रहते हैं। सोच समझकर सदा ही बोलो, इसलिए तो सब कहते हैं। मीठे वचन … Read more

पापा की परछाई | Papa ki parchhayi

पापा की परछाई

पापा की परछाई पापा ये कभी कह नहीं पाते, कितना प्यार है लाडले बेटे से। देखें हर दम अपनी परछाईं , अपने लाडले बेटे में। बिना मांगे ही कुछ भी दे दें, मांगे तो कितनी बात सुनाते, नासमझी का आरोप लगाते, हर पल बस यही जतलाते, इसे समझ नहीं आनी है। बेटा भी कभी समझ … Read more

पुस्तक समीक्षा – कपास (कहानी संग्रह) | Book review – Kapas

Book review - Kapas

 पुस्तक समीक्षा – कपास (कहानी संग्रह) लेखक – डॉ. कुबेर दत्त कौशिक प्रकाशक – शॉपिज़ेन डॉट इन समीक्षक – सोनल मंजू श्री ओमर हाल ही में लेखक डॉ कुबेर दत्त कौशिक जी का 10 कहानियों का संग्रह ‘कपास’ पढ़ने को मिला। इनके अभी तक लगभग एक उपन्यास (दस्तख़त) व एक दर्जन कहानी संग्रह (झोपड़ी, कुल्हड़, … Read more