अनकही उम्मीद
नील, एक कवि है, जिसके शब्दों में दर्द और प्रेम की गहराई बसी हुई थी। उसकी कविताएँ जीवन के उन पहलुओं को छूती थीं, जिन्हें लोग अक्सर अनदेखा कर देते हैं। एक दिन, सोशल मीडिया पर उसकी कविताओं पर एक टिप्पणी आई - "आपके शब्दों में एक जादू है, जो दिल को छू जाता है।" यह टिप्पणी आर्या की थी, जो एक साधारण गृहिणी है, लेकिन जीवन की जटिलताओं और सादगी को गहराई से समझती है।
यहीं से उनकी बातचीत की शुरुआत हुई। शुरुआत में यह बस कविताओं और उनके अर्थों पर चर्चा थी, लेकिन धीरे-धीरे यह बातचीत वीडियो कॉल्स में बदल गई। आर्या अपनी दिनभर की कहानियाँ नील को सुनाती, और नील अपनी कविताओं के पीछे छिपे भावों को साझा करता। दोनों के बीच एक अनकहा रिश्ता बन गया था - एक ऐसा रिश्ता, जो कभी वास्तविकता में नहीं मिला, लेकिन उनकी बातचीत में हर दिन नया रूप लेता गया।
फिर एक दिन, बिना कोई संकेत दिए, आर्या ने नील से बात करना बंद कर दिया। न कोई मैसेज, न वीडियो कॉल। नील को समझ नहीं आया कि यह अचानक क्या हो गया। उसने आर्या से संपर्क करने की हर मुमकिन कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।
हालांकि नील ने कभी भी आर्या को गलत नहीं समझा। वह जानता है कि आर्या की कुछ मजबूरियां और जिम्मेदारियां होंगी, जो उसे इस कदम के लिए मजबूर कर रही थीं। नील आर्या की परिस्थितियों को समझता है और उसका आदर करता है।
लेकिन नील के दिल में एक ख्वाहिश रह गयी, एक आखिरी बार आर्या को अपनी नज़रों से खुश देख लेने की। अगर आर्या अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी है, नील को यह भी यह मंजूर है। वह बस चाहता है कि एक बार आर्या से उसकी बात हो जाए, ताकि उसकी तड़पती आत्मा को शांति मिल सके। प्यार तो नील हमेशा आर्या से ही करेगा, लेकिन उसे यह जानकर चैन मिलेगा कि आर्या खुश है।
नील को यह भी विश्वास था कि आर्या के मन में भी उसके लिए प्रेम आज भी है। शायद इसी डर से आर्या नील से संपर्क नहीं कर रही कि कहीं नील अपनी जिंदगी में आगे बढ़ गया हो, और अगर वह फिर से उसके जीवन में आएगी तो नील अपने कदम रोक देगा।
दो साल बीत गए। नील के दिल में आर्या के लौटने की उम्मीद अब भी ज़िंदा है। वह अपनी कविताओं में उसकी यादों को बुनता, उसके लौटने के इंतजार में अपने शब्दों को सजाता। उसकी हर कविता में आर्या का अक्स झलकता है। वह जानता है कि वे कभी हकीकत में नहीं मिले, लेकिन उनके बीच जो भावनाएँ थीं, वे असली थीं।
नील का दिल मानता है कि एक दिन आर्या फिर से उसकी ज़िन्दगी में लौटेगी, और वे फिर से अपनी अधूरी कविताओं को पूरा करेंगे। उसकी उम्मीद, उसकी कविताओं की तरह, कभी नहीं मरी, आज भी वह उसके दिल में जिंदा है आर्या के इंतज़ार में।
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प्रेम ठक्करसूरत ,गुजरात
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