Janmastami special poem

नन्हीं कड़ी में....
दिन विशेष
श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी...

जनमाष्टमी के उपलक्ष में कविता....

भोली सूरत श्यामल काया,
रास रचयिता, मुरली बजाने वाले।
गोपियों के संग पग थिरकते,
कान्हा मेरे गौमाता को चराने वाले।

कभी बृज में मटकी फोड़ कर
करते रहते माखन की चोरी।
कभी यशोदा के मुख पर,
अपनी लीलाओं से मुस्कान भरी।

राधा संग अठखेलियों से,
बृज की गलियों में छाए।
प्रेम-प्रीत के रंग में रंगकर,
भक्तों में राधे-कृष्णा कहलाए।

कुरुक्षेत्र में सखा अर्जुन को,
कर्तव्य का बोध कराया।
धर्म का मार्ग दिखाकर,
उनको गीता का ज्ञान पढ़ाया।

हर युग में और हर काल में,
कृष्ण ने धर्म का दीप जलाया।
कर्म की महिमा बताकर,
भक्ति का मार्ग दिखाया।

तुम हो नंदलाला,तुम ही गोपाला,
तुमने ही सजाई ये दुनिया सारी।
श्रीकृष्ण गोविंद हरे मुरारी,
तुम हर लो हमारे जीवन की पीड़ा सारी।

तमन्ना के दिल में बसे हो तुम,
हे वासुदेव, हे जग के आधार।
तुम से ही मेरे जीवन का सार,
हे कन्हैया! तुम्हारी लीला है अपरंपार.....

श्रीकृष्ण भगवान की जय...

About author 

Tamanna matlani

तमन्ना मतलानी
गोंदिया(महाराष्ट्र)

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