निर्णय
जब विकल्प नहीं हो जीवन में,अंतर्द्वंद चल रहा हो मन में,
जब राह न कोई सूझ रही,
इस कदर अँधेरा हो वन में,
जब लगे कि दोनों जाया है,
दोनों में कुछ खोया पाया है,
सही-गलत की उहापोह में,
नाहक ही वक्त गवांया है,
हर बात में कोई अर्थ लगे,
सारी तरकीबें व्यर्थ लगें,
निर्णय बड़ा ज़रूरी हो पर,
खुद में न इतनी सामर्थ्य लगे,
आँखें मूँद उसे तुम याद करो,
तुम ! इश्वर से संवाद करो,
थोड़ी देर ठहर कर सोचो,
अपनी ऊर्जा न यूँ बर्बाद करो,
औरों की चिंता छोड़ वहीँ,
निर्णय होगा भीतर ही कहीं,
फिर बढ़ जाना उस पथ पर,
जो तुम्हारे दिल को लगे सही,
छूटे पर मत पछताना तुम,
निर्णय लेकर मत रोना तुम,
इश्वर के नाम समर्पित कर,
बस चैन की नींद सोना तुम,
कैसे भी निर्णय लोगे तुम,
चुनने में मुश्किल होगी,
पर मन का निर्णय लोगे तो,
आगे की यात्रा ज़रा सरल होगी,
नियति के आगे जीवन में ,
तुम्हारा चयन खड़ा नहीं होता,
कोई भी कैसा भी निर्णय ,
जीवन से बड़ा नहीं होता,
About author
Author-Vinod Dubey |
भदोही जिले के एक गावँ में जन्मे विनोद दूबे, पेशे से जहाज़ी और दिल से लेखक हैं |
गदहिया गोल (आजकल का KG ) से १२वीं तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम स्कूल से करने के
बाद मर्चेंट नेवी के पैसों की खुशबू इन्हे समुन्दर में कुदा गयी।
पेशेवर क्षेत्र :
आईआईटी - जेईई की रैंक के ज़रिये इन्हे भारत सरकार के इकलौते प्रशिक्षण पोत "टी. एस.
चाणक्य" से मर्चेंट नेवी की ट्रेनिंग पूरी करने का अवसर मिला। ट्रेनिंग में " ऑल राउंड बेस्ट
कैडेट" का खिताब मिला और नॉटिकल साइंस में स्नातक की डिग्री मिली। उसके बाद जहाज
की नौकरी में ये एक्सोनमोबिल जैसी फार्च्यून ५०० में स्थान प्राप्त मल्टीनेशनल कंपनियों में
काम करते रहे। कैडेट से कैप्टेन बनने तक के १२ सालों के ख़ानाबदोश जहाजी सफर ( सभी
महाद्वीपों में भ्रमण) ने इनके अनुभव के दायरे को विदेशों तक खींचा । कैप्टेन बनने के बाद ये
फिलहाल सिंगापुर की एक शिपिंग कंपनी में प्रबंधक के पद पर नियुक्त हैं और इनका
पारिवारिक घोंसला भी सिंगापुर की डाल पर है । सिंगापुर में रहते इन्होने कार्डिफ
मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी ( यू.के. ) से MBA में गोल्ड मैडल हासिल किया और इंस्टिट्यूट
ऑफ़ चार्टर्ड शिपब्रोकर की मेम्बरशिप भी हासिल की। पढ़ाई -लिखाई का सिलसिला जारी
है।
लेखकीय क्षेत्र :
पहला हिंदी उपन्यास इंडियापा हिन्दयुग्म (ब्लू) द्वारा प्रकशित हुआ। उपन्यास "इंडियापा"
पाठकों में विशेष चर्चित रहा और अमेज़न पर कई दिनों तक बेस्ट सेलर बना रहा। इसकी
सफलता से प्रभावित हिन्दयुग्म प्रकाशन ने अगले संस्करण में इसे हिन्दयुग्म (ब्लू) से
हिन्दयुग्म (रेड) में तब्दील किया। ऑडिबल पर इंडियापा का ऑडियो वर्जन और इसका
अंगेज़ी अनुवाद भी आ चुका है ।
कविता लेखन और वाचन में भी इनकी रूचि है और “वीकेंड वाली कविता” नामक यूटूब
चैनल इनके कविताओं की गुल्लक है। वीकेंड वाली कविता और जहाज़ी फ्लाईड्रीम प्रकाशन
के जरिये किताब की शक्ल में भी लोगों तक पहुँच चुकी है । इस किताब को भारत और
सिंगापुर में काफी पसंद किया जा रहा है।
लेखकीय उपलब्धियां :
सिंगापुर में हिंदी के योगदान को लेकर HEP ( highly enriched personality)
का पुरस्कार
कविता के लिये सिंगापुर भारतीय उच्चायोग द्वारा पुरस्कृत किया गया है।
संगम सिंगापुर पत्रिका के हर अंक में कवितायेँ और यात्रा वृत्तांत छपते हैं।
देश विदेश के लगभग १०० से अधिक कवि सम्मेलनों में हिस्सा लिया, जिसमे अशोक
चक्रधर, लाक्षिकान्त वाजपेयी, इत्यादि मानिंद शामिल रहे ।
अनेक संस्थाओं से जुड़ाव और कवितायेँ प्रस्तुत की : सिंगापुर ( संगम, कविताई ) ,
नेदरलॅंड्स ( साँझा संसार ) , यू. के. ( वातायन )
नेदरलॅंड्स की प्रवासी पत्रिका में यात्रा वृत्तांत छप चुका है।
मीराबाई चानू पर इनकी लिखी कविता इंडियन हाई कमीशन
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