कामयाबी और पतन | Kaamyabi aur patan

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कामयाबी और पतन .....?

कामयाबी और पतन | Kaamyabi aur patan
जीवन में प्रत्येक मनुष्य की यहां दिली इच्छा होती है कि वह अपने जीवन में कामयाबी हासिल करके एक सम्माननीय जीवन यापन करे। आज के आधुनिक दौर में कामयाबी की चाहना इतनी बढ़ गई है कि वे किसी अन्य व्यक्ति को एक सीढ़ी की तरह उपयोग करने से भी परहेज नहीं करता। इससे भी दुखद तथ्य तो यह है कि व्यक्ति केवल धनार्जन करके कोई बड़ा स्थान हासिल करने में ही अपनी कामयाबी समझने लगा है।
आज के इस युग में पैसे कमाना कोई बड़ी बात नहीं है परंतु एक बात का सदैव यह ध्यान रखना चाहिए कि केवल धनार्जन करने से ही कोई व्यक्ति बड़ा नहीं बन सकता। पैसे कमाने के साथ-साथ मान-सम्मान व इज्जत कमाना भी बहुत जरूरी है, क्योंकि मान-सम्मान व इज्जत केवल पैसे कमाने वाले लोगों की गुलामी नहीं करते। जो लोग आर्थिक रूप से कमजोर किसी जरूरतमंद व्यक्ति का दुख समझ सकते हैं सही अर्थों में इस संसार में वही लोग सच्ची इज्जत और मान-सम्मान के अधिकारी होते हैं। मनुष्य ने विज्ञान के क्षेत्र में कामयाबी हासिल करके एवं कई किलोमीटर दूर रहने वाले लोगों की आवाज उनको सामने देख कर वीडियो कॉल पर बात करने तक के साधनों की खोज कर ली है परंतु इतनी कामयाबी हासिल करने के बाद भी आज के दौर में मानवता का पतन इतना बढ़ गया है कि नजदीक खड़े व्यक्ति का भी दुख-दर्द किसी को दिखाई नहीं देता। एक वक्त था जब संयुक्त परिवार हमारे देश की शान समझे जाते थे। प्राइवेसी की चाहत ने तो जैसे संयुक्त परिवारों की आत्मा को जीते जी छलनी कर दिया है। प्रत्येक व्यक्ति केवल अपने स्वार्थ की पूर्ति करने में लगा हुआ है। और चाहिए, और चाहिए की भूख के कारण परिवार के अंदर रहने वाले मनुष्य की तकलीफ और पीड़ा भी कोई देख नहीं पाता। यदि हम अपने जीवन में कुछ वर्ष पीछे मुड़ कर देखेंगे तो हमें यह स्पष्ट रूप से दिखाई देगा कि लोग किसी अन्य व्यक्ति के चेहरे को देखकर ही उसके ह्रदय की पीड़ा को महसूस कर लेते थे और अपने सामर्थ्य के अनुसार सामने वाले व्यक्ति की सहायता करने को तैयार हो जाते थे। उस समय सहायता करने वाला व्यक्ति अपने द्वारा की गई मदद का ढिंढोरा पीट कर व्यक्त नहीं करता था कि मैंने इसकी मदद की है परंतु आज तो ऐसा समय आन पड़ा है कि व्यक्ति द्वारा की गई किसी भी प्रकार की सहायता का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया प्रचार प्रसार करने का फैशन चल पड़ा है। एक बात का सदैव ध्यान रखना चाहिए कि सत्कर्म करने वाला व्यक्ति कभी भी सम्मान का भूखा नहीं होता क्योंकि व्यक्ति द्वारा किए गए अच्छे कर्म उसे स्वयं ही सम्मान का अधिकारी बनाता है। जिस व्यक्ति में संबंध निभाने की चाहत होती है सही अर्थों में जीवन के हर मोड़ पर वही व्यक्ति कामयाबी भी अवश्य हासिल करता रहता है। इंसान के पतन के तो कई मार्ग हैं परंतु कामयाबी का मार्ग तो केवल आपसी प्रेम और सहयोग से ही मिलता है। सच्चे संबंध तो मौन की भाषा भी आसानी से समझ लेते हैं और बिना शब्दों के ही बहुत कुछ कह भी दिया जाता है और सब कुछ समझा भी जा सकता है। हमने एक फिल्मी गीत सुना ही होगा "कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर ऐ इंसान जैसे कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान...।" पुरातन काल से ही जीवन में कर्म को ही महत्व दिया गया है और व्यक्ति द्वारा किए गए कर्म ही उसकी पहचान बनाते हैं।

इसलिए मित्रों आइए हम सभी सत्कर्मों के मार्ग पर चलें क्योंकि अच्छे कर्म पथ के मार्ग पर चलने वाले व्यक्ति का कभी भी नैतिक पतन नहीं होता और एक दिन जीवन में कामयाबी के शिखर तक भी अवश्य पहुंच जाएंगे.....

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Tamanna matlani

तमन्ना मतलानी
गोंदिया(महाराष्ट्र)

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