परीक्षा का परिणाम
परीक्षा कक्ष में होता देखो,कितना अजीब नज़ारा है,प्रश्न पत्र के इंतजार में बैठे थेबच्चे, कैसे -कैसे भाव लिए।
मची हुई है मन में हलचल, कितने मिश्रित विचार लिए,
क्या आएगा, क्या लिखेंगे, क्या हम लिख भी पाएंगे।
प्रश्न पत्र पाते ही देखो पन्ने ऐसे पलटते हैं,
एक ही पल में जांचना चाहते, क्या -क्या इनको आता है।
फिर लिखना जब शुरू हैं करते,एक पल भी रूक नहीं पाते हैं।
हाथ अगर रूकना भी चाहे, झटक-झटक कर चलाते हैं।
साल भर का पढ़ा हुआ अब, कुछ ही घंटों में लिखना है ।
लिखने से ही निर्धारित होना,परीक्षा का परिणाम है ।
किन हालातों से गुजरे बच्चे, क्या बीता है उनके साथ,
अस्वस्थ थे या घटी दुर्घटना पिछली रात,
इसका कोई जिक्र नहीं है, क्या बीता है किसके साथ।
लिखने से ही पता चलेगा, किसको कितना ज्ञान है,
इसी से निर्धारित होना परीक्षा का परिणाम है।
-कंचन चौहान
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