अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने समावेशी व्यापार का महत्वपूर्ण योगदान

अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने समावेशी व्यापार का महत्वपूर्ण योगदान

अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने समावेशी व्यापार का महत्वपूर्ण योगदान

भारत को दुनियां की तीसरी अर्थव्यवस्था त्वरित बनाने समावेशी व्यापार को बढ़ावा देना होगा
विकसित भारत के लक्ष को प्राप्त करने समावेशी व्यापार की चुनौतियों का समाधान, केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर देना ज़रूरी - एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर पिछले कुछ वर्षों से ऐसे नकारात्मक कारक जैसे कोविड-19, रूस यूक्रेन युद्ध इजराइल हमास युद्ध जैसे अनेकों कारक हर साल आ रहे हैं जिससे दुनियां के व्यापार उद्योग क्षेत्र में मंदी का दौर चल पड़ा है। अनेक विकसित राष्ट्रों की अर्थव्यवस्थाएं कुछ ठीक नहीं चल रही है जिसका सापेक्ष उदाहरण अमेरिका ब्रिटेन जैसे कुछ देश हम देख सकते हैं, परंतु भारत की आर्थिक अर्थव्यवस्था इससे कहीं अधिक ठीक चल रही है, इसीलिए ही भारी कोविड परिस्थितियों में भी ब्रिटेन को पछाड़कर भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना जो अब तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेजी से बढ़ रहा है। परंतु नीति निर्धारकों को इस बात को रेखांकित करना जरूरी है कि भारत को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने का महत्वपूर्ण पहिया या कारक भारतीय व्यापार उद्योग क्षेत्र है जिनकी पैठ देशी विदेशी व अंतराष्ट्रीयस्तर पर मजबूती से बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र को समावेशी व्यापार के रूप में तेजी से विकसित करना होगा और व्यापार व्यवसाय उद्योग को आने वाली कठिनाइयों चुनौतियों शासकीय कठोरता का समाधान करना होगा क्योंकि व्यापार व्यवसाय उद्योग क्षेत्र भी विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था की सीढ़ीपर चढ़ने के मुख्य पाहियों में से एक है। जैसे कि जिला राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार उद्योगों के संगठन बने हुए हैं उनसे समावेशी चर्चा व राज्य तथा केंद्र सरकारों में इनका प्रतिनिधित्व पर गंभीरता से विचार करना होगा ताकि इस क्षेत्र को समस्याओं से मुक्त किया जा सके और हर व्यापारी उद्योगपति भारत को तीसरी अर्थव्यवस्था बनने और विकसित राष्ट्र की उपाधि दिलाने में का संकल्प कर माननीय पीएम के आह्वान आत्मनिर्भर भारत को साकार कर भारतीय उपयोगकर्ताओं पर इस विचार की तेजी से पैठ के लिए लोकल का लोकल की थीम पर आगे बढ़े।परंतु अगर यह क्षेत्र अपनी समस्याओं में ही उलझा रहा तो देश के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए देरी होगी। हमने देखा है कि अनेक राज्य या राष्ट्रीय स्तर पर संगठन अपने-अपने क्षेत्र के मंत्रियों प्रशासकीयअधिकारियों से मिलकर समस्याए बताते हैं। हमारी गोंदिया नगरी में भी जिला व्यापारी संगठन अपनी असुविधाओं समस्याओं के समाधान के लिए अभी हाल ही में कुछ दिनों पूर्व प्रशासन व सांसद से मिला था।मेरा मानना है कि इस वर्ग कीसमस्याओं के समाधानमें सरकारों को प्राथमिकता देना समय की मांग है, क्योंकि विजन 2047 और विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था शीघ्र बनाना है, इसलिए आज हम पीआईबी और मीडिया मेंउपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, विकसित राष्ट्र भारत के लक्षों को प्राप्त करने समावेशी व्यापार की चुनौतियों कासमाधान केंद्र व राज्य सरकारों को देना जरूरी है।
साथियों बात अगर हम इसी उपरोक्त विषय से संबंधित दिनांक 7 नवंबर 2023 को नीति आयोग द्वारा आयोजित कार्यशाला की करें तो, विकास और समृद्धि के लिए समावेशी व्यापार पर एक विषयगत कार्यशाला काआयोजन किया, जिसमें विकास और समृद्धि के लिए समावेशी व्यापार तथा लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं के क्षेत्रों में नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (एनडीएलडी) के परिणामों की घरेलू पहुंच, स्वामित्व और कार्यान्वयन को व्यापक बनाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। इस विषयगत कार्यशाला का आयोजन भारत की जी-20 अध्यक्षता वाले शिखर सम्मेलन के तहत नई दिल्ली लीडर्स घोषणा (एनडीएलडी) की अनुवर्ती कार्यवाही के रूप में किया गया था। इसमें सभी के विकास और समृद्धि के लिए मजबूत, टिकाऊ, संतुलित तथा समावेशी व्यापार को अपनाने पर जोर दिया गया था। नीति आयोग के माननीय सदस्या ने मैपिंग ग्लोबल वैल्यू चेन शीर्षक वाले पहले सत्र को संबोधित किया करते हुए श्रम-गहन आपूर्ति श्रृंखलाओं, नीति निर्धारण के लिए संस्थागत कारकों और कराधान प्रणाली को सरल बनाने तथा एमएसएमई के लिए एककृत भुगतान, रिफंड और निर्यात ऋण प्रणाली को विशेष रूप से मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।उन्होंने विभिन्न एंटी-डंपिंग मुद्दों से निपटने तथा संभावित भागीदारों के साथ एफटीए को बढ़ावा देने की जरूरत को भीरेखांकित किया।मैपिंग ग्लोबल वैल्यू चेन पर अयोजित सत्र में कुशल आपूर्ति श्रृंखला के लिए लॉजिस्टिक्स को मजबूत बनाने, प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए विनिमय दर प्रबंधन, बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) के रणनीतिक उपायों का उपयोग, उत्पत्ति के संचयी नियमों का प्रावधान, संभावित प्रतिस्पर्धी खंडों की पहचान, पारदर्शी और पता लगाने योग्य जीवीसी,स्‍टार्टअप औरऔद्योगिक नीति को व्‍यापार नीति के साथ एकीकृत करने जैसे विषयों पर ध्‍यान केंद्रित किया गया।नीति आयोग के सीईओ ने अपने मुख्य भाषण में एक भेदभाव रहित और समावेशी व्यापार प्रणाली की जरूरत पर प्रकाश डाला, जो विकास और समृद्धि के इंजन के रूप में व्यापार को सुविधाजनक बनाती है। इसके अलावा, उन्होंने भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं (जीवीसी) के साथ एकीकृत और उभरती व्यापार प्रणालियों को तेजी से अनुकूल बनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। विकास के लिए समावेशी व्यापार को बढ़ावा देना विषय पर आयोजित दूसरे सत्र की अध्यक्षता नीति आयोग के माननीय सदस्य ने की। इस सत्र में जिन मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला गया, उनमें एलडीसी की क्षमता और बुनियादी ढांचे के विकास को मजबूत करना;गैर टैरिफ बाधाओं को कम करना; विशेष रूप से विकासशील और अल्प विकसित देशों में एमएसएमई के लिए व्यापार हेतु सहायता बढ़ाने के लिए संसाधन जुटाना ; बुनियादी ढांचे, कौशल और डेटा स्वामित्व जैसे तीन क्षेत्रों में डिजिटल समावेशन; मानक सेटिंग; तकनीकी प्रगति; पारदर्शिता; और व्यापार प्रणालियों में जलवायु सिद्धांतों का समावेश शामिल हैं।इस कार्यशाला के समापन सत्र 'समावेशी व्यापार की चुनौतियों का समाधान' की अध्यक्षता डब्ल्यूटीओ के पूर्व डीडीजी ने की। उन्होंने भारत के पारंपरिक निर्यात को बढ़ाने, व्यापार में महिला श्रम शक्ति की भागीदारी बढ़ाने; आपूर्ति श्रृंखला और व्यापार में राज्य/जिला स्तरीय एकीकरण (जिलों को निर्यात केंद्र के रूप में बढ़ावा देना); एमएसएमई के जीवीसी में एकीकरण को सुविधाजनक बनाना; लॉजिस्टिक्स और वित्तीय सहायता; एमएसएमई के लिए सूचना तक पहुंच; पोषक अनाजों को बढ़ावा देने और सेवाओं के निर्यात में तेजी लाने के साथ जलवायु लचीली कृषि; व्यापार के संबंध में दस्तावेज़ों का डिजिटलीकरण और रीस्किलिंग तथा अपस्किलिंग सहित केंद्रित कौशल विकास पर ध्‍यान केन्दित करते हुए उन्‍हें मजबूत प्रदान करने के बारे में ध्यान आकर्षित किया। नीति आयोग नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (एनडीएलडी) के प्रमुख एजेंडों पर विषयगत कार्यशालाओं की एक श्रृंखला का आयोजन कर रहा है। इसका उद्देश्‍य देश के विकास और समृद्धि को गति प्रदान करने के लिए लागू की जाने वाली कार्यशील रणनीतियों और योजनाओं को तैयार करना है। अन्य विषयगत कार्यशालाएं एसजीडी, पर्यटन के लिए रोडमैप, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, भारत और अफ्रीकी संघ सहयोग, विकास के लिए डेटा,महिला नेतृत्व विकास आदि विषयों पर केन्द्रित हैं


साथियों बात अगर हम व्यापार के मामलों में समस्याओं की करें तो, अनेकों समस्याओं में से एक समस्या है सरकारी विभाग! जितना जटिल व्यापार उतना कठिन सरकारी विभागों से जूझना, जीएसटी से काम सरल होना था पर हुआ विपरीत, हर व्यापारी को अब साल में इतनी बार विवरण (रिटर्न्स) भरने पड़ते हैं की छोटे छोटे दुकानदार को भी सी ए या वकील आदि का सहारा लेना पड़ता है।
साथियों बात अगर हम व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण आदतों की करें तो,व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित कुछ महत्वपूर्ण आदतें होनी चाहिए (1)स्वास्थ्य और ध्यान: सफल व्यापारी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखते हैं। नियमित व्यायाम, सही आहार और ध्यान प्रारंभ करना आपकी कार्यक्षमता को बढ़ाएगा। (2) स्वयं विश्वास: सफल व्यापारी स्वयं के लिए और अपने क्षमताओं में विश्वास रखते हैं। आपको अपने उद्यम, निर्णयों और निर्माण को लेकर सकारात्मक सोचना चाहिए। (3) नियमित नेटवर्किंग: व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए नेटवर्किंग महत्वपूर्ण है। अपनी ब्रांड और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए आपको अन्य व्यापारियों, ग्राहकों, और उद्योग के नेताओं के साथ संपर्क में रहना चाहिए। (4) नवीनता और अवधारणाशीलता: व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको नए विचारों को ध्यान में रखना चाहिए। नए और आविष्कारी तरीकों का अनुसरण करने से आप अपने उत्पादों और सेवाओं में अपूर्णताओं को सुधार सकते हैं और प्रतिस्पर्धा में आगे निकल सकते हैं। (5) योजनाबद्धता सफल व्यापारी हमेशा अपने लक्ष्यों की प्राथमिकता को निर्धारित करते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए योजना बनाते हैं। आपको अपने कार्यक्रम, विपणन, वित्तीय योजना और प्रबंधन प्रक्रिया को निर्धारित करने के लिए योजनाबद्ध होना चाहिए। (6) ग्राहक केंद्रितता: सफल व्यापारी ग्राहकों की जरूरतों और प्राथमिकताओं को समझते हैं। आपको अपने ग्राहकों के साथ संपर्क में रहकर और उनकी प्रतिक्रियाओं और सुझावों को महत्व देते हुए उन्हें संतुष्ट रखना चाहिए।(7) संकुचन और प्रबंधन क्षमता: व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको संकुचन करने और सामग्री को प्रबंधित करने की क्षमता होनी चाहिए। संसाधनों का सही उपयोग, समय प्रबंधन, और कार्यप्रणाली की निर्माण क्षमता सफलता के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।ये आदतें सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन व्यापारी के लिए अन्य अनुकूल गुणों जैसे संघर्षशीलता, संघटनशीलता, संकल्प, और उत्साह भी महत्वपूर्ण होते हैं। यहां यह भी ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि हर व्यापार में अद्यतन रहना, नए योग्यताओं को विकसित करना और परिवर्तनों का सामना करना भी आवश्यक होता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने समावेशी व्यापार का महत्वपूर्ण योगदान।भारत को दुनियां की तीसरी अर्थव्यवस्था त्वरित बनाने समावेशी व्यापार को बढ़ावा देना होगा।विकसित भारत के लक्ष को प्राप्त करने समावेशी व्यापार की चुनौतियों का समाधान, केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर देना ज़रूरी है।

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kishan bhavnani
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 
किशन सनमुख़दास भावनानी 

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