सैकड़ो वर्षों बाद नौ शुभ योग में नवरातत्रा पर्व

सैकड़ो वर्षों बाद नौ शुभ योग में नवरातत्रा पर्व 15 - 23 अक्टूबर 2023 पर विशेष

सैकड़ो वर्षों बाद नौ शुभ योग में नवरातत्रा पर्व
गज पर सवार होके आजा शेरांवांलिएं - शेरावांलिएं मां ज्योतावांलिएं।
भारत में नवरात्रा उत्सव कष्टों से मुक्ति, सुख समृद्धि का प्रतीक - इस वर्ष नौ शुभ योग में नवरात्रा के कारण खरीदी निवेश फायदेमंद होंगे - धार्मिक विशेषज्ञों का अनुमान - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर आदि अनादि काल से भारत आध्यात्मिक, आस्था का प्रतीक रहा है, जो हजारों वर्षों पूर्व के इतिहास में दर्ज है,जिसे हम कहानियों मान्यताओं के रूप में अपने पूर्वजों, पूर्वज पीडियों और वर्तमान में बड़े बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं। भारत एक सर्वधर्म धर्मनिरपेक्ष देश है जहां हिंदू मुस्लिम सिख इसाई सहित अनेकों जातियों प्रजातियों उपजातियों द्वारा अपने-अपने स्तर व मान्यताओं के अनुसार धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। किसी को कोई पाबंदी नहीं है, यही भारतीय संविधान की खूबसूरती है, यह हम आज इसलिए कह रहे हैं क्योंकि 15 से 23 अक्टूबर 2023 तक शुभ नवरात्रा दिवस हैं जो प्रतिवर्ष अक्टूबर महीने की भिन्न-भिन्न तिथियां में मनाए जाते हैं। यह किसी एक राज्य में नहीं बल्कि अनेक राज्यों में गहरी आस्था के साथ मनाया जाता है। इस अवधिमें कठोर व्रत रखा जाता हैअपनीअपनी मान्यता सार्थकता के अनुसार- चप्पल नहीं पहनना, बाल शेविंग नहीं बनाना, नीचे धरती पर सोना,, ब्रह्मचर्य रहना मौन धारण करना सहित अपनी शक्ति के अनुसार अनेक प्रकारों की के बातों से दूर रहने का पालन अपनीमनोकामना पूरा करने, फल की चाहना के लिए मां दुर्गा काली से कामना करते हैं। इस वर्ष 15 से 23 अक्टूबर 2023 को 400 वर्षों बाद 9 दिन शुभ वाली स्थिति आई है जिसमें नवरात्र के 9 दिन ही खरीदी, निवेश सबसे अधिक फायदेमंद होने की बात धार्मिक विशेषज्ञों द्वारा बताई गई है तथा एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार मां दुर्गा गज यानें हाथी पर विराजमान होकर आ रही है।कुछ वर्षा साथ लेकर व विसर्जन के दौरान भी वर्षा का योग है। चूंकि इस वर्ष 9 दिन की नवरात्त्रा विशेष महत्वपूर्ण योग लेकर आई है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत में नवरात्र उत्सव कष्टों से मुक्ति, सुख समृद्धि का प्रतीक है। इस वर्ष 9 शुभ योग में नवरातत्रा के कारण खरीदी, निवेश फायदेमंद होंगे, ऐसा धार्मिक विशेषज्ञों का अनुमान है।

साथियों बात अगर हम इस बार 15 -23 अक्टूबर 2023 को माता की सवारी और उसके महत्व की करें तो,इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत रविवार से हो रही है और जब रविवार के दिन से नवरात्रि शुरू होती है तो माता का वाहन हाथी होता है। हाथी पर सवार होकर माता का आगमन अधिक वर्षा का संकेत देता है। वैसे तो अलग अलग वार याने दिन के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा के वाहन डोली, नाव, घोड़ा, भैंसा, मनुष्य व हाथी होते हैं, मान्यता के अनुसार यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू हो रही है तो मां दुर्गा का वाहन हाथी होता है, जो अधिक वर्षा के संकेत देता है। वहीं यदि नवरात्रि मंगलवार और शनिवार शुरू होती है, तो मां का वाहन घोड़ा होता है, जो सत्ता परिवर्तन का संकेत देता है। इसके अलावा गुरुवार या शुक्रवार से शुरू होने पर मां दुर्गा डोली में बैठकर आती हैं जो रक्तपात, तांडव, जन-धन हानि का संकेत बताता है। वहीं बुधवार के दिन से नवरात्रि की शुरुआत होती है, तो मां नाव पर सवार होकर आती हैं। नाव पर सवार माता का आगमन शुभ होता है। अगर नवरात्रि का समापन रविवार और सोमवार के दिन हो रहा है, तो मां दुर्गा भैंसे पर सवार होकर जाती हैं, जिसे शुभ नहीं माना जाता है। इसका मतलब होता है कि देश में शोक और रोग बढ़ेंगे। वहीं शनिवार और मंगलवार को नवरात्रि का समापन हो तो मां जगदंबे मुर्गे पर सवार होकर जाती हैं। मुर्गे की सवारी दुख और कष्ट की वृद्धि को ओर इशारा करता है। बुधवार और शुक्रवार को नवरात्रि समाप्त होती है, तो मां की वापसी हाथी पर होती है, जो अधिक वर्षा को ओर संकेत करता है। इसके अलावा यदि नवरात्रि का समापन गुरुवार को हो रहा है तो मां दुर्गा मनुष्य के ऊपर सवार होकर जाती हैं, जो सुख और शांति की वृद्धि की ओर इशारा करता है।

साथियों बात अगर हम नवरात्र उत्सव आगमन की मान्यताओं की करें तो इस वर्ष नौ शुभ योग हैं। सितारों की ऐसी स्थिति पिछले 400 सालों में नहीं बनी।इस बार नवरात्रि का हर दिन शुभ रहेगा। इन दिनों में प्रॉपर्टी खरीदने से लेकर नया बिजनेस शुरू करने तक हर मुहूर्त रहेगा। इन दिनों में सिर्फ पूजा-पाठ ही नहीं होती, नई शुरुआत और खरीदारी के लिए भी ये दिन बहुत शुभ होते हैं। 15 अक्टूबर से शुरू होने वाली नवरात्रि अखंड रहेगी यानी अंग्रेजी तारीख और तिथियों का ठीक तालमेल होने से एक भी तिथि कम नहीं होगी। इस तरह पूरे नौ दिनों का शक्ति पर्व होना शुभ संयोग है।विशेष योग संयोग में गहने, नई प्रॉपर्टी की खरीद या फ्लैट बुक कराना फायदेमंद रहेगा। साथ ही नए कामों की शुरुआत करना भी सफलतादायक रहेगा। गाड़ी, स्वर्ण, चांदी, वस्त्रत्त्, बर्तन की खरीदारी शुभ रहेगा. वहीं आभूषण, गाड़ी, भूमि, भवन, गृह सामग्री फ्रिज, टीवी आदि खरीदना शुभ साबित होगी. अपने पसंदीदा सामान की इस दौरान खरीदारी कर घरों में खुशियां ला सकते हैं। शारदीय नवरात्रि के साथ ही खरीदारी और निवेश के लिए भी शुभ समय की शुरुआत हो चुकी है। देवी दुर्गा का आगमन कष्टों से मुक्ति का संकेत दे रहा है। ये सुख-समृद्धि का प्रतीक है. हाथी का संबंध विघ्नहर्ता गणेश और देवी महालक्ष्मी से भी है। इस कारण इन दिनों की गई खरीदारी शुभ होगी और निवेश लंबे समय तक फायदा देने वाला रहेगा। तिथि, वार और नक्षत्रों से मिलकर सर्वार्थसिद्धि, राजयोग, त्रिपुष्कर, अमृतसिद्धि और रवियोग बन रहे हैं. इन शुभ संयोगों से सुख और समृद्धि बढ़ेगी।
साथियों बात अगर हम नौ शुभ तिथियों और शारदीय नवरात्र की तिथियों की करें तो, 15 अक्टूबर - पद्म और बुधादित्य योग, 16 अक्टूबर - छत्र योग, स्वाती नक्षत्र और भद्रा तिथि का संयोग 17 अक्टूबर - प्रीति, आयुष्मान और श्रीवत्स योग 18 अक्टूबर - सर्वार्थसिद्धि और अमृतसिद्धि योग 19 अक्टूबर - ज्येष्ठा नक्षत्र और पूर्णा तिथि संयोग 20 अक्टूबर – रवियोग, षष्ठी तिथि और मूल नक्षत्र का संयोग

21 अक्टूबर - त्रिपुष्कर योग। 22 अक्टूबर - सर्वार्थसिद्धि और रवियोग 23 अक्टूबर -सर्वार्थसिद्धि और रवियोग (2) शारदीय नवरात्रि की तिथियां -15 अक्टूबर 2023 - मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि 16 अक्टूबर 2023 - मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि 17 अक्टूबर 2023 - मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि 18 अक्टूबर 2023 - मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि 19 अक्टूबर 2023 - मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि 20 अक्टूबर 2023 - मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि 21 अक्टूबर 2023 - मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि 22 अक्टूबर 2023 - मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी 23 अक्टूबर 2023 - महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण 24 अक्टूबर 2023 - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा)
साथियों बात कर हम कन्याओं और देवी के शास्त्रों की पूजा की करें तो, अष्टमी को विविध प्रकार से मां शक्ति की पूजा करें. इस दिन देवी के शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए. इस तिथि पर विविध प्रकार से पूजा करनी चाहिए और विशेष आहुतियों के साथ देवी की प्रसन्नता के लिए हवन करवाना चाहिए. इसके साथ ही 9 कन्याओं को देवी का स्वरूप मानते हुए भोजन करवाना चाहिए. दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा को विशेष प्रसाद चढ़ाना चाहिए. पूजा के बाद रात्रि को जागरण करते हुए भजन, कीर्तन, नृत्यादि उत्सव मनाना चाहिए, 2 साल की कन्या को कुमारी कहा जाता है. इनकी पूजा से दुख और दरिद्रता खत्म होती है। 3 साल की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती है. त्रिमूर्ति के पूजन से धन-धान्य का आगमन और परिवार का कल्याण होता है। 4 साल की कन्या कल्याणी मानी जाती है. इनकी पूजा से सुख-समृद्धि मिलती है। 5 साल की कन्या रोहिणी माना गया है. इनकी पूजन से रोग-मुक्ति मिलती है। 6 साल की कन्या कालिका होती है. इनकी पूजा से विद्या और राजयोग की प्राप्ति होती है। 7 साल की कन्या को चंडिका माना जाता है. इनकी पूजा से ऐश्वर्य मिलता है। 8 साल की कन्या शांभवी होती है. इनकी पूजा से लोकप्रियता प्राप्त होती है। 9 साल की कन्या दुर्गा को दुर्गा कहा गया है. इनकी पूजा से शत्रु विजय और असाध्य कार्य सिद्ध होते हैं। 10 साल की कन्या सुभद्रा होती है। सुभद्रा के पूजन से मनोरथ पूर्ण होते हैं और सुख मिलता है। पूरे वर्ष में,चार नवरात्रि मनाई जाती है। यह नवरात्रि शारदीय होगी, जो आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक मनाई जा रही है। इस दौरान, भक्त मां दुर्गा और उनके नौ अवतारों - नवदुर्गाओं की पूजा करते हैं। यह त्यौहार नौ दिनों तक मनाया जाता है, इसलिए सही तिथियों और कलश स्थापना के सही मुहूर्त को जानना आवश्यक है। नवरात्रि के पहले दिन ही कलश स्थापना की जाती है। मान्यता है कि कलश स्थापना मुहूर्त में ही करनी चाहिए, क्योंकि नौ दिनों यह देवी के स्वरूप में आपके निवास स्थान में विराजमान रहता है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सैकड़ो वर्षों बाद नौ शुभ योग में नवरात्रा पर्व 15 - 23 अक्टूबर 2023 पर विशेष गज पर सवार होके आजा शेरांवांलिएं - शेरावांलिएं मां ज्योतावांलिएं।भारत में नवरात्रा उत्सव कष्टों से मुक्ति, सुख समृद्धि का प्रतीक - इस वर्ष नौ शुभ योग में नवरात्रा के कारण खरीदी निवेश फायदेमंद होंगे - धार्मिक विशेषज्ञों का अनुमान है।

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kishan bhavnani
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 
किशन सनमुख़दास भावनानी 

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