दिवाली की सफाई और शापिंग में रखें स्वास्थ्य और बजट का ध्यान

दिवाली की सफाई और शापिंग में रखें स्वास्थ्य और बजट का ध्यान

दिवाली की सफाई और शापिंग में रखें स्वास्थ्य और बजट का ध्यान
नवरात्र पूरी हुई और दशहरा भी चला गया, अभी थकान भी नहीं गई कि हम सभी को दिवाली के कामों का टेंशन होने लगा है। जबकि आज की जनरेशन जल्दी टेंशन नहीं लेती। पर शादीशुदा महिलाओं को तो यह टेंशन थोड़ी-बहुत लेनी ही पड़ती है। अभी नौ दिन के व्रत-पूजा की थकान उतरी भी नहीं है कि छुट्टी के दिनों में सफाई के झंझट में पड़ना ही है। कभी-कभार यह सफाई का अभियान इतना लंबा और मुश्किल हो जाता है कि इसकी वजह से त्योहारों में महिलाएं बीमार पड़ जाती हैं। पहले का समय अलग था। तब सफाई का अभियान एक निश्चित तरह का था, घर में गोबर-मिट्टी की लिपाई-पोताई से ले कर घर के तमाम छोटे-बड़े बर्तनों की धुलाई होती थी। घर का हर कपड़ा धोया जाता था, घर की गुदरी से ले कर सारे गद्दों और रजाई के कवर तक धो दिए जाते थे, जिनका उपयोग भले ही एक बार भी न किया गया हो। उस समय महिलाएं बहुत काम करती थीं।

शापिंग का झंझट, बजट न बिगाड़ें

पर अब समय बदल गया है।
दिवाली के समय सब से बड़ा दूसरा काम है दिवाली की खरीदारी और बजट। महिलाओं की एक आदत यह होती है कि वे जो खरीदने जाती हैं, वह तो लेती ही हैं, उसके साथ अन्य दूसरी तमाम चीजें पसंद कर लेती हैं। जो भी देखती हैं, वही लेने का मन हो जाता है। परिणामस्वरूप जिस चीज की जरूरत नहीं होती, वह भी खरीदकर ले आती हैं। जिससे अधिक खर्च हो जाता है और बजट बिगड़ जाता है। मिडिलक्लास फैमिली को इन बातों का बहुत ध्यान रखना पड़ता है। इनके लिए बिगड़ा बजट घर में कलह पैदा करता है। कभी-कभी यह भी होता है कि कोई महिला किसी दूसरी महिला का सामान देखती है तो वह सामान लेने का उसका भी मन हो जाता है। महिलाओं में देखादेखी का महत्व अधिक होता है। यह देखादेखी मन को दुखी भी कर देता है। दूसरे द्वारा ली गई चीज हमें भी लेनी है, यह सोच कभी-कभी घर में अशांति भी पैदा करा देती है। ज्यादातर महिलाएं जब ऐसा करती हैं और किसी कारणवश वह चीज नहीं ले पातीं तो दुखी हो जाती हैं। इसकी वजह से पति से कहासुनी भी हो जाती है। इस बात का ख्याल रखें ऐसी स्थिति न खड़ी हो। याद रखें कि किसी का महल देख कर अपनी झोपड़ी न जलाएं। किसी ने लिया है और हमें भी लेना है। अगर बजट हो और वह चीज जरूरी हो, तभी खदीदें। बाकी बजट से बाहर बेकार खर्च न करें। बजट से बाहर खर्च करने पर आगे चल कर समस्या खड़ी हो सकती है।

बजट का रखें ख्याल

दिवाली के पहले हमेशा एक बजट बना लेना चाहिए। बजट के साथ ही यह भी तय कर लें कि कौन-कौन सी चीज लेनी है। जिन चीजों की जरूरत हो, उसकी एक लिस्ट बना लें। उसी लिस्ट के अनुसार ही शापिंग करें। लिस्ट के हिसाब से शापिंग करेंगी तो बेकार खर्च नहीं होगा और बजट भी नहीं बिगड़ेगा। क्योंकि शोभा में पैसा खर्च करने के बजाय उसे बचा कर रखेंगी तो वह कभी परेशानी के समय में काम आएगा। तिजोरी साजश्रृंगार की चीजों से भरी हो और पैसा न हो तो तकलीफ के समय में रोना ही पड़ेगा।

समय के साथ परंपरा भी बदलती है

आज के समय में नौकरी करने वाली महिला के पास न तो उतना समय होता है और न ही उतनी ताकत। अब महिलाओं का लक्ष्य भी बदल गया है। हम सभी को समय के साथ चलना पड़ता है। अब घड़ी की सुई के हिसाब से काम करने वाली महिलाओं के पास घर की छोटी से छोटी चीज का ढ़ंग से साफ करने का समय नहीं होता। अब सफाई के लिए बाहर से आदमी बुलाए जाते हैं। अपनी मानिटरिंग के अंतर्गत वे घर की प्राॅपर सफाई कर देते हैं। यहां कहने का मतलब यह नहीं है कि आप खुद सफाई न करें। अगर आप के पास समय है और आप का शरीर साथ दे रहा है तो आप खुद भी सफाई कर सकती हैं। बात मात्र इतनी है कि करने के लिए करना है, ऐसा करने के बजाय अगर आप के पास सुविधा है और आप के पास समय का अभाव है तो आप बाहर से आदमी बुला कर सफाई करवा सकती हैं।

शरीर और पैसे का रखें ख्याल

हम साल में न जाने कितना पैसा मात्र शौक में खर्च कर देते हैं। तब पैसे की गिनती नहीं करते। तब ऐसे में बेकार के खर्च बचा कर घर के काम और सफाई के लिए आदमी बुला सकती हैं। वैसे तो यह हर किसी की पर्सनल च्वाइस है। कुछ लोग दिवाली के काम खुद ही करना चाहती हैं। अगर आप अपने काम खुद कर सकती हैं तो इसमें कोई बुराई भी नहीं है। सवाल मात्र यह है कि शरीर को तकलीफ हो इस हद तक कोई काम नहीं करना चाहिए। कभी ऐसा भी होता है कि हम सभी काम में इस तरह लग जाती हैं कि बाद में बीमार पड़ जाती हैं। आज के समय में नौकरी करने वाले लोगों के लिए छुट्टी की परेशानी होती है। ऐसे में त्यौहार पर बीमार हो जाने पर सारा मूड खराब हो जाता है। पूरे साल भर एक ही तरह जीवन जीते हुए हम त्यौहारों में थोड़ा मौजमजा करना चाहते हैं। पर इस समय काम के ओवरलोड के कारण बीमार पड़ जाने पर त्यौहार की छुट्टी का कोई मतलब नहीं रह जाता। इसलिए जो भी करें, खूब सोच विचार कर, शरीर को ज्यादा तकलीफ न हो, तबीयत न खराब हो, इस तरह करें। जिससे त्यौहार के समय में कोई समस्या न आए।
अक्सर ऐसा होता है कि इन कामों की वजह से घर में कहासुनी हो जाती है। घर में किसी तरह का किचकिच न हो, इस बात के ध्यान रख कर दिवाली के समय में काम करें। काम की वजह से घर में कुछ खट्टामीठा न हो, संबंध में खटास न आए, इस तरह इस मामले को टैकल करें।

About author

Sneha Singh
स्नेहा सिंह
जेड-436ए, सेक्टर-12
नोएडा-201301 (उ.प्र.) 

تعليقات