हमारी हिन्दी |kavita -hamari hindi
है विरासत हमारी यह हिन्दीहींग्लीश रह गई बेचारी हिन्दी
विमुख रही अपनों के मुख से
प्रेम भाव से वंचित यह हिन्दी
दफ़्तरों से हिन्दी अब रूठ चली
कलमकारों घर ठाठ है इसकी
कभी टेबल पर पड़े मुस्काए तो
कलमकारों की मौज हैं हिन्दी
कंठव्यों में कांत यह हिन्दी
ताल्व्यों की तान यह हिन्दी
मूर्धन्यों की मान यह हिन्दी
दन्तव्यों की दान यह हिन्दी
ओष्ठव्यों का अवसर हिन्दी
स्वरों में भक्ति का भान हिन्दी
आंचल का दूब धान यह हिन्दी
माँगो में बिंदी शान यह हिन्दी
मां सी उदगार यह हिन्दी
वात्सल्यता का वेद यह हिन्दी
हम सब की प्राण यह हिन्दी
भारत की पहचान यह हिन्दी
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