नमस्ते फ्रॉम भारत

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नमस्ते फ्रॉम भारत
वैश्विक मंचों पर भारत को नज़रअंदाज करने के दिन लद गए - भारत ग्लोबल साउथ का नेता बनने की ओर
वैश्विक मंचों पर एजेंडा और मानदंडों को तय करने में भारत के सुझावों को रेखांकित करना समय की मांग है - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारत की बढ़ती उपलब्धियों कुछल कूटनीति विदेश नीति, ग्लोबल साउथ में बढ़ते कद, व्यापार व्यवसाय मैन्युफैक्चरिंग के अनेक क्षेत्रों में वैश्विक हब बनने की ओर अग्रसर,भारत में दशकों से उलझे हुए मुद्दे कुशाग्र बौद्धिक क्षमता से सुलझाना अद्भुत अविश्वसनीय है तथा जी-20 दिल्ली घोषणा पत्र को विकसित देशों की सर्वसम्मति से पहले दिन ही पारस्परिक सहमति बनाना दुनियां के देशों को भारत के वैश्विक नेतृत्व करने कीयोग्यता का इशारा दे रहा है, जो बड़े-बड़े विकसित देश इसको समझ रहे हैं, लेकिन बोल नहीं रहे हैं।आखिरकार दिनांक 26सितंबर 2023 को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78 वें सत्र में देर शाम विदेश मंत्री ने वक्तव्य देते हुए कहा कि अभी वे दिन लद गए, जब सभी देशों को उनके एजेंडे के अनुरूप सहमति दर्शनां पड़ता था, लेकिन अब स्थितियां बदल गई है अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस बदलते परिपेक्ष में नियमआधारित व्यवस्था और संयुक्त चार्ट का सामान करने और राजनीतिक सुविधा से आतंकवादी उग्रवाद की प्रतिक्रिया का आधार नहीं बना सकते है। चूंकि 194 देश से अधिक देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त राष्ट्र की महासभा में भारत के वक्तव्य को सभी देशों ने गंभीरता से सुना और उससे पहले नमस्ते फ्रॉम भारत पर पूरा हाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, वैश्विक मंचों पर एजेंडा और मानदंडों को तय करने में भारत के सुझावों को रेखांकित करना समय की मांग है।यूएनएससी में भारत की स्थाई सदस्यता ज़रूरी है।
साथियों बात अगर हम संयुक्त राष्ट्र महासभा में 26 सितंबर 2023 को माननीय विदेश मंत्री के वक्तव्य की करें तोसंयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए अपने संबोधन की शुरुआत भारत से नमस्ते' बोलकर की।उन्होंने कहा,नमस्ते फ्रॉम भारत (भारत की ओर से नमस्ते) इसके बाद तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दी।यूएनजीए में कहा कि यूएनएससी में बदलाव होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कूटनीति और बातचीत से ही दुनियां में तनाव को कम किया जा सकता है। अब वे दिन नहीं रहे हैं, जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और बाकी देशों से उनके अनुरूप चलने की उम्मीद की जाती थी। उन्होंने बल देकर कहा कि आज आम सहमति बनाना अनिवार्यता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र को सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाना चाहिए और इसके लिए प्रभावशीलता और विश्वसनीयता दोनों ही आवश्‍यक है। कनाडा और पाकिस्तान के एक अन्य परोक्ष संदर्भ मे संयुक्त राष्ट्र से कहा कि राजनीतिक सुविधा आतंकवाद या उग्रवाद की प्रतिक्रिया का आधार नहीं हो सकती है।उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से नियम-आधारित व्यवस्था और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करने की अपील की।किसी देश का नाम लिए बिना उन देशों को भी आड़े हाथों लिया जो दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करते हैं। उन्होंने कहा, भारत अपनी जिम्मेदारी महसूस करता है। विश्व की वित्तीय संस्थाओं में बदलाव होना चाहिए।यूएनएसी में बदलाव होनाचाहिए। दुनिया उथल-पुथल के दौर का सामना कर रही है। कूटनीति और बातचीत ही तनाव को कम कर सकती है। विश्व से भूख और गरीबी को मिटाना है। दुनियां में कई जगह संघर्ष चल रहा हैदुनियां के सामने बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा,भारत में हाल में जी-20 शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ, विश्व के सामने विकास की चुनौति है। उन्होंने कहा,एक पृथ्वी,एक परिवार एक भविष्य का भारत का दृष्टिकोण महज कुछ देशों के संकीर्ण हितों पर नहीं, बल्कि कई राष्ट्रों की प्रमुख चिंताओं पर ध्यान केंद्रित करने का प्रयास करता है। उन्होंने कहा,अब भी कुछ ऐसे देश हैं जो एजेंडा को आकार देते हैं और मानदंडों को परिभाषित करना चाहते हैं।यहअनिश्चितकाल तक नहीं चल सकता।उन्होंने कहा, जी20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किए जाने से संयुक्त राष्ट्र को भी सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने की प्रेरणा मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा,गुट निरपेक्ष के युग से निकलकर अब हमने विश्व मित्र की अवधारणा विकसित की है। वे दिन बीत गए जब कुछ राष्ट्र। भारत की पहल पर जी20 में अफ्रीकन यूनियन विदेश मंत्री ने कहा,भारत की पहल की वजह से जी-20 में अफ्रीकन यूनियन को स्थाई सदस्यता मिली है। ऐसा करके हमने पूरे महाद्वीप को एक आवाज दी, जिसका काफी समय से हक रहा है. इस महत्वपूर्ण कदम से संयुक्त राष्ट्र, जो उससे भी पुराना संगठन है, सुरक्षा परिषद को समसामयिक बनाने के लिए प्रेरित होना चाहिए भारतीय विदेश मंत्री ने कहा अपनी सफलता के साथ विश्वास को बहाल करना है। कोविड का विश्व पर अलग प्रभाव पड़ा है। सतत विकास की विश्व के सामने चुनौती है।दुनिया में गैर बराबरी है.l, विकासशील देशों पर ज्यादा दबाव है। उन्होंने अपने भाषण के दौरान परोक्ष रूप से चीन और पाकिस्तान पर भी निशाना साधा, उन्होंने कहा, बाजार की शक्ति का इस्तेमाल भोजन और ऊर्जा को जरूरतमंदों से अमीरों तक पहुंचाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए, न ही हमें इसका समर्थन करना चाहिए कि राजनीतिक सुविधा आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसा प्रतिक्रियाएं निर्धारित करे। इसी तरह चेरी-पिकिंग (किसे चुने और किसे नहीं) के रूप में क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का अभ्यास नहीं किया जा सकता है। जब वास्तविकता बयानबाजी से दूर हो जाती है तो हमें इसे सामने लाने का साहस होना चाहिए।
साथियों बात अगर हम विदेश मंत्री के वक्तव्य पर विशेषज्ञों के विचारों की करें तो, उनके मुताबिक विदेश मंत्री के भाषण में दो-तीन बातें अहम थीं, वो कहते हैं,पहली बात ये कही कि जिन दो-चार बड़े देशों की पूरी दुनिया में चलती थी, जो अपने एजेंडे को दुनियां पर थोपते थे अब उनकी नहीं चलेगी। दुनियां कासमीकरण बदल गया है। अब ग्लोबल साउथ की आवाज़ें सुनी जाएंगी। दूसरी अहम बात जो उन्होंने कही वो यह कि भारत ने बहुत कामयाबी से जी20 शिखर सम्मेलन आयोजित किया। नई दिल्ली घोषणापत्र ऐतिहासिक था, जिसे हमेशा के लिए याद रखा जाएगा। भारत की पहल की वजह से अफ़्रीकन यूनियन को जी20 में शामिल किया गया। भारत हमेशा विकासशील कहे जाने वाले देशों या ग्लोबल साउथ की आवाज़ बना रहेगा।विदेश मंत्री ने अपने भाषण में कहा कि नई दिल्ली में हुए जी-20 सम्मेलन से जो कुछ हासिल हुआ, उसकी गूंज आने वाले कई सालों तक सुनाई देगी। उनका कहना था भारतगुटनिरपेक्ष आंदोलन के दौर से बाहर निकल चुका है. हम विश्व मित्र के तौर पर उभरे हैं। विदेश मंत्री के भाषण पर वो कहते हैं,उन्होंने कनाडा भारत तनाव का जो संदर्भ दिया वह अप्रत्यक्ष था। जब उन्होंने कहा कि आप अपनी सुविधा के लिए मुद्दों का चयन नहीं कर सकते। तनाव का एक और परोक्ष संदर्भ यह था कि कैसे कुछ राष्ट्र आज वैश्विक एजेंडा निर्धारित करते हैं। उन्होंने कहा कि इसे अब चुनौती दिए बिना नहीं रहा जा सकता।भारत के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि वो दिन ख़त्म हो गए जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और दूसरों से उसके अनुरूप चलने की उम्मीद करते थे, ऐसे समय में जब पूर्व-पश्चिम ध्रुवीकरण इतना तीव्र है और उत्तर-दक्षिण विभाजन इतना गहरा है, नई दिल्ली शिखर सम्मेलन भी इस बात की पुष्टि करता है कि कूटनीति और संवाद ही एकमात्र प्रभावी समाधान हैं।
अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नमस्ते फ्रॉम भारत।वैश्विक मंचों पर भारत को नज़रअंदाज करने के दिन लद गए-भारत ग्लोबल साउथ का नेता बनने की ओर।वैश्विक मंचों पर एजेंडा और मानदंडों को तय करने में भारत के सुझावों को रेखांकित करना समय की मांग है।

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kishan bhavnani
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 
किशन सनमुख़दास भावनानी 

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