बेटियों के जन्मदिन को कन्या उत्सव के रूप में मनाए

बेटियों के जन्मदिन को कन्या उत्सव के रूप में मनाए

बेटियों के जन्मदिन को कन्या उत्सव के रूप में मनाए


जिंदगी में बेटी का होना जीवन की सबसे बड़ी खुशियों में से एक है
समाज में बेटियों के प्रति जागरूकता फैलाकर घर की शान बनाने के लिए प्रेरित करें - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर पूरी दुनियां देख रही है, भारत में किस तरह माताओंं बहनों बेटियों का सम्मान होता है। इनके लाभार्थ अनेकों योजनाएं चल रही है अभी 29 अगस्त 2023 को दोपहर बाद घरेलू गैस पर 200 रुपए छूट उज्ज्वल पर टोटल 400 रुपए छूट का तोहफा राखी महोउत्सव - 2023 के उपलक्ष में दिया गया है। वर्तमान प्रौद्योगिकी डिजिटल युग में जहां बेटियों का हर क्षेत्र में वर्चस्व गंभीरता से बढ़ता जा रहा है एवं हर क्षेत्र में बेटियां बेटों से आगे बढ़ते जा रही है, वही आज भी समाज में बेटियों को उस नजर से नहीं देखा जाता जिस नजर से बेटों को देखा जाता है। कठोर कानून होने के बावजूद आज भी अंदर खाने लड़कियों को गर्भ में ही समाप्त करने की घटनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता जिसमें प्रबुद्ध नागरिकों सहित चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े कुछ लोगों का भी हाथ हो सकता है जो मानवता पर धिक्कार है। अगर हम अपने आसपास ही देखेंगे तो रिश्तेदारी, घर,पड़ोस में लड़की हुई हो तो इतनी ख़ुशी नहीं दिखती। परंतु जब लड़का हुआ हो तो चारों तरफ ढोल पताशे, मिठाइयां, रिश्तेदारों को तुरंत फोन, लड़का हाथों में आने पर सबसे पहले उसकी फोटो सोशल मीडिया तथा रिश्तेदारों में, व्हाट्सएप ग्रुप में भेज दी जाती है। जच्चा बच्चा के अस्पताल से घर आने पर पटाखों की लड़ियां और डीजे काइंतजाम किया जाता है। घर में बड़ा फंक्शन किया जाता है। छठी या बारसे पर पार्टी के नाम पर हजारों लाखों फूक दिए जाते हैं। परंतु लड़की होने पर सबके मुंह बंद रहते हैं यहां तक कि रिश्तेदारी या पास पड़ोस में भी पता नहींचलता कि लड़की कब हुई और फ़िर हैरानी की बात है,दूसरी या तीसरी भी लड़की सिजरिंग से हुई तो दूर-दूर तक चुप्पी छा जाती है ऐसा क्यों ? यह सब परिस्थितियां हम अपने आस-पड़ोस में भी बड़ी आसानी से देख सकते हैं और बेटियों बेटो में फर्क बड़ी आसानी के साथ महसूस कर सकते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार भी भारत में लिंगानुपात 918/1000 तबतक की सबसे कम रहा था। मेरा मानना है कि यह एक गंभीर सामाजिक बुराई है जिसे हम सबने सामूहिक प्रयास से जन भागीदारी से समाप्त करने की ओर कदम उठाना होगा। जिसमें मेरा सुझाव है कि हर व्यक्ति को अपनी वित्तीय परिस्थिति के अनुसार अपनी बेटी के जन्मदिन को कन्या उत्सव के रूप में भले ही घर में बनाए केक से ही मनाना चाहिए। हालांकि अनेक लोग मनाते भी हैं परंतु यह संदेश उन लोगों के लिए भी एक जागरूकता लाने का प्रयास है, जो नहीं मनाते हैं क्योंकि हमें याद रखना होगा कि जिंदगी में बेटी का होना जीवन की सबसे बड़ी खुशियों में से एक है। बेटी मां लक्ष्मी का दूसरा रूप है। चूंकि आज हम बेटियों का जन्मदिन गौरवपूर्ण ढंग से मनाने की बात कर रहे हैं, इसीलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,आओ बेटियों के जन्मदिन को कन्या का उत्सव के रूप में मनाएं।
साथियों बात अगर हम बेटी के जन्मदिन को कन्या का उत्सव के रूप में मनाने की करें तो इसकी शुरुआत हम सब ने अपने घर से करनी होगी और फिर इसके बाद ग्राम पंचायत, जिला परिषद, संसदीय क्षेत्र तक उत्सव मनाने की जरूरत है, जो बेटियों को उनके जन्मदिन का सबसे बड़ा तोहफा होगा। मैंने रिसर्च के दौरान पाया कि देश की अनेकों ग्राम पंचायतों में बेटियों के जन्मदिन को उत्सव के रूप में मनाए जाते हैं जो तारीफे काबिल है। जिसकी नजीर देश की हर ग्राम पंचायत को लेने की ज़रूरत है, जो देश की एक मिसाल बन सके।
साथियों बात अगर हम बेटी के जन्मदिन को कन्या उत्सव के रूप में भव्यता से मनाने की करें तो मुझे मीडिया में एमपी के विदिशा के बारे में पढ़ कर बहुत खुशी हुई कि, 21वीं सदी के भारत में जहां आज भी देश के कई इलाकों में बेटियों के जन्म पर खुशियां नहीं मनाई जातीं वहीं एमपी केविदिशा में एक परिवार ने बेटी के जन्म पर ऐसा जश्न मनाया कि हर कोई देखता रह गया। ऐसी नजीर पेश की कि शहर के लोग परिवार की प्रशंसा करते थकते नहीं नजर आ रहे हैं। एक घर पहले बच्चे के रूप में बेटी का जन्म हुआ, जिसकी खुशी उन्होंने खूब धूमधाम से मनाई। अस्पताल में बेटी के जन्म के बाद पूरा परिवार बेहद खुश था। अपनी इस खुशी में समाज को और अपने शहर को शामिल करने के लिए उन्होंने ऐसा जश्न मनाया कि आज पूरे शहर के साथ एमपी भी गौरवान्वित हुआ। अस्पताल से छुट्टी कराकर घर ले जाते वक्त उन्होंने ढोल नगाड़ों के साथ बग्गी में बिठाकर अपनी पत्नी को बिल्कुल वैसा हीअनुभव कराया जैसे जब वह उन्हें ब्याह कराकर अपने घर लाए थे, उन्होंने बकायदा बारात निकाली। बच्ची के जन्म से खुश पूरे परिवार की महिलाओं और पुरुषों ने पगड़ी पहनी थी। अपनी प्रथम संतान के रूप में बच्ची के जन्म से बेहद खुश थे। उनका कहना था कि हर बच्ची के भाग्य में पिता जरूर है लेकिन हर पिता के भाग्य में जरूरी नहीं कि बच्ची हो। हमारा पूरा परिवार बेहद खुश है और खुशी के इस मौके का इजहार करने के लिए हमने ढोल बाजे के साथ घर की लक्ष्मी का स्वागत किया है। मेरा मानना है इसका अनुसरण देश के हर नागरिक को करने की जरूरत है, ऐसे मौके पर जब सड़क से लेकर संसद तक लड़कियों की सुरक्षा पर चिंता जताई जा रही है। बच्चियों के माता-पिता महिलाओं के साथ होते जा रहे अत्याचारों से चिंतित हैं। ऐसे समय में आई यह तस्वीर दिल को सुकून देने वाली है।
साथियों बात अगर हम हर वर्ष बेटी दिवस मनाने की करें तो, हर वर्ष सितंबर माह के चौथे रविवार को हैप्पी डाटर्स डे यानी बेटी दिवस सेलिब्रेट किया जाता है। यह दिन सभी तरीके से बहुत खास होता है। बेटी दिवस मनाने का मुख्य कारण यह है की बेटियों को इस बात की महत्वता समझायी जाये की वह किसी क्षेत्र या किसी से कमतर नहीं है। हमारे यहाँ डॉटर्स डे हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, इस दिन हमारे घर की सभी बेटियों को स्पेशल फील करवाया जाता है और हम उन्हें प्यारे प्यारे तौह्फे भी देते है। अब क्यों ना हम अपनी बेटियों को सराहे। बेटी हर घर की शान होती हैं, कुल का मान होती हैं और पिता की जान होती है। एक बेटी अपने अंदर दो ह्रदय रखती है, एक हृदय में खुद की भावनाओं को संजोती है तो दूसरे में सबकी चिंता। बेटी वह घर से कितनी भी दूर हो लेकिन उसका दिल अपनो की चिंता करना नहीं भूलता है। वैसे हर पिता को अपनी बेटी से प्यार होता है, उसकी बेटी उसके लिए परी होती है किन्तु पिताओं को अपनी भावनाओं को छुपाना आता है,बेटी को एहसास दिलाना हर पिता का कर्तव्य है कि बेटी आगे बढ़ो तुम्हारा पिता तुम्हारे साथ है, बेटी खुश रहो हर खुशी तुम्हारे लिए।लड़कियां किसी की मां, पत्नी और बहन हैं फिर बेटियों की जरूरत क्यों नहीं है। बेटियां घर परिवार की रौनक है आज बेटियां पढ़ाई में नाम कमाती है, खेल की दुनिया में निशाना लगाती है। आज बेटियों को आसमान में पक्षियों की तरह उड़ना आ गया है, आज बेटियों को जल में मछली की तरह तैरना भी आ गया है फिर भी हम उन्हें तुलनात्मक जीवन जीने पर मजबूर क्यों करते हैं? मैंने खुद ने अपनी आंखों से घर में देखा है कि बेटियों का जब जन्मदिन मनाते हैं तो कितना खुश होती है।बेटियां घर की शान होती हैं। कहा, जाता है कि जिस घर में बेटी का जन्म होता है, उस घर में खुद माता लक्ष्मी का वास होता है और इस वजह से केवल घर ही नहीं बल्कि समाज में भी बेटियों की अपनी खास जगह है।
बेटियां होती हैं जिंदगी में बहुत खास
उनके साथ अनोखा होता है एहसास,
हर किसी को होना चाहिए इन पर नाज़,
क्योंकि बेटी है जीवन का साज।
अतः अगर हम उपरोक्त पर्यावरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आओ बेटी के जन्मदिन को कन्या का उत्सव के रूप में मनाए। जिंदगी में बेटी का होना जीवन की सबसे बड़ी खुशियों में से एक है।समाज में बेटियों के प्रति जागरूकता फैलाने,अपनी बेटी के जन्मदिन को कन्या उत्सव के रूप में मनाए, बेटी मां लक्ष्मी का रूप है।

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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट 
किशन सनमुख़दास भावनानी 
 गोंदिया महाराष्ट्र

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