भारत-अमेरिका में चुनाव 2024 की दस्तक

भारत-अमेरिका में चुनाव 2024 की दस्तक

भारत-अमेरिका में चुनाव 2024 की दस्तक
कल्याणकारी योजनाएं बनाम मुफ़्त रेवड़ीयां संस्कृति

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का नस्ल आधारित शिक्षण एडमिशन के बाद छात्र ऋण माफी योजना ख़ारिज करना बाइडेन प्रशासन को दूसरा झटका
भारत अमेरिका में 2024 के चुनाव संबंधित लोकलुभावन घोषणाओं पर जनता जनार्दन सहित न्यायपालिका की पैनी नजर को रेखांकित करना जरूरी - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया
गोंदिया- दुनियां की नज़र आजकल भारत और अमेरिका पर लगी हुई है क्योंकि दोनों की दोस्ती की जड़ें गहरी करने का पूरा इंतजाम करने में कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। चूंकि दुनियां के सबसे बड़े और दुनियां के सबसे पुराने लोकतंत्र में 2024 में आम चुनाव होने हैं और वे दोनों देशों के प्रमुख समकक्ष के भविष्य का निर्धारण करेंगे, इसी को ध्यान में रखते हुए शायद दोनों नेता अपने अपने स्तरपर नीतियां रणनीतियां निर्धारित करने में लगे हुए हैं। एक और भारतीय पीएम 2023 के अंत तक होने वाले एमपी राजस्थान छत्तीसगढ़ आदि प्रदेशों के चुनाव के दौरे कर बेस मज़बूत करने में लगे हैं तो दूसरी ओर अमेरिकन राष्ट्रपति अमेरिकी भारतीय मूल को रिझाने में लगे हुए हैं जैसे भारतीय पीएम की स्टेट विजिट, रात्रि भोज, और अभी अमेरिका में हिंदी भाषा में शुरू हो सकती है पढ़ाई क्योंकि राष्ट्रपति को प्रस्ताव भेजा जा चुका है, संभावना है अगले साल अमेरिका में चुनाव है, इसलिए इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है परंतु दोनों देश के प्रमुखों के समक्ष कल्याणकारी योजनाएं बनाम मुफ्त रेवड़ियां संस्कृति की चुनौती भी है क्योंकि अभी लोकलुभावन घोषणाएं पर जनता जनार्दन से न्यायपालिका की पहली नजर को रेखांकित करना जरूरी है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण अभी 29 और 30 जून 2023 को अमेरिकन सुप्रीम कोर्ट ने अमेरिकी प्रशासन की नस्ल आधारित शिक्षण एडमिशन योजना और छात्र ऋण माफी योजना को खारिज कर सत्ताधारी प्रशासन को झटका दिया है। ऊपर से 2024 के इलेक्शन है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे भारत अमेरिका में 2024 के चुनाव संबंधित लोकलुभावन घोषणाओं पर जनता जनार्दन सहित न्यायपालिका की पैनी नजर को रेखांकित करना जरूरी है।
साथियों बात अगर हम 30 जून 2023 के ऐतिहासिक अमेरिकन सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की करें तो, छात्र ऋण की 400 अरब डॉलर की रकम माफ करने की राष्ट्रपति की योजना को शुक्रवार को नामंजूर कर दिया। न्यायालय ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि बाइडेन प्रशासन ने लाखों अमेरिकी नागरिकों के छात्र ऋण को रद्द करने या कम करने की कोशिश कर अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों ने इस मुद्दे पर 6-3 के बहुमत से फैसला सुनाया, जिसमें छात्र ऋण का 400 अरब डॉलर माफ करने की बाइडन की योजना को नामंजूर कर दिया गया है। इस फैसले से अब ऋण लेने वाले लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि उन्हें अब ऋण का भुगतान करना होगा। अदालत ने माना कि इतना महंगा कार्यक्रम शुरू करने से पहले बाइडन प्रशासन को कांग्रेस के समर्थन की आवश्यकता है। उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों ने बहुमत के साथ उन तर्कों को खारिज कर दिया कि छात्र ऋण से निपटने वाले द्विदलीय 2003 कानून ने बाइडन प्रशासन को यह अधिकार प्रदान किया है। गौरतलब है कि राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले साल छात्रों के 400 अरब डॉलर के ऋण माफ करने की योजना की घोषणा की थी। न्यायाधीशों ने दो करोड़ साठ लाख अमेरिकियों का ऋण माफ करने की बाइडेन की योजना को असंवैधानिक और राष्‍ट्रपति के अधिकार-क्षेत्र से बाहर बताया। एक दिन पहले ही उच्चतम अदालत ने कॉलेजों में नस्‍ल-आधारित दाखिलों को नामंजूर कर दिया था। उच्‍चतम न्‍यायालय ने हार्वर्ड समेत अमरीका के दो विश्वविद्यालयों को नस्‍ल आधारित दाखिला बंद करने का निर्देश दिया। उच्चतम न्यायालय के ताज़ा फैसले को अमेरिकी राष्‍ट्रपति और उनकी डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए एक और बड़ा राजनीतिक झटका माना जा रहा है। अमेरिका में 2024 में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं और इसकी तैयारी में डेमोक्रेटिक पार्टी कई लोकलुभावन घोषणाएं कर रही है। लाखों छात्रों के शिक्षा ऋण को माफ करना भी इसी का हिस्सा था। रूढ़िवादी-प्रभुत्व वाले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बााइडेन प्रशासन के तर्कों को खारिज कर दिया कि योजना 2003 के कानून के तहत वैध है, जिसे छात्रों के लिए उच्च शिक्षा राहत अवसर अधिनियम (हीरोज़ अधिनियम) कहा जाता है। कोर्ट ने कहा कि हीरोज अधिनियम का पाठ शिक्षा सचिव के ऋण माफी कार्यक्रम को अधिकृत नहीं करता है, साथ ही यह भी कहा कि अधिनियम के तहत सचिव की संशोधित करने की शक्तिअमेरिकी कांग्रेस द्वारा डिजाइन की गई योजना में बुनियादी और मूलभूत परिवर्तन की अनुमति नहीं देती है।बााइडेन प्रशासन ने पिछले साल संघीय छात्र ऋण उधारकर्ताओं के लिए 20, हज़ार डॉलर तक रद्द करने की योजना की घोषणा की थी, जिन्होंने पेल ग्रांट प्राप्त किया था, जो कम आय वाले छात्रों को जारी की जाने वाली संघीय वित्तीयसहायता का एक रूप है जिसे चुकाना नहीं पड़ता है। उन लोगों के लिए 10, हज़ार डॉलर तक रद्द करने की योजना है, जिसे पेल ग्रांट नहीं मिला। उधारकर्ता राहत के लिए पात्र हैं यदि वे व्यक्तिगत रूप से प्रति वर्ष 125, हज़ार डॉलर से कम कमाते हैं, या एक परिवार के रूप में प्रति वर्ष 250, हज़ार डॉलर से कम कमाते हैं।यह योजना लगभग 430 बिलियन डॉलर का ऋण मूलधन रद्द कर देगी और लगभग सभी उधारकर्ताओं को प्रभावित करेगी। समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, छह रिपब्लिकन नेतृत्व वाले राज्यों ने इस योजना को शिक्षा सचिव के वैधानिक अधिकार से अधिक बताते हुए चुनौती दी। बहुमत की राय के साथ मुख्य न्यायाधीश ने कहा, सचिव का दावा है कि हीरोज़ अधिनियम उन्हें 430 बिलियन डाॅॅॅलर के छात्र ऋण को रद्द करने का अधिकार देता है। लेकिन ऐसा नहीं है।व्हाइट हाउस की एक आधिकारिक विज्ञप्ति के मुताबिक जो बाइडेन कहा, मेरा मानना ​​है कि हमारी छात्र ऋण राहत योजना को रद्द करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला बिल्कुल गलत है। उन्होंने साफ-साफ कहा है कि छात्र ऋण राहत की लड़ाई खत्म नहीं हुई है।अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, लेकिन मैं कड़ी मेहनत करने वाले मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत देने के अन्य तरीके खोजने में कोई कसर नहीं छोड़ूंगा। मेरा प्रशासन हर अमेरिकी के लिए उच्च शिक्षा का वादा पूरा करने के लिए काम करना जारी रखेगा।अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, हमारी छात्र ऋण राहत योजना ने 40 मिलियन से ज्यादा अमेरिकियों को कोरोना महामारी से उबरने में मदद की है। कांग्रेसी रिपब्लिकन को व्यवसायों के लिए महामारी से संबंधित अरबों ऋणों से कोई समस्या नहीं थी। कुछ लोगों का अपना ऋण भी माफ कर दिया गया है।
साथियों बात अगर हम भारत के किसानों की कर्ज माफी की तरह करो, किसानों की कर्जमाफी के इतिहास की बात करें तो सबसे पहले साल 1990 में वीपी सिंह की सरकार ने पूरे देश में किसानों का कर्ज माफ किया था, उस वक्त सरकार के खजाने पर करीब दस हजार करोड़ का अतरिक्त भार पड़ा था. इसके बाद साल 2008-09 के बजट में मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने पूरे देश में किसानों के करीब 71 हजार करोड़ रुपए माफ करने का फैसला लिया था, जिसके बाद यूपीए की सरकार फिर से केंद्र की सत्ता पर आसानी से काबिज होने में सफल रही थी,केवल बड़े किसानों को मिलता है लाभ तत्कालिक राजनीतिक लाभ को ध्यान में रखकर लिया गया कर्जमाफी के फैसले का असर देश और राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ता है. माना जाता है कि इस तरह की क़र्ज़माफी का फायदा कुछ बड़े किसानों को ही मिल पाता है. छोटे किसानों पर इसका कोई असर नहीं होता है, क्योंकि बड़ा किसान कुछ हद तक कर्ज़ चुकाने में सक्षम होता है, और वही क़र्ज़ भी ले पाता है. जबकि छोटे किसानों को कर्जमाफी का कोई फायदा नहीं होता है. साथ ही राज्य की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव भी पड़ता है।
साथियों बात अगर हम भारत में छात्रों को सीआईआई एसएस योजना की करें तो, आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को तकनीकी शिक्षा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सेंट्रल सेक्टर इंटरेस्ट सब्सिडी योजना की शुरुआत की गई है। 2009 में लागू की गई इस योजना के तहत एजुकेशन लोन के ब्याज पर सब्सिडी दी जाती है. जो छात्र तकनीकी शिक्षा ग्रहण करना चाहते हैं, वह इस योजना के तहत लोन पर 100 फीसदी तक सब्सिडी ले सकते हैं, हालांकि इस योजना के तहत विदेश में शिक्षा के लिए लोन पर योजना का लाभ नहीं उठाया जा सकता है।मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से केंद्रीय क्षेत्र ब्याज सब्सिडी योजना को 2018 में संशोधित किया गया है। यह योजना छात्रों को बिना किसी सुरक्षा के ब्याज पर सब्सिडी देती है, यह योजना तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी। 4.5 लाख रुपये तक पारिवारिक सालाना आय वाले छात्रों को इस योजना का फायदा दिया जाता है।
साथियों बात अगर हम एक सीएम द्वारा 1 जुलाई 2023 को एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो शनिवार को कहा कि वह सात तरह की मुफ्त चीजें बांटते हैं, इसलिए पीएम उनसे नाराज रहते हैं। उन्होंने ने मध्य प्रदेश के एक शहर में एक रैली कोसंबोधित करते हुए कहा, मैं कहता हूं हां, मैं मुफ्त चीजें बांट रहा हूं। आपको क्या समस्या है? मैं सात प्रकार की मुफ्त सुविधाएं देता हूं :-

(1) मुफ्त बिजली, 
(2) विश्वस्तरीय स्कूल, 
(3) मुफ्त दवाएं, 
(4) मुफ्त पानी, 
(5) महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा, 
(6) वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त तीर्थयात्रा और 
(7) हम युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास कर रहे हैं। हमने 12 लाख युवाओं के रोजगार की व्यवस्था की है।

 पंजाब के मुख्यमंत्री ने अपने राज्य में 30, हज़ार सरकारी नौकरियां प्रदान की हैं और और अधिक प्रयास कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि महंगाई है और वह केवल मुफ्त चीजों के जरिए लोगों के चेहरे पर मुस्कान लाने की कोशिश कर रहे हैं, जो गलत नहीं है।

अतःअगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत-अमेरिका में चुनाव 2024 की दस्तक।कल्याणकारी योजनाएं बनाम मुफ़्त रेवड़ीयां संस्कृति।अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का नस्ल आधारित शिक्षण एडमिशन के बाद छात्र ऋण माफी योजना ख़ारिज करना बाइडेन प्रशासन को दूसरा झटका। भारत अमेरिका में 2024 के चुनाव संबंधित लोकलुभावन घोषणाओं पर जनता जनार्दन सहित न्यायपालिका की पैनी नजर को रेखांकित करना जरूरी।

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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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