भारतीय मूल की तैयारी - ब्रिटेन के बाद अमेरिका की बारी - राष्ट्रपति का ताज़ पहनने की बेकरारी
साथियों बात अगर हम भारतवंशियों द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की अपडेट स्थिति 30 जुलाई 2023 को देर रात आई जानकारी की करें तो तीसरा नाम हर्षवर्धनसिंह आया है। अमेरिका में राष्ट्रपति पद की रेस में भारतीय मूल के तीन लोग शामिल हो गए हैं, तीनों ही दावेदार रिपब्लिकन पार्टी से हैं। उद्योगपति विवेक रामास्वामी और कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली ने पहले से ही अपनी दावेदारी की घोषणाकी थी।अबअमेरिका में भारतीय मूल के इंजीनियर हर्षवर्धन सिंह ने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी की घोषणा की है। वे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुकाबला करेंगे, जो कानूनी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद 2024 के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से नामांकन की दौड़ में आगे हैं। एक न्यूज पेपर की शुक्रवार की खबर के अनुसार, उन्होंने गुरूवार को संघीय चुनाव आयोग के समक्ष आधिकारिक तौर पर अपनी उम्मीदवारी दाखिल की है,उनसे से पहले, साउथ कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर हेली (51) और करोड़पति उद्यमी रामास्वामी (37) ने इस साल की शुरुआत में शीर्ष अमेरिकी पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी। 38 वर्षीय इंजीनियर हर्षवर्धन सिंह ने ट्विटर पर एक वीडियो जारी कर कहा कि वह आजीवन रिपब्लिकन और अमेरिकी हितों को तवज्जो देने वाला शख्स रहे हैं, जिन्होंने न्यू जर्सी रिपब्लिकन पार्टी के एक रूढ़िवादी विंग को बहाल करने के लिए काम किया। उन्होंने शुक्रवार को तीन मिनट के एक वीडियो में कहा, पिछले कुछ वर्षों में हुए बदलावों को पलटने और अमेरिकी मूल्यों को बहाल करने के लिए हमें मजबूत नेतृत्व की जरूरत है, इसीलिए मैंने 2024 में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से नामांकन की दौड़ में उतरने का फैसला किया है। वे 2017 और 2021 में न्यूजर्सी के गवर्नर के लिए दावेदार रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर्षवर्धन सिंह 2017 और 2021 में न्यू जर्सी के गवर्नर के लिए, 2018 में प्रतिनिधि सभा की सीट के लिए और 2020 में सीनेट के लिए रिपब्लिकन प्राइमरी में मुकाबले में शामिल रहे, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी की ओर से नामांकन पाने में असफल रहे, गवर्नर पद के लिए दावेदारी में हर्षवर्धन सिंह तीसरे स्थान पर रहे।
साथियों बात अगर हम इसके पूर्व चर्चा में आए 2 नामों की करें तो (1)भारतीय-अमेरिकी उद्यमी विवेक रामास्वामी साल 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए खुद की उम्मीदवारी की घोषणा फरवरी में कर चुके हैं। उन्होंने एक बाहरी के रूप में रिपब्लिकन में प्रवेश किया था, लेकिन अब वह पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। स्वास्थ्य सेवा और तकनीकी क्षेत्र के उद्यमी विवेक रामास्वामी को रिपब्लिकन पार्टी के नौ फीसदी नेताओं का समर्थन मिला है। वहीं, ट्रंप को 47 फीसदी वोट मिले, जो डेसेंटिस के 19 फीसदी से काफी ऊपर है। रामास्वामी का जन्म अमेरिका के ओहियो के सिनसिनाटी में हुआ था। उनके माता-पिता केरल के पलक्कड़ से अमेरिका गए थे। उनके पिता का नाम गणपति रामास्वामी है, जो पेशे से इंजीनियर थे। उनकी मां गीता रामास्वामी, पेशे से एक सायकायट्रिस्ट थीं। विवेक की पत्नी अपूर्वा तिवारी ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के वेक्सनरमेडिकल सेंटर में असिस्टेंट प्रोफेसर और सर्जन हैं। 37 साल के रामास्वामी ने दवाओं को लेकर चीन पर निर्भरता समाप्त करने के वादे के साथ राष्ट्रपति पद के लिए खड़े हो रहे हैं। अगर उनकी कमाई की बात करें तो उन्होंने दूसरी तिमाही में 7.7 मिलियन डॉलर कमाए, जिसमें उनके खुद 5.4 मिलियन डॉलर शामिल थे। चुनावी अभियान शुरू होने के बाद उन्होंने अभी तक अपने 16 मिलियन डॉलर लगाए हैं।(2)भारतीय मूल की रिपब्लिकन नेता निक्की हेली दक्षिण कैरोलिना की दो बार की गवर्नर और संयुक्तराष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत रह चुकी हैं। निक्की हेली लगातार तीन चुनावों में अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने वाली तीसरी भारतीय-अमेरिकी हैं। इससे पहले बॉबीजिंदल साल 2016 में और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में शामिल हो चुकी हैं।भले ही अधिकांश सर्वे में 51 वर्षीय हेली का प्रदर्शन कम बताया हो, लेकिन अगर डोनेशन की बात की जाए तो उन्होंने कई मिलियन डॉलर जुटाए है। हेली का समर्थन करने वाले सुपर पीएसी, स्टैंड फॉर अमेरिका फंड इंक ने अप्रैल से जून तक 18.7 मिलियन डॉलर जुटाए, जिससे उनकी कुल राशि 26 मिलियन डॉलर हो गई। इतना ही नहीं, हेली को अरबपति केनेथ लैंगोन, ऐलिस वाल्टन और केनेथ फिशर सहित कुछ अमीर जीओपी दानदाताओं से भी समर्थन मिला है। इन लोगों ने 6,600 डॉलर का दान दिया। हेली का जन्म सिख माता-पिता अजीत सिंह रंधावा और राज कौर रंधावा के घर हुआ था, जो 1960 के दशक में पंजाब से कनाडा और फिर अमेरिका चले गए थे। 39 साल की उम्र में, जब उन्होंने जनवरी 2011 में पदभार ग्रहण किया, तब वह अमेरिका की सबसे कम उम्र की गवर्नर थीं, और उन्होंने दक्षिण कैरोलिना की पहली महिला गवर्नर के रूप में इतिहास रच दिया था। वह राज्य की पहली भारतीय-अमेरिकी गवर्नर थीं और दो कार्यकाल तक उन्होंने इस पद पर सेवा किया। जनवरी 2017 से दिसंबर 2018 तक उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में 29वें अमेरिकी राजदूत के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं
साथियों बात अगर हम अमेरिका और अन्य देशों में बसे भारतवंशियों की करें तो, भारत में जन्मे करीब 33 लाख लोग अमेरिका में रह रहे हैं। यूनाइटेड अरब अमीरात में भारत के ऐसे लोगों की संख्या करीब 35 लाख और सऊदी अरब में 25 लाख के आसपास है। लेकिन इन देशों से अमेरिका का मामला बहुत अलग है। खाड़ी के देशों में अधिकतर भारतीय कम स्किल वाले काम करने के लिए जाते हैं। अमेरिका में ऐसे भारतीय ज्यादा हैं, जिन्होंने ऊंची शिक्षा हासिल की है और जो ज्यादा स्किल की जरूरत वाले काम करते हैं। जाहिर है, उनका वेतन भी ज्यादा है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय मूल की तैयारी - ब्रिटेन के बाद अमेरिका की बारी - राष्ट्रपति का ताज़ पहनने की बेकरारी।अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव 2024 - रेस में भारतीय मूल के तीन दावेदार।भारतवंशियों के भाईचारे नेतृत्व का बढ़ता परचम लहराया - ब्रिटेन फतेह कर अमेरिका में बौद्धिक नेतृत्व क्षमता दिखाने का समय आया .
अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव 2024 - रेस में भारतीय मूल के तीन दावेदार
अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव 2024 - रेस में भारतीय मूल के तीन दावेदार |
भारतवंशियों के भाईचारे नेतृत्व का बढ़ता परचम लहराया - ब्रिटेन फतेह कर अमेरिका में बौद्धिक नेतृत्व क्षमता दिखाने का समय आया - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदियागोंदिया - वैश्विक स्तरपर भारतीय बौद्धिक व नेतृत्व क्षमता के नए -नए आयाम देखकर अधिकतम देश, वैश्विक अंतर्राष्ट्रीय मंच, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की नजरें न सिर्फ भारत की ओर लगी हुई है बल्कि उसका दायरा बढ़ाकर अब पूरी दुनियामें बसे हुएभारतवंशियों मूल भारतीयों पर भी टिक गई है, क्योंकि भारतवंशियों की बौद्धिक क्षमता का लोहा तो माना हीजाता है,अब नेतृत्व क्षमता का भी लोहा मानने लगे हैं, क्योंकि जिस तरह से भारत अति तेजी से विकास का परचम वैश्विक स्तरपर लहरा रहा है उसका रुतबा साख और नेतृत्व की क्षमता दिख रही है इसकी छाया अब भारतवंशियों, मूल भारतीयों के नेतृत्व में परिणित होते दिख रहीहै जिसका सबसे सटीक उदाहरण भारतपर सैकड़ों वर्ष राज करने वाले ब्रिटेन का नेतृत्व एक भारतवंशी ही कर रहा है जिसका दायरा बढ़कर अब अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव 2024 की प्रारंभिक प्रक्रिया में भी दिख रहा है जिसमें अभी हमें अमेरिकी वर्तमान राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति के बीच मुकाबला दिख रहा है परंतु मुकाबले में अब भारतवंशियों की भी एंट्री हो गई है जिसमें पहले एक फ़िर दो अब 30 जुलाई 2023 को देर रात तीसरा नाम भी जुड़ गया है जो अमेरिका को और अच्छा बनाने के लिए ट्रंप को पछाड़ना चाह रहे हैं। पहले विवेक रामास्वामी फ़िर निक्की हेली का नाम चल रहा था अब आज से हर्षवर्धन सिंह का नाम भी जुड़ गया है। इसलिए आज हम मीडिया मेंउपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारतीय मूल की तैयारी-ब्रिटेन के बाद अब अमेरिका की बारी-राष्ट्रपति ताज पहनने की बेकरारी।
साथियों बात अगर हम भारतवंशियों द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की अपडेट स्थिति 30 जुलाई 2023 को देर रात आई जानकारी की करें तो तीसरा नाम हर्षवर्धनसिंह आया है। अमेरिका में राष्ट्रपति पद की रेस में भारतीय मूल के तीन लोग शामिल हो गए हैं, तीनों ही दावेदार रिपब्लिकन पार्टी से हैं। उद्योगपति विवेक रामास्वामी और कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली ने पहले से ही अपनी दावेदारी की घोषणाकी थी।अबअमेरिका में भारतीय मूल के इंजीनियर हर्षवर्धन सिंह ने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी की घोषणा की है। वे पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुकाबला करेंगे, जो कानूनी चुनौतियों का सामना करने के बावजूद 2024 के लिए रिपब्लिकन पार्टी की ओर से नामांकन की दौड़ में आगे हैं। एक न्यूज पेपर की शुक्रवार की खबर के अनुसार, उन्होंने गुरूवार को संघीय चुनाव आयोग के समक्ष आधिकारिक तौर पर अपनी उम्मीदवारी दाखिल की है,उनसे से पहले, साउथ कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर हेली (51) और करोड़पति उद्यमी रामास्वामी (37) ने इस साल की शुरुआत में शीर्ष अमेरिकी पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी। 38 वर्षीय इंजीनियर हर्षवर्धन सिंह ने ट्विटर पर एक वीडियो जारी कर कहा कि वह आजीवन रिपब्लिकन और अमेरिकी हितों को तवज्जो देने वाला शख्स रहे हैं, जिन्होंने न्यू जर्सी रिपब्लिकन पार्टी के एक रूढ़िवादी विंग को बहाल करने के लिए काम किया। उन्होंने शुक्रवार को तीन मिनट के एक वीडियो में कहा, पिछले कुछ वर्षों में हुए बदलावों को पलटने और अमेरिकी मूल्यों को बहाल करने के लिए हमें मजबूत नेतृत्व की जरूरत है, इसीलिए मैंने 2024 में अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर से नामांकन की दौड़ में उतरने का फैसला किया है। वे 2017 और 2021 में न्यूजर्सी के गवर्नर के लिए दावेदार रहे थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि हर्षवर्धन सिंह 2017 और 2021 में न्यू जर्सी के गवर्नर के लिए, 2018 में प्रतिनिधि सभा की सीट के लिए और 2020 में सीनेट के लिए रिपब्लिकन प्राइमरी में मुकाबले में शामिल रहे, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी की ओर से नामांकन पाने में असफल रहे, गवर्नर पद के लिए दावेदारी में हर्षवर्धन सिंह तीसरे स्थान पर रहे।
साथियों बात अगर हम इसके पूर्व चर्चा में आए 2 नामों की करें तो (1)भारतीय-अमेरिकी उद्यमी विवेक रामास्वामी साल 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए खुद की उम्मीदवारी की घोषणा फरवरी में कर चुके हैं। उन्होंने एक बाहरी के रूप में रिपब्लिकन में प्रवेश किया था, लेकिन अब वह पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डेसेंटिस के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। स्वास्थ्य सेवा और तकनीकी क्षेत्र के उद्यमी विवेक रामास्वामी को रिपब्लिकन पार्टी के नौ फीसदी नेताओं का समर्थन मिला है। वहीं, ट्रंप को 47 फीसदी वोट मिले, जो डेसेंटिस के 19 फीसदी से काफी ऊपर है। रामास्वामी का जन्म अमेरिका के ओहियो के सिनसिनाटी में हुआ था। उनके माता-पिता केरल के पलक्कड़ से अमेरिका गए थे। उनके पिता का नाम गणपति रामास्वामी है, जो पेशे से इंजीनियर थे। उनकी मां गीता रामास्वामी, पेशे से एक सायकायट्रिस्ट थीं। विवेक की पत्नी अपूर्वा तिवारी ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के वेक्सनरमेडिकल सेंटर में असिस्टेंट प्रोफेसर और सर्जन हैं। 37 साल के रामास्वामी ने दवाओं को लेकर चीन पर निर्भरता समाप्त करने के वादे के साथ राष्ट्रपति पद के लिए खड़े हो रहे हैं। अगर उनकी कमाई की बात करें तो उन्होंने दूसरी तिमाही में 7.7 मिलियन डॉलर कमाए, जिसमें उनके खुद 5.4 मिलियन डॉलर शामिल थे। चुनावी अभियान शुरू होने के बाद उन्होंने अभी तक अपने 16 मिलियन डॉलर लगाए हैं।(2)भारतीय मूल की रिपब्लिकन नेता निक्की हेली दक्षिण कैरोलिना की दो बार की गवर्नर और संयुक्तराष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत रह चुकी हैं। निक्की हेली लगातार तीन चुनावों में अमेरिकी राष्ट्रपति पद की दौड़ में शामिल होने वाली तीसरी भारतीय-अमेरिकी हैं। इससे पहले बॉबीजिंदल साल 2016 में और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस 2020 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में शामिल हो चुकी हैं।भले ही अधिकांश सर्वे में 51 वर्षीय हेली का प्रदर्शन कम बताया हो, लेकिन अगर डोनेशन की बात की जाए तो उन्होंने कई मिलियन डॉलर जुटाए है। हेली का समर्थन करने वाले सुपर पीएसी, स्टैंड फॉर अमेरिका फंड इंक ने अप्रैल से जून तक 18.7 मिलियन डॉलर जुटाए, जिससे उनकी कुल राशि 26 मिलियन डॉलर हो गई। इतना ही नहीं, हेली को अरबपति केनेथ लैंगोन, ऐलिस वाल्टन और केनेथ फिशर सहित कुछ अमीर जीओपी दानदाताओं से भी समर्थन मिला है। इन लोगों ने 6,600 डॉलर का दान दिया। हेली का जन्म सिख माता-पिता अजीत सिंह रंधावा और राज कौर रंधावा के घर हुआ था, जो 1960 के दशक में पंजाब से कनाडा और फिर अमेरिका चले गए थे। 39 साल की उम्र में, जब उन्होंने जनवरी 2011 में पदभार ग्रहण किया, तब वह अमेरिका की सबसे कम उम्र की गवर्नर थीं, और उन्होंने दक्षिण कैरोलिना की पहली महिला गवर्नर के रूप में इतिहास रच दिया था। वह राज्य की पहली भारतीय-अमेरिकी गवर्नर थीं और दो कार्यकाल तक उन्होंने इस पद पर सेवा किया। जनवरी 2017 से दिसंबर 2018 तक उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में 29वें अमेरिकी राजदूत के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं
साथियों बात अगर हम अमेरिका और अन्य देशों में बसे भारतवंशियों की करें तो, भारत में जन्मे करीब 33 लाख लोग अमेरिका में रह रहे हैं। यूनाइटेड अरब अमीरात में भारत के ऐसे लोगों की संख्या करीब 35 लाख और सऊदी अरब में 25 लाख के आसपास है। लेकिन इन देशों से अमेरिका का मामला बहुत अलग है। खाड़ी के देशों में अधिकतर भारतीय कम स्किल वाले काम करने के लिए जाते हैं। अमेरिका में ऐसे भारतीय ज्यादा हैं, जिन्होंने ऊंची शिक्षा हासिल की है और जो ज्यादा स्किल की जरूरत वाले काम करते हैं। जाहिर है, उनका वेतन भी ज्यादा है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय मूल की तैयारी - ब्रिटेन के बाद अमेरिका की बारी - राष्ट्रपति का ताज़ पहनने की बेकरारी।अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव 2024 - रेस में भारतीय मूल के तीन दावेदार।भारतवंशियों के भाईचारे नेतृत्व का बढ़ता परचम लहराया - ब्रिटेन फतेह कर अमेरिका में बौद्धिक नेतृत्व क्षमता दिखाने का समय आया .
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