भारत-अमेरिका साझा शक्ति प्रगाढ़यता का नया अध्याय शुरू
भारत-अमेरिका साझा शक्ति प्रगाढ़यता का नया अध्याय शुरू
दुनियां को भारत-अमेरिका भाई-भाई वाले रिश्ते की सख़्त ज़रूरतविश्व को टैलेंट और टेक्नोलॉजी साझा शक्ति की ज़रूरत है, जो भारत अमेरिका में कूट-कूट कर भरी है - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदियागोंदिया - वैश्विक स्तरपर जिस तरह कोविड महामारी के बाद जलवायु परिवर्तन, स्वास्थ्य, सुरक्षा, आतंकवाद जैसी चुनौतियां, रूस यूक्रेन युद्ध, रूस में विनेगर निजी सुरक्षा एजेंसी द्वारा विद्रोह जैसे अपने अपने स्तरपर हर देश चुनौतियों से जूझ रहा है। अनेक देशों में वित्तीय संकट खड़ा हो गया है हालांकि ऐसे संकटों सहित अनेक प्रकार के संकटों में भारत और अमेरिका भी जूझ रहे हैं परंतु यह दोनों देश ऐसे हैं जिन्हें संकटों से जूझने और उसका हल निकालकर उबरने में महारत हासिल है, जो हमने कोविड के समय कोविड वैक्सीन का निर्माण, दो डोज़ के अतिरिक्त बूस्टर डोज़, अन्य देशों को वितरण कर स्थिति को संभाल कर और भारत 10वीं से पांचवी अर्थव्यवस्था बनकर तीसरी की ओर तेजी से अग्रसर है तो अमेरिका अपने ऋण संकट से उबरकर अब तेजी से विकास की ओर अग्रसर हुआ। पूरी दुनिययां में भारत टैलेंट तो अमेरिका टेक्नोलॉजी के लिए प्रसिद्ध है। जबकि इन दोनों मज़बूत पहियों को आज एक साथ लाकर एक ऐसे ढांचे पर लगाया जाए तो एक और एक ग्यारह का काम हो जाएगा परंतु यही बात मानव कल्याण के वास्ते ईश्वर अल्लाह गॉड ने भी सोची होगी और मानवीय मस्तिष्क में एआई यानें आर्टिफिशियल इंजीनियरिंग का बीज बोया और इसे आज बदलकर मानवीय जीव नें एआई याने अमेरिका इंडियन साझेदार साझा शक्ति के रूप में परिणित करने की रणनीति का इजाद किया जो हमने अभी 21-24 जून 2023 को देख लिया। दूसरी ओर अमेरिका ऐसा नियम प्रचलन है कि अमेरिकी राष्ट्रपति को अपने 4 वर्ष के कार्यकाल में किसी एक को स्टेट विजिट आमंत्रण देना होता है, जो भारतीय पीएम के भाग्य में आया और दोनों की साझा शक्ति टैलेंट और टेक्नोलॉजी प्रगाढ़य दोस्ती का नया अध्याय शुरू हो गया है। अनुबंध साइन हो चुके हैं बस अब इसे साकार रूप देकरक्रियान्वयन करना है, जिसकी चर्चा हम नीचे करेंगे। भारत की 21-24अमेरिका स्टेट विजिट को जिस तरह पूरी दुनियां के प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने कवर किया औरदुनियां की हर छोटी-बड़ी मीडिया कंपनी के हजारों पत्रकार संपादक से लेकर पूरे मीडिया मंच जुड़ा और अमेरिका के बहुत बड़े पेपर है जैसे न्यूयॉर्क टाइम्स, द वाशिंगटन पोस्ट, द वॉल स्ट्रीट जनरल, फाइनेंशियल टाइम्स सहित दिग्गज मीडिया ने अपने फ्रंट पेज हेडलाइंस में भारत को एक अलायन्स के रूप में बताया जबकि भारत किसी पश्चिमी देश के संग या नाटो का सदस्य नहीं है।चूंकि आज दुनियां को टैलेंट और तकनीकी की साझा शक्ति की सख्त ज़रूरत है ताकि मानव कल्याण को नए आयामों तक पहुंचाया जा सके इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, विश्व को टैलेंट और टेक्नोलॉजी साझा शक्ति की ज़रूरत है जो भारत अमेरिका में कूट-कूट कर भरी हुई है।
साथियों बात अगर हम भारत अमेरिका से प्रगाढ़ रिश्तो की करें तो यह कोई नया नहीं है इसके पहले की सरकारों ने भी संबंध प्रगाढ़य किए हैं परंतु वर्तमान पीएम बनने के बाद उनका अमेरिका दौरा इस प्रकार है -साल कब से कब से कब हुआ है इसकी जानकारी इस प्रकार है। अमेरिकी राष्ट्रपति 2014 29-30 सितंबर बराक ओबामा, 2016 31 मार्च - 1अप्रैल बराक ओबामा 2016 7 जून बराक ओबामा 2017 25-26 जून डोनाल्ड ट्रंप, 2019 22 सितंबर डोनाल्ड ट्रंप परंतु अब की बार 21-24 स्टेट विजिट में साझा शक्ति प्रगाढ़ता का नया अध्याय शुरू हो गया है।
साथियों बात अगर हम भारत अमेरिका के बीच हुए समझौतों की करें तो पीएम के तीनदिवसीय अमेरिकी दौरे के दौरान कई बड़े समझौते किए गए हैं। व्हाइट हाउस के ओवल कार्यालय में गुरुवार को पीएम और राष्ट्रपति के बीच बैठक हुई और एक के बाद एक कई समझौतों पर मुहर लगाई गई। इनमें भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट, रेलवे, तकनीक, ड्रोन, जेट इंजन और स्पेस सेक्टर में करार किए गए हैं। भारत और अमेरिका दोनों के बीच जटिल तकनीकों को सुरक्षित रखने और आपस में बांटने का समझौता भी हुआ है। इस दौरान पीएम ने दिग्गज कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक कर उन्हें भारत में निवेश के लिए भी आमंत्रित किया है
साथियों बात अगर हम पीएम के वाइट हाउस प्रांगण में लोगों को संबोधन की करें तो अपनी तीन दशक पुरानी अमेरिका यात्रा जिक्र किया कि पीएम बनने के पहले मैं कई बार व्हाइट हाउस आया हूं पर पहली बार इतनी बड़ी संख्या में भारतीयों के लिए व्हाइट हाउस के दरवाजे खुले हैं। यह अमेरिका में बसे भारतीय मूल के लोगों और 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है। इसके लिए मैं राष्ट्रपति जो बाइडन और डॉ जिल बाइडन का आभारी हूं। अपने संबोधन के दौरान पीएम ने एक सामान्य नागरिक के तौर पर अपनी अमेरिका यात्रा का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा तीन दशक पहले मैं एक आम सैलानी के रूप में आया था जब मैंने बाहर से व्हाइट हाउस को देखा था।
साथियों बात अगर हम व्हाइट हाउस में भारत अमेरिका की ओर से सीईओ और अध्यक्ष से मुलाकात की तरह तो वाशिंगटन, डी.सी. में पीएम नें व्हाइट हाउस में अमेरिका और भारत के शीर्ष सीईओ और अध्यक्षों से मुलाकात की। इसके बाद पीएम और अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में हाई-टेक हैंडशेक कार्यक्रम में सीईओ को संबोधित किया। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, नासा की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, महिंद्रा समूह के अध्यक्ष आनंद महिंद्रा, रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और एमडी मुकेश अंबानी, ज़ेरोधा और ट्रू बीकन के सह-संस्थापक निखिल कामथ और कई अन्य उपस्थित थे। वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा आयोजित लंच में अमेरिकी उपराष्ट्रपति , विदेश मंत्री और पीएम शामिल हुए।व्हाइट हाउस में अमेरिका और भारत के शीर्ष सीईओ के साथ हाई-टेक हैंडशेक कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा सहयोग न केवल हमारे अपने लोगों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए मायने रखता है। व्हाइट हाउस में अमेरिका और भारत के शीर्ष सीईओ के साथ हाई-टेक हैंडशेक कार्यक्रम में पीएम ने कहा, प्रतिभा और प्रौद्योगिकी का एक साथ आना एक उज्जवल भविष्य की गारंटी देता है।
साथियों बात अगर हम पीएम के सम्मान में आयोजित दोपहर भोजन में अमेरिकी उपराष्ट्रपति और विदेश मंत्री द्वारा भारत की तारीफ़ में संबोधन की करें तो अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने कहा कि भारत के इतिहास और इसकी शिक्षाओं ने दुनियां पर प्रभाव डालने के साथ ही इसे आकार भी दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने अपने दर्शन के जरिये करोड़ों लोगों को प्रभावित किया।उन्होंने अमेरिका में भारतीय-अमेरिकी लोगों के असाधारण प्रभाव की भी सराहना की। हैरिस ने कहा कि भारत उनके जीवन का एक बहुत अहम हिस्सा है और वह इससे बहुत गहराई से जुड़ी हैं।हैरिस ने पीएम के सम्मान में शुक्रवार को खुद और विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन द्वारा आयोजित दोपहर के भोज के दौरान अपने संबोधन में कहा, भारत और इसके इतिहास और शिक्षाओं ने ना केवल मुझे प्रभावित किया है, बल्कि उन्होंने निश्चित रूप से पूरे विश्व को आकार दिया है।’उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक संख्या में भारतीय विरासत के लोग अमेरिकी संसद में मौजूद हैं जिनमें अमी बेरा, प्रमिला जयपाल, रो खन्ना, राजा कृष्णमूर्ति और श्री थानेदार शामिल हैं और उन्हें समोसा कॉकस के रूप में जाना जाता है।उन्होंने कहा कि अमेरिकी कंपनियों के सी सुइट्स से लेकर पड़ोस के व्यवसायों तक और हॉलीवुड स्टूडियो से लेकर अमेरिकाभर के विश्वविद्यालयी अनुसंधान प्रयोगशालाओं तक, भारतीय अमेरिकियों का प्रभाव पूरे अमेरिका पर दिखता है। डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता हैरिस (58) ने कहा,पूरे इतिहास में भारत ने दुनियाभर के करोड़ों लोगों को प्रेरित किया है, चाहे वह दर्शन और धर्मशास्त्र के माध्यम से हो, सविनय अवज्ञा की शक्ति से या फिर लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता के जरिये।कमला ने भारत की 21वीं सदी में वैश्विक शक्ति के रूप में उभरने में मदद करने के लिए उसे शानदार नेतृत्व प्रदान करने के वास्ते मोदी का आभार जताया। उन्होंने कहा, आपने क्वाड को फिर से मजबूत करने में मदद की है। जी-20 की आपकी अध्यक्षता के दौरान जलवायु वित्त के संबंध में नयी प्रगति देखने को मिल रही है। और आप वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों और वैश्विक समाधानों के समर्थक रहे हैं। अमेरिका की पहली महिला उपराष्ट्रपति हैरिस की मां श्यामला गोपालन (एक स्तन कैंसर विशेषज्ञ) मूल रूप से चेन्नई की निवासी थीं।
अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत-अमेरिका साझा शक्ति प्रगाढ़यता का नया अध्याय शुरू।दुनियां को भारत-अमेरिका भाई-भाई वाले रिश्ते की सख़्त ज़रूरत विश्व को टैलेंट और टेक्नोलॉजी साझा शक्ति की ज़रूरत है जो भारत अमेरिका में कूट-कूट कर भरी है।
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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट
किशन सनमुख़दास भावनानी
गोंदिया महाराष्ट्र