बारिश
आज खूब बारिश हो रही है
याद है वह बचपन का दौरजब होने लगती थी बारिश झमाझम
तो निकलती थी हमारी टोली
बारिश की फुआरों में हमसब
करते खूब मस्ती,नहीं सुनते बड़े बुजुर्गों की
बस अपने ही धून में निकल पड़ते सब
बारिश में भिगने को और
कोई लाता कागज बनाता नाव
तो कोई पत्ते तोड़ छतरी बनाता
तो कोई कीचड़ में उछल कूद करता
याद है वह बचपन का दौर
निश्चछलता परिपूर्ण हम सब खूब खेलते
देखो आज खूब बारिश हो रही है
याद है वह स्कूल का दौर
जब होने लगती थी बारिश
कर स्कूल की छूट्टी भिगते -भिगते
घर लौटते हम सब और
दूसरे दिन जुखाम का बहाना कर
और एक दिन कर देते छुट्टी
कुछ इस तरह करते थे शरारते
वह बचपन का दौर था
हमारा बचपना यादों में रह गया
अब तो दूजे बच्चों को देख
अपना दौर याद करते हैं
और अनकहे किस्से कहते हैं ।
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ममता कुशवाहा
मुजफ्फरपुर, बिहार
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