भारत नें नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय दिवस 26 जून 2023 मनाया
भारत नें नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय दिवस 26 जून 2023 मनाया
युवा भारत बनाम नशे की लतआओ हम अपने दैनिक जीवन में रोज़ नशा निषेध दिवस मनाकर ड्रग्स मुक्त भारत बनाएं
नशे की लत से बढ़ते कैंसर , मानसिक अस्वस्थता, अवसाद और पारिवारिक विच्छेदन को रेखांकित करना ज़रूरी - एडवोकेट किशन भावनानी गोंदियागोंदिया - अंतरराष्ट्रीय स्तरपर मादक पदार्थों के सेवन और नशीली दवाओं के दुरुपयोग तथा उसकी अवैध तस्करी के मामलों से करीब-करीब हर देश पीड़ित है और यह समस्या दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। खासकर मानवीय युवा पीढ़ी जिन्हें भविष्य की बागडोर संभालनीं है, यानें हमारी अगली पीढ़ी बनने वाले युवा और बच्चों की रुचि मादक पदार्थों में बढ़ती ही जा रही है हम अपने आसपास भी देखते होंगे कि बच्चे भी सिगरेट, बीड़ी, बीयर पीने की ओर आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं जो वैश्विक समस्या बनती जा रही है।इसलिए प्रतिवर्ष आम जनता में नशे के खिलाफ जन जागृति उत्पन्न करने के लिए नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय दिवस 26 जून मनाया जाता है। चूंकि भारत में भी यह दिवस गृह मंत्रालय स्तरपर बड़े कार्यक्रम करके मनाया गया इसलिए हम आज इस आर्टिकल के माध्यम से इसपर चर्चा करेंगे।
साथियों बात अगर हम नशीली दवाओं के दुरुपयोग की करें तो, ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीसी) ने उल्लेख किया है, एक साथ, हम विश्व नशीली दवाओं की समस्या से निपट सकते हैं। मजबूत दृढ़ संकल्प और नशीली दवाओं से संबंधित ज्ञान साझा करके, हम सभी नशीली दवाओं के दुरुपयोग से मुक्त एक अंतरराष्ट्रीय समाज के लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।जब ड्रग्स का दुरुपयोग व्यापक रूप से समाज के अमीर और गरीब वर्ग के बीच फैल जाता है तो उस समय सबसे अधिक अनिवार्य है नशीले पदार्थों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सामुदायिक सहायता की ज़रूरत की। नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ़ युद्ध में प्रसिद्ध कहावत रोकथाम इलाज से बेहतर है काफी प्रासंगिक है। ड्रग्स के दुरुपयोग और इससे जुड़ी अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के दिन जनजागृति बढ़ाना जरूरी है।
साथियों बात अगर हम इस नशीली दवाओं के दुरुपयोग व अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर माननीय केंद्रीय गृहमंत्री के संबोधन की करें तो अपने संदेश में कहा कि आज 26 जून 2023 को नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस केअवसर पर मैं ड्रग्स के विरुद्ध लड़ाई लड़ रही सभी संस्थाओं और लोगों को दिल से बधाई देता हूँ। यह अत्यंत हर्ष की बात है कि नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो इस बार भी अखिलभारतीय स्तर पर नशा मुक्त पखवाड़ा का आयोजन किया है। उन्होंने कहा कि हमारा संकल्प है कि हम भारत में नारकोटिक्स का व्यापार नहीं होने देंगे और ना ही भारत के माध्यम से ड्रग्स को विश्व में कहीं बाहर जाने देंगे। ड्रग्स के खिलाफ़ इस मुहिम में देश की सभी प्रमुख एजेंसियाँ, विशेषकर नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्युरो निरंतर अपनी जंग जारी रखे हुए है। इस अभियान को सशक्त करने के लिए गृह मंत्रालय ने 2019 में एनकॉर्ड की स्थापना की एवं हर राज्य के पुलिस विभाग में एंटी नार्कोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया गया, जिसका पहला राष्ट्रीय सम्मेलन अप्रैल 2023 में दिल्ली में हुआ। उन्होंने कहा कि चाहे ड्रग्स की खेती को नष्ट करना हो या जनजागरण हो गृह मंत्रालय सभी संस्थाओं और प्रदेशों के समन्वय से ड्रग्स मुक्त भारत के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहा लेकिन इस लड़ाई को बिना जनभागीदारी के नहीं जीता जा सकता। आज इस अवसर पर मैं सभी देशवासियों से यह अपील करता हूँ कि अपने आप को और अपने परिवार को ड्रग्स से दूर रखें। ड्रग्स न केवल युवा पीढ़ी और समाज को खोखला बनाता है, बल्कि इसकी तस्करी से अर्जित धन देश की सुरक्षा के खिलाफ प्रयोग में लाया जाता है। इसके दुरुपयोग के विरुद्ध इस युद्ध में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लें। अपने आस-पास हो रहे ड्रग्स के व्यापार की जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को दें।
साथियों बात अगर हम मादक पदार्थों की करें तो गुटखातंबाकू तंबाकू के उपयोग से होने वाली हानियां, मदिरा अफीम, कोकीन, भांग,चरस,गांजा हशीशएलएसडी आदि अन्य पदार्थ भी मादक पदार्थों के रूप में प्रचलन में है। युवा इनको प्रयोग विभिन्न कारण से कर बैठते हैं और चंगुल में फंस जाते हैं। इनके प्रयोग से दुष्प्रभाव परिवार से विच्छेदन, अपराध प्रवृति की वृद्धि शारीरिक एवं मानसिक कमजोरी के रूप में सामने आते हैं। कुछ समय के लिए मस्ती देनेवाले नशीले द्रव्यों के निरंतर सेवन से मनुष्य के तन-मन निष्क्रिय और शिथिल हो जाते हैं, दृष्टि कमजोर हो जाती है, पाचनशक्ति मंद पड़ जाती है तथा हृदय और फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। इससे स्वास्थ्य चौपट हो जाता है और मनुष्य असमय ही मृत्यु का द्वार खटखटाने लगता है। नशीली दवाओं की लत एक कट्टर दानव है जो हमारे समाज के विकास पर रोक लगा सकती है।
साथियों बातें कर्म मादक पदार्थों के सेवन से कैंसर सहित अनेक गंभीर बीमारियों के होने की करें तो धूम्रपान का असर हमारे फेफड़ो पर अधिक पड़ता है. धूम्रपान के चलते हम फेफड़ों के कैंसर का शिकार हो सकते हैं। आंकड़ें बताते हैं कि 80 प्रतिशत धूम्रपान या फिर तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों की मौत फेफड़ों के कैंसर के कारण होती है। युवावस्था में धूम्रपान करने वालों में फेफड़ों का कैंसर अधिकतर देखने को मिलता है। ऐसे में ये हमारे लिए परेशानी खड़ कर सकता है।
साथियों बात अगर हम माननीय पूर्वउपराष्ट्रपति द्वारा एककार्यक्रम में संबोधन की करें तो पीआईबी के अनुसार अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने कहा कि मादक पदार्थों का सेवन एक वैश्विक चुनौती है। यहां तक कि विकसित देश भी इसके खिलाफ लड़ाई में मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। मादक पदार्थ किसी भी आयु वर्ग के व्यक्ति को अपनी गिरफ्त में ले सकता है। विशेषकर युवा, किशोर और कम उम्र के युवाओं में मादक पदार्थ तस्करों के गिरफ्त में आने की संभावना अधिक रहती है। संभावित पीड़ितों को मादक पदार्थों के सेवन से होने वाली बर्बादी के बारे में सचेत किया जाना चाहिए, ताकि वे अपने को इस जाल से सुरक्षित रख सकें। ह चुनौती इतनी बड़ी है कि सरकारी एजेंसियों द्वारा किये जाने वाले प्रयास इस खतरे को समाप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है। राज्य सरकार, गैर-सरकारी संगठन और समर्पित व्यक्तियों पर इस खतरे को समाप्त करने की बड़ी जिम्मेदारी है।
साथियों बात अगर हम इस दिवस के इतिहास की करें तो, 7 दिसंबर 1987 को संयुक्त राष्ट्र की 93वीं पूर्ण बैठक के बाद , 13 दिसंबर 1985 के संकल्प 40/122 को याद करते हुए हर साल 26 जून को नशीले पदार्थों के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाया जाता है । यूएनओडीसी के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 200 मिलियन लोग कोकीन, भांग, मतिभ्रम, अफीम और शामक सम्मोहन जैसी अवैध दवाओं का उपयोग कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र नशीली दवाओं के दुरुपयोग से मुक्त एक अंतरराष्ट्रीय समाज बनाने में मदद करने के लिए दृढ़ संकल्पित था। इस संकल्प ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी पर 1987 के अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन की रिपोर्ट और निष्कर्षों के संबंध में आगे की कार्रवाई की सिफारिश की। संकल्प के बाद, 1991 से 2000 के वर्षों को नशीले पदार्थों के दुरुपयोग के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र दशक के रूप में घोषित किया गया था। 1998 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वैश्विक नशीली दवाओं की समस्या के समाधान के लिए एक राजनीतिक घोषणा को अपनाया। घोषणा समस्या से लड़ने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों की प्रतिबद्धता को व्यक्त करती है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत नें नशीली दवाओं के दुरुपयोग और अवैध तस्करी के खिलाफ़ अंतर्राष्ट्रीय दिवस 26 जून 2023 मनाया।युवा भारत बनाम नशे की लत आओ हम अपने दैनिक जीवन में रोज़ नशा निषेध दिवस मनाकर ड्रग्स मुक्त भारत बनाएं।नशे की लत से बढ़ते कैंसर,मानसिक अस्वस्थता, अवसाद और पारिवारिक विच्छेदन को रेखांकित करना ज़रूरी है।
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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट
किशन सनमुख़दास भावनानी
गोंदिया महाराष्ट्र