अधिक बन्धन अभिशाप हो सकता है
ज़्यादा अल्हड़पन भी बेकार
जिस तरह ओवर सेंसिटिविटी प्रॉब्लम साबित होती है, उसी तरह ज्यादा अलहड़पन भी बेकार है। अक्सर ऐसा होता है कि आप किसी भी मामले को एकदम सही तरीके से किसी व्यक्ति को रोक देते हैं तो हम बात सुनने से मना कर देते हैं। यहां बात यह है कि किसी भी मामले में जिस तरह से अधिक चिंता करना नुकसानदायक है, उसी तरह किसी भी कई महत्वाकांक्षी ने आप के लिए अच्छे के लिए कुछ कहा है तो एटिट्यूड दिखाने के बजाय उसकी बात मान लेना ही उचित है। हमारा नज़रिया कभी-कभी हमारे बारे में देखता है, जो हम देखते हैं। अगर कोई कुएं में गिरने से बचने के लिए अच्छी सलाह दे रहा है, तो अल्हड़पन सटीक मूर्खता दिखाएगा, इसलिए हर चीज को संतुलन में रखकर चलना चाहिए। जीवन में सफल होना है, हमेशा शांति का अनुभव करना है तो हर मामले में अतिशयोक्ति करने से बचना चाहिए, क्योंकि अति कहीं भी अच्छा नहीं है, इसलिए समझ-बूझकर नजर उठानी चाहिए।अति जहर के समान
यहां एक सामान्य उदाहरण देने का मन हो रहा है। पति-पत्नी किसी रिश्ते के यहां मिलने गए। बात चली तो पति ने मजाक में कहा कि मैडम को किचन में अभी भी समस्या होती है। यह बात दोनों के लिए सटीक थी, दोनों जानते हैं कि पत्नी की रसोई में खास हाथ नहीं है। इस बारे में पति कभी मजाक में कुछ कहता है तो उसका दिमाग लगा लेता है। उस दिन घर आ कर इस बात को लेकर दोनों में बात हुई। पत्नी ने कहा कि तुम ने जिस जगह मेरे किचन के काम को लेकर शिकायत की, वह उचित जगह नहीं थी। अब यह बात दूसरी चार जगहों पर होगी और उनके सहयोगियों की मेरी बदनामी होगी। पति ने बहुत कहा कि इससे क्या रिश्ता है, कोई कुछ कहेगा तो कह दोगे कि दूसरा काम तो बहुत अच्छा आता है, मुझे खाना बनाना नहीं आता तो मेरे घर वालों को कोई समस्या नहीं है। फिर मैं यह बात मजाक में कह रहा था, बाकी मैं जानता हूं कि तुम अपने हर काम में कितना भरोगे। पति की बात पत्नी समझती थी, पर पत्नी की समस्या यह थी कि अब उसका सुसुराल में ही लोग जज करेंगे। इन्हीं अति सूक्ष्म आंकड़ों के निशान हैं। आप किसी बात में कमजोर हैं और आपके दैनिक जीवन में कोई समस्या नहीं आती है और इस बात पर कोई टिप्पणी करता है तो? क्या आप इन बातों को इग्नोर नहीं कर सकते? महिलाओं में यह बात ज्यादा देखने को मिलती है कि एकदम सटीक बेफिक्र दिखाई देने की बात करती हैं, पर अगर उन पर कोई कमेंट करता है तो तुरंत चिंता हो जाती है। सभी मामलों में महिलाएं दूसरा क्या सोचेगा, यह सोच कर वे काम की चिंता करती हैं। इस तरह की सारी बातें सोचने पर कई शारीरिक और मानसिक रोग हो जाते हैं। इसलिए बहुत अधिक डाक-विचारणे और चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि आप क्या हैं, इस बारे में तो आप लोगों के बहुत करीब हैं और कोई पूरी तरह से नहीं जान सकता। शेष लोग तो दूर से आप के विचार के अनुसार ही जज करेंगे। इस तरह के फैसले की बहुत अधिक चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि जिन्हें तुम पहिचनोगे, वे तुम्हारे विषय में कभी बुरा नहीं मानेंगे, और जो अच्छी रीति से नहीं जानते, वे तुम्हारे बारे में कुछ भी कहते हैं, जो कुछ बिगड़ता है। हां, अगर कोई आपके मुंह पर कहे तो उसे सच्चाई जरूर बताएं, बाकी जो चीजें आपने अपने स्वभाव से नहीं सुनीं, उस बारे में बहुत ज्यादा और लंबे समय तक चिंता कर के आरोप लगाना है।About author
स्नेहा सिंह
जेड-436ए, सेक्टर-12नोएडा-201301 (उ.प्र.)
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