चाय और रिश्ते | chaay aur rishte

चाय और रिश्ते

चाय और रिश्ते | chaay aur rishte
मैं जानता हूं
जब भी तुम पूछती हो मुझसे,
"चाय पियोगे?"
इसलिए नहीं, कि तुम
बांटना चाहती हो अपने हाथों बनी
चाय का अतुल्य स्वाद,
बल्कि, उसमें घुली
चीनी सी कुछ मिठास भरी यादें
और चायपत्ती सी कुछ कड़वे अनुभव !!

मैं जानता हूं
तुम चाहती हो मेरा साथ
कुछ और पलों के लिए
जब पूछती हो मुझसे
"चाय पियोगे?"
साथ बैठोगे मेरे कुछ और देर !!

और मैं मना नहीं कर पाता
क्यूंकि ये समय ही तो स्वाद लाता है
चाय में और रिश्तों में भी!!
चाय नहीं बनती "दो मिनट मैगी" की तर्ज़ पर,
इसे पकाना होता है रिश्तों की तरह
प्यार की मद्धम मद्धम सी आंच पर !!

अपनेपन का मसाला
और सम्मान की तुलसी मिला
हाथों की ऊष्मा देकर
तब तक उबालिए जब तक
मोहब्बत की महक ज़हन तक
पहुंचती रहे!!

और फिर अपनी "बातों के बिस्कुट" के साथ
चखने दो उन्हें इनका कड़क स्वाद
कि ये रिश्ते और चाय ही तो
जीवन में अमृत घोलते हैं!!

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Veerendra Jain, Nagpur
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