जीएसटी राजस्व कलेक्शन का स्वर्णिम माह अप्रैल 2023
जीएसटी कलेक्शन की बल्ले-बल्ले - पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़कर अप्रैल 2023 में 1.87 लाख करोड़ का अभूतपूर्व कलेक्शनभारत में तेज़ी से बढ़ते राजस्व कलेक्शन से अर्थव्यवस्था की समृद्धि, वैश्विक नंबर वन बनने की सूचक है - एडवोकेट किशन भावनानीगोंदिया - वैश्विक स्तरपर आज भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज़ी से बढ़ते ग्राफ और समृद्धि की ओर दुनियां भौचका होकर देख रही है। जिस रफ़्तार के साथ ब्रिटेन को पीछे कर पांचवें नंबर पर और अब जर्मनी को पीछे कर चौथे नंबर पर आने को आतुर है तो वह दिन दूर नहीं जब हम विश्व की नंबर वन अर्थव्यवस्था होंगे, जिसके संकेत हमें आज दिनांक 1 मई 2023 को जारी वित्त मंत्रालय की जानकारी से कंफर्म हो गई है, जिसका अप्रैल 2023 का जीएसटी कलेक्शन 2017 से एक्ट लागू होने से लेकर अब तक का सबसे सर्वाधिक मासिक कलेक्शन 1.87 लाख करोड़ रुपए आया है, जो कुशल नेतृत्व नीतियों रणनीतियों करदाताओं के सहयोग सहभागिता का नतीजा है जिसमेंशासन-प्रशासन में भी राष्ट्रवाद का संचार उम्र पड़ा है इस सर्वाधिककलेक्शन पर माननीय पीएम ने भी ट्वीट कर ख़ुशी का इजहार किया है, परंतु हमें यहीं तक नहीं रुकना है बल्कि हर नागरिक अधिकारियों शासन प्रशासन को कर्तव्य परायणता को और अधिक धार देनी होगी ताकि हम न केवल 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का देश बनें बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में नंबर वन की रैंक पर आएं, तभी हमारी लक्ष्यों की पूर्ति होगी और सपनें साकार होंगे। चूंकि हमने अप्रैल 2023 में जीएसटी राजस्व का सर्वाधिक कलेक्शन कर पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़े हैं, इसलिए आज हम पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे राजस्व कलेक्शन का स्वर्णिम माह अप्रैल 2023 पर हमें गर्व है।
साथियों बात अगर हम पिछले सालों के सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करने की करें तो, जुलाई, 2017 में जीएसटी प्रणाली लागू होने के बाद से सर्वाधिक कर संग्रह का पिछला रिकॉर्ड 1.68 लाख करोड़ रुपये था जो पिछले साल अप्रैल में बना था। माल एवं सेवा कर संग्रह को लेकर सरकार ने एक नया रिकॉर्ड हासिल किया है। अप्रैल 2023 में सालाना आधार पर 12 प्रतिशत बढ़कर 1.87 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। जीएसटी कलेक्शन के अप्रैल 2023 में सारे रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए हैं। सरकार ने मात्र एक महीने में 1.87 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है। पहली बार सकल जीएसटी संग्रह 1.75 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। मार्च 2023 के महीने में सृजित कुल ई-वे बिलों की संख्या 9.0 करोड़ थी, जो फ़रवरी 2023 के महीने में सृजित 8.1 करोड़ ई-वे बिलों की तुलना में 11 प्रतिशत अधिक है। सरकार के लिए भरपूर कमाई वाला महीना रहा। इस बात की गवाही जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े दे रहे हैं। देखा जाए तो इस साल अप्रैल में सरकार का जीएसटी कलेक्शन पिछले साल के मुकाबले 19,495 करोड़ रुपये अधिक रहा है। वित्त मंत्रालय ने जानकारी दी कि अप्रैल महीने की 20 तारीख को एक ही दिन में 68,228 करोड़ रुपये का जीएसटी कलेक्ट हुआ, ये किसी एक दिन में जीएसटी कलेक्शन का सबसे बड़ा नंबर है। उस दिन 9.8 लाख ट्रांजेक्शन की बदौलत ये रिकॉर्ड बन सका है। अप्रैल 2023 में जीएसटी कलेक्शन पिछले साल के कलेक्शन के मुकाबले 12 प्रतिशत अधिक रहा है, कुल 1,87,035करोड़ रुपये के जीएसटी कलेक्शन में केंद्र सरकार का कलेक्शन यानी सीजीएसटी 38,440 करोड़ रुपये रहा है। इसके बाद राज्यों का जीएसटी कलेक्शन यानी एसजीएसटी 47,412 करोड़ रुपये रहा है। जबकि इंटीग्रेटेट जीएसटी यानी आईजीएसटी का कलेक्शन 12,025 करोड़ रुपये रहा है। इसमें आयात शुल्क से हासिल हुआ 901 करोड़ रुपये भी शामिल है। देश में सबसे ज्यादा जीएसटी कलेक्शन महाराष्ट्र में हुआ है। अप्रैल 2023 में ये 33,196 करोड़ रुपये रहा है। जबकि 14,593 करोड़ रुपये के साथ कर्नाटक दूसरे नंबर और 11,721 करोड़ रुपये के साथ गुजरात तीसरे स्थान पर रहा है। पीएम ने अप्रैल 2023 के लिए जीएसटी राजस्व की वसूली का अब तक का सर्वाधिक 1.87 लाख करोड़ रुपये होना,भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी खबर है। वित्त मंत्रालय के ट्वीट का जवाब देते हुए पीएम ने एक ट्वीट में कहा,भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर! कम कर दरों के बावजूद कर की वसूली में वृद्धि होना, उस सफलता को दर्शाता है कि कैसे जीएसटी ने समन्वय और अनुपालन में वृद्धि की है।
साथियों बात अगर हम 2024 तक 5ट्रिलियन डॉलरअर्थव्यवस्था बनने की करें तो, केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान देश को साल 2024 तक फाइव ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी यानी 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही थी। हालांकि बजट के पहले भी पीएम ने अपने कई कार्यक्रमों के दौरान इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने की बात कह चुके थे। बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री का तर्क था कि भारत ने आज़ादी के बाद आर्थिक क्षेत्र में तीव्र वृद्धि नहीं की। इसका नतीजा यह रहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने में 55 सालों का समय लग गया, जबकि इसी दौरान चीन की अर्थव्यवस्था बड़ीतेज़ी से आगे बढ़ी।ऐसे में, आर्थिक क्षमता सीमित होने केचलते अक्सर देश के तमाम क्षेत्रों मसलन रेलवे, सामाजिक क्षेत्र, रक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर में ज़रूरी संसाधन उपलब्ध नहीं हो पाए।सरकार का मानना है कि अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि करके संसाधनों की कमी को दूर किया जा सकता है।
साथियों बात अगर हम इस तरह वर्तमान में हमें मिल रहीचुनौतियों की करें तो, सरकार के इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के संबंध में कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 5 ट्रिलियन डॉलर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये भारत को जीडीपी के लगभग 8 फीसद की वृद्धि दर की जरूरत होगी। मौजूदा वक्त में कई अर्थशास्त्री भारतीय अर्थव्यवस्था की गति धीमी होने की बात कर रहे हैं, साथ ही ऐसे हालत में उच्च आर्थिक वृद्धि दर को प्राप्त करने को एक कठिन चुनौती भी मानते हैं। वैश्विक हालात: अमेरिका-चीन के ट्रेड वॉर के चलते निर्यात आधारित विकास कमजोर होने के संकेत हैं।साल 2014 से लेकर 2017 तक कच्चे तेल के दाम देश की अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल थे, लेकिन उसके बाद इनके दामों में तेजी के चलते महंगाई बढ़ने लगी। परेशानी यहां पर सबसे बड़ी ये है कि दुनिया भर में विकास दर की रफ्तार धीमी पड़ रही है, और कमोबेश इसका असर भारत पर भी देखा जा सकता है।कड़े आर्थिक सुधार: नवंबर 2016 में सरकार ने नोटबंदी का ऐलान किया था। इससे आम लोगों के रोजगार पर काफी बुरा प्रभाव पड़ा था, लिहाजा उनके आय में भी कमी हुई थी। इस वजह से मांग में काफी कमी देखने को मिली थी। इसके अलावा, जुलाई 2017 में जीएसटी सुधार ने एक्सपोर्ट ग्रोथ पर भी नकारात्मक असर डाला। जीएसटी रिफॉर्म के चलते आयातकों को रिफंड में देरी हुई।कड़े नीतिगत मानक: मौद्रिक नीति का पूरा ध्यान मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने पर था जिससे ब्याज दरों के स्तर पर सख्ती बनी रहे। साथ ही, केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर राजकोषीय घाटा बहुत ज़्यादा रहा। सरकारी खजाने पर दबाव बढ़ने की वजह से केंद्र सरकार द्वारा व्यय में वृद्धि करना थोड़ा मुश्किल रहा। कड़े आर्थिक सुधारों और नीतिगत मानकों के चलते देश में उपभोक्ता मांग और निवेश मांग में अभी भी कमी बनी हुई है।धीमा बैंकिंग सुधार: साल 2018 से पहले एनपीए को लेकर बैंकों का काफी बुरा हाल रहा। हालांकि वित्त वर्ष 2018-19 में एनपीए अनुपात में थोड़ा सुधार जरूर देखने को मिला, लेकिन तभी एनबीएफसी के संकट ने एक नई मुसीबत को सामने ला दिया। म्यूचुअल फंड, बैंक और कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़े होने के नाते इस नई मुसीबत का व्यापक असर महसूस किया जा सकता है।कृषि और सेवा क्षेत्रों में सुस्ती: जलवायु परिवर्तन ने मॉनसून की रफ्तार को बिगाड़ रखा है जिसका असर भारतीय कृषि को भुगतान पड़ रहा है। साथ ही, भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा हिस्सा रखने वाले सेवा क्षेत्र में हालात बहुत अच्छे नहीं हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे और उनका अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि जीएसटी राजस्व कलेक्शन का स्वर्णिम माह अप्रैल 2023।जीएसटी कलेक्शन की बल्ले-बल्ले - पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़कर अप्रैल 2023 में 1.87 लाख करोड़ का अभूतपूर्व कलेक्शन।भारत में तेज़ी से बढ़ते राजस्व कलेक्शन से अर्थव्यवस्था की समृद्धि, वैश्विक नंबर वन बनने की सूचक है।
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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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