मज़बूती से विकसित होते भारत की गाथा में नए अध्याय जुड़े
साथियों बात अगर हम विश्व बैंक द्वारा 22 अप्रैल 2023 को जारी लॉजिस्टिक इंडेक्स की करें तो, भारत को 160 देशों में से 38 वें स्थान पर रखा है, जबकि 2014 में एलपीआई रैंक 54 थी, जो 16 स्थानों की छलांग थी।एलपीआई एक इंटरएक्टिव बेंचमार्किंग टूल है जो देशों को व्यापार रसद में आने वाली चुनौतियों और अवसरों की पहचान करने में मदद करने के लिए बनाया गया है।एलपीआई रिपोर्ट रैंकिंग के छह-घटकों में से; सीमा शुल्क 38 वें स्थान पर था; 36 पर बुनियादी ढांचा; 39 पर अंतरराष्ट्रीय शिपमेंट; 32 पर रसद गुणवत्ता और क्षमता;ट्रैकिंग औरअनुरेखण 33 पर; और 42 परसमयबद्धता।एलपीआई जमीन पर हितधारकों के एक विश्वव्यापी सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसमें वे उन देशों की रसद मित्रता पर प्रतिक्रिया प्रदान करते हैं जिनमें वे काम करते हैं और जिनके साथ वे व्यापार करते हैं। पीएम नें विश्व बैंक के लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक में भारत की 16 स्थानों की शानदार प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त की है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री के ट्वीट का जवाब देते हुए पीएम ने ट्वीट किया;हमारे सुधारों द्वारा संचालित और लॉजिस्टिक अवसंरचना में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने से जुड़ा एक उत्साहजनक रुझान। इससे लागत कम होगी और हमारे कारोबार अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। हमारे पीएम भारत को विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं लेकिन भारत की संस्कृति उनकी जड़ों में निहित है।
साथियों बात अगर हम भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के पिछले 9 माह के सबसे उच्च स्तर के आंकड़े पर पहुंचने की करें तो, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार दूसरे सप्ताह वृद्धि दर्ज की गई है। आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 14 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 1.657 अरब डालर की वृद्धि रही है और यह 586.412 अरब डालर पर पहुंच गया है। यह इसका नौ माह का उच्च स्तर है। इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 6.306 अरब डालर बढ़कर 584.755 अरब डालर पर पहुंच गया था। आंकड़ों के अनुसार, 14 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 2.204 अरब डालर बढ़कर 516.635 अरब डालर पर पहुंच गई हैं। फॉरेन रिजर्व के आंकड़े कहते हैं,कुल विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए की बड़ी हिस्सेदारी होती है। हालांकि, बीते सप्ताह स्वर्ण भंडार में 52.1 करोड़ डालर की गिरावट रही है। अब स्वर्ण भंडार 46.125 अरब डालर रह गया है।आरबीआई ने कहा कि स्वर्ण भंडार 52.1 करोड़ डॉलर घटकर 46.125 अरब डॉलर रह गया। शीर्ष बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 3.8 करोड़ डॉलर घटकर 18.412 अरब डॉलर रह गया। समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के साथ देश की आरक्षित स्थिति 12 मिलियन अमरीकी डालर बढ़कर 5.19 बिलियन अमरीकी डालर हो गई।
साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय मार्ग ढूलाई, उसकी नीति और अर्थव्यवस्था के विस्तार की करें तो, वैश्विक स्तरपर आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, परंतु कयास लगाए जा रहे हैं कि शीघ्र ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में तब्दील होने की पूरी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसका सटीक कारण है कि उपरोक्त दोनों गाथाएं और कोविड महामारी के बाद जिस तरह चीते की रफ्तार के साथ नीतियों रणनीतियों पर काम कर उन्हें क्रियान्वित किया जा रहा है उसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसकी गूंज दिख रही है।
साथियों बात अगर हम नई राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति (एनएलपी) की करें तो, एनएलपी का सीधा मतलब माल ढुलाई की लागत में कमी लाने से है। लॉजिस्टिक्स वो प्रॉसेस है, जिसके अंतर्गत माल और सेवाओं को उनके बनने वाली जगह से लेकर जहां पर उनका इस्तेमाल होना है, वहां भेजा जाता है। यह दुनिया में आत्मनिर्भर भारत की मेक इन इंडिया गूंज का आगाज है क्योंकि यह नई नीति के साथ पीएम गतिशील नीति मिलकर देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाकर इतिहास रचने नई कार्य संस्कृति की तरफ ले जा रहे हैं,क्योंकि इस नई एनएलपी का प्रभाव हर छोटे से लेकर बड़ी वस्तु पर पड़ेगा क्योंकि हर वस्तु की कीमत में परिवहन लागत जुड़ती है जिसके प्रभाव से कीमतें ऊंची करने में महत्वपूर्ण रोल होता है जो इस नीति के चलते कीमतों में कमी आएगी क्योंकि माल ढुलाई कीमतों में कमी आएगी जिससे ज़ीडीपी पर भी असर पड़ेगा।
साथियों बात अगर हम माल ढुलाई फैक्टर की करें तो, दरअसल हर देश में जरूरत की हर चीज़ उपलब्ध होना असंभव है।भारत में भी कई ऐसी चीज़ें हैं जिनका बाहर से आयात किया जाता है, इन चीज़ों में आम नागरिकों के लिए खाने-पीने की चीजों से लेकर डीज़ल-पेट्रोल, इंडस्ट्री से जुड़े सामान, व्यापारियों के माल, फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल, उद्योगों को चलाने के लिए ज़रूरी ईंधन और तमाम तरह की चीजें शामिल हैं, इन सभी चीज़ों को एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना होता है। सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर जाने के पीछे एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री और नेटवर्क काम करता है जो चीजों को तय समय पर पहुंचाता है, इस इंडस्ट्री का नाम लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री है।साथियों मालूम हो कि भारत में लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई के लिए सड़क और जल परिवहन से लेकर हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है, इसमें काफी बड़ी लागत लगती है, अब ईंधन लागत को कम करने के लिए इस नई नीति को पेश किया गया है, इससे देशभर में माल ढुलाई का काम तेजी से हो सकेगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रीने बताया है कि देश अपनी जीडीपी का 13 से 14 फीसद भाग लॉजिस्टिक्स पर खर्च कर देता है जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश केवल 8 से 9 फीसदी ही खर्च करते हैं,इस नीति से अब देश के लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को भी मजबूती मिलेगी और साथ ही खर्च भी कम होगा।
साथियों बात अगर हम नई राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति के उद्देश्यों की करें तो, लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री का मुख्य काम जरूरी सामानों को एक जगह से दूसरी जगह तय समय सीमा तक पहुंचाना होता है, इन सभी सामानों को विदेश से लाना, उसे अपने पास स्टोर करना और फिर डिलीवरी वाली जगह पर उसे तय समय पर पहुंचाना इस इंडस्ट्री की जिम्मेदारी है, इस बीच इंडस्ट्री पर ईंधन खर्च का बहुत भार पड़ता है। इसके अलावा, सड़कों की अच्छी सेहत, टोल टैक्स और रोड टैक्स के साथ-साथ अन्य कई चीजें भी इस इंडस्ट्री को प्रभावित करती हैं. इन्हीं सब फैक्टर्स को लेकर सरकार विगत तीन वर्षों से काम कर रही था, साथ ही, रोजगार के अवसर पैदा कर छोटे और मंझले उद्यमों को बढ़ावा दिया जाना है. इस नीति के तहत लॉजिस्टिक सेक्टर में लागत को अगले 10 सालों के भीतर 10 प्रतिशत तक लेकर आना है। हालांकि अभी यह लागत कुल 13 से 14 प्रतिशत तक है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस सेकटर में 44 वें स्थान पर है। इसमें जर्मनी पहले स्थान पर है जो ईंधन खर्च सबसे कम करता है, वहीं लॉजिस्टिक्स खर्च के मामले में अमेरिका 14वे और चीन 26वे स्थान पर है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरा विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि,मज़बूती सेविकसित होते भारत की गाथा में नए अध्याय जुड़े विश्व बैंक का लॉजिस्टिक (माल ढुलाई) परफारमेंस इंडेक्स 2023 जारी - भारत की 38 वी रैंक पर छलांग। तेज़ी से विकसित होते भारत की जड़ों में संस्कृति का निहित होना रेखांकित करने वाली बात है।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
विश्व बैंक का लॉजिस्टिक (माल ढुलाई) परफारमेंस इंडेक्स 2023 जारी - भारत की 38 वी रैंक पर छलांग
तेज़ी से विकसित होते भारत की जड़ों में संस्कृति का निहित होना रेखांकित करने वाली बात है - एडवोकेट किशन भावनानीगोंदिया - वैश्विक स्तरपर जिस तेज़ी और मजबूती के साथ भारत के अति विकसित होने की गाथाएं प्रतिदिन जुड़ते जा रही है, इससे इस बात का संज्ञान लिया जा सकता है कि भारत जल्द ही विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहा है और वह दिन दूर नहीं जब हम विश्व की नंबर वन अर्थव्यवस्था होंगे। एसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आज दिनांक 22 अप्रैल का दिन हम अक्षय तृतीया, भगवान परशुराम जयंती उत्सव, ईद उल फितर और पृथ्वी दिवस के जश्न में दुबे थे कि दो अच्छी खबरें आई कि, 22 अप्रैल 2023 को विश्व बैंक की लार्जेस्टिक (माल ढुलाई) परफारमेंस इंडेक्स 2023 के सूचकांक में भारत 2014 के मुकाबले 16 अंकों का उछाल लेकर 38 वें रैंक पर आ गया है। दूसरी खबर देश का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले 9 माह के उच्च स्तर आंकड़े याने 586.412 अरब डॉलर पर पहुंच गया है जो रेखांकित करने वाली बात है। इसीलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, मज़बूती से विकसित होते भारत की गाथा में नए अध्याय जुड़े।
साथियों बात अगर हम विश्व बैंक द्वारा 22 अप्रैल 2023 को जारी लॉजिस्टिक इंडेक्स की करें तो, भारत को 160 देशों में से 38 वें स्थान पर रखा है, जबकि 2014 में एलपीआई रैंक 54 थी, जो 16 स्थानों की छलांग थी।एलपीआई एक इंटरएक्टिव बेंचमार्किंग टूल है जो देशों को व्यापार रसद में आने वाली चुनौतियों और अवसरों की पहचान करने में मदद करने के लिए बनाया गया है।एलपीआई रिपोर्ट रैंकिंग के छह-घटकों में से; सीमा शुल्क 38 वें स्थान पर था; 36 पर बुनियादी ढांचा; 39 पर अंतरराष्ट्रीय शिपमेंट; 32 पर रसद गुणवत्ता और क्षमता;ट्रैकिंग औरअनुरेखण 33 पर; और 42 परसमयबद्धता।एलपीआई जमीन पर हितधारकों के एक विश्वव्यापी सर्वेक्षण पर आधारित है, जिसमें वे उन देशों की रसद मित्रता पर प्रतिक्रिया प्रदान करते हैं जिनमें वे काम करते हैं और जिनके साथ वे व्यापार करते हैं। पीएम नें विश्व बैंक के लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक में भारत की 16 स्थानों की शानदार प्रगति पर प्रसन्नता व्यक्त की है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री के ट्वीट का जवाब देते हुए पीएम ने ट्वीट किया;हमारे सुधारों द्वारा संचालित और लॉजिस्टिक अवसंरचना में सुधार पर ध्यान केंद्रित करने से जुड़ा एक उत्साहजनक रुझान। इससे लागत कम होगी और हमारे कारोबार अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे। हमारे पीएम भारत को विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं लेकिन भारत की संस्कृति उनकी जड़ों में निहित है।
साथियों बात अगर हम भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के पिछले 9 माह के सबसे उच्च स्तर के आंकड़े पर पहुंचने की करें तो, देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार दूसरे सप्ताह वृद्धि दर्ज की गई है। आरबीआई की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 14 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में 1.657 अरब डालर की वृद्धि रही है और यह 586.412 अरब डालर पर पहुंच गया है। यह इसका नौ माह का उच्च स्तर है। इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 6.306 अरब डालर बढ़कर 584.755 अरब डालर पर पहुंच गया था। आंकड़ों के अनुसार, 14 अप्रैल को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 2.204 अरब डालर बढ़कर 516.635 अरब डालर पर पहुंच गई हैं। फॉरेन रिजर्व के आंकड़े कहते हैं,कुल विदेशी मुद्रा भंडार में एफसीए की बड़ी हिस्सेदारी होती है। हालांकि, बीते सप्ताह स्वर्ण भंडार में 52.1 करोड़ डालर की गिरावट रही है। अब स्वर्ण भंडार 46.125 अरब डालर रह गया है।आरबीआई ने कहा कि स्वर्ण भंडार 52.1 करोड़ डॉलर घटकर 46.125 अरब डॉलर रह गया। शीर्ष बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 3.8 करोड़ डॉलर घटकर 18.412 अरब डॉलर रह गया। समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के साथ देश की आरक्षित स्थिति 12 मिलियन अमरीकी डालर बढ़कर 5.19 बिलियन अमरीकी डालर हो गई।
साथियों बात अगर हम राष्ट्रीय मार्ग ढूलाई, उसकी नीति और अर्थव्यवस्था के विस्तार की करें तो, वैश्विक स्तरपर आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, परंतु कयास लगाए जा रहे हैं कि शीघ्र ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में तब्दील होने की पूरी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसका सटीक कारण है कि उपरोक्त दोनों गाथाएं और कोविड महामारी के बाद जिस तरह चीते की रफ्तार के साथ नीतियों रणनीतियों पर काम कर उन्हें क्रियान्वित किया जा रहा है उसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसकी गूंज दिख रही है।
साथियों बात अगर हम नई राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति (एनएलपी) की करें तो, एनएलपी का सीधा मतलब माल ढुलाई की लागत में कमी लाने से है। लॉजिस्टिक्स वो प्रॉसेस है, जिसके अंतर्गत माल और सेवाओं को उनके बनने वाली जगह से लेकर जहां पर उनका इस्तेमाल होना है, वहां भेजा जाता है। यह दुनिया में आत्मनिर्भर भारत की मेक इन इंडिया गूंज का आगाज है क्योंकि यह नई नीति के साथ पीएम गतिशील नीति मिलकर देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाकर इतिहास रचने नई कार्य संस्कृति की तरफ ले जा रहे हैं,क्योंकि इस नई एनएलपी का प्रभाव हर छोटे से लेकर बड़ी वस्तु पर पड़ेगा क्योंकि हर वस्तु की कीमत में परिवहन लागत जुड़ती है जिसके प्रभाव से कीमतें ऊंची करने में महत्वपूर्ण रोल होता है जो इस नीति के चलते कीमतों में कमी आएगी क्योंकि माल ढुलाई कीमतों में कमी आएगी जिससे ज़ीडीपी पर भी असर पड़ेगा।
साथियों बात अगर हम माल ढुलाई फैक्टर की करें तो, दरअसल हर देश में जरूरत की हर चीज़ उपलब्ध होना असंभव है।भारत में भी कई ऐसी चीज़ें हैं जिनका बाहर से आयात किया जाता है, इन चीज़ों में आम नागरिकों के लिए खाने-पीने की चीजों से लेकर डीज़ल-पेट्रोल, इंडस्ट्री से जुड़े सामान, व्यापारियों के माल, फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल, उद्योगों को चलाने के लिए ज़रूरी ईंधन और तमाम तरह की चीजें शामिल हैं, इन सभी चीज़ों को एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना होता है। सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर जाने के पीछे एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री और नेटवर्क काम करता है जो चीजों को तय समय पर पहुंचाता है, इस इंडस्ट्री का नाम लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री है।साथियों मालूम हो कि भारत में लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई के लिए सड़क और जल परिवहन से लेकर हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है, इसमें काफी बड़ी लागत लगती है, अब ईंधन लागत को कम करने के लिए इस नई नीति को पेश किया गया है, इससे देशभर में माल ढुलाई का काम तेजी से हो सकेगा। वाणिज्य और उद्योग मंत्रीने बताया है कि देश अपनी जीडीपी का 13 से 14 फीसद भाग लॉजिस्टिक्स पर खर्च कर देता है जबकि जर्मनी और जापान जैसे देश केवल 8 से 9 फीसदी ही खर्च करते हैं,इस नीति से अब देश के लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को भी मजबूती मिलेगी और साथ ही खर्च भी कम होगा।
साथियों बात अगर हम नई राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति के उद्देश्यों की करें तो, लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री का मुख्य काम जरूरी सामानों को एक जगह से दूसरी जगह तय समय सीमा तक पहुंचाना होता है, इन सभी सामानों को विदेश से लाना, उसे अपने पास स्टोर करना और फिर डिलीवरी वाली जगह पर उसे तय समय पर पहुंचाना इस इंडस्ट्री की जिम्मेदारी है, इस बीच इंडस्ट्री पर ईंधन खर्च का बहुत भार पड़ता है। इसके अलावा, सड़कों की अच्छी सेहत, टोल टैक्स और रोड टैक्स के साथ-साथ अन्य कई चीजें भी इस इंडस्ट्री को प्रभावित करती हैं. इन्हीं सब फैक्टर्स को लेकर सरकार विगत तीन वर्षों से काम कर रही था, साथ ही, रोजगार के अवसर पैदा कर छोटे और मंझले उद्यमों को बढ़ावा दिया जाना है. इस नीति के तहत लॉजिस्टिक सेक्टर में लागत को अगले 10 सालों के भीतर 10 प्रतिशत तक लेकर आना है। हालांकि अभी यह लागत कुल 13 से 14 प्रतिशत तक है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत इस सेकटर में 44 वें स्थान पर है। इसमें जर्मनी पहले स्थान पर है जो ईंधन खर्च सबसे कम करता है, वहीं लॉजिस्टिक्स खर्च के मामले में अमेरिका 14वे और चीन 26वे स्थान पर है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरा विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि,मज़बूती सेविकसित होते भारत की गाथा में नए अध्याय जुड़े विश्व बैंक का लॉजिस्टिक (माल ढुलाई) परफारमेंस इंडेक्स 2023 जारी - भारत की 38 वी रैंक पर छलांग। तेज़ी से विकसित होते भारत की जड़ों में संस्कृति का निहित होना रेखांकित करने वाली बात है।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
About author
कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
Comments
Post a Comment
boltizindagi@gmail.com