बहू आएगी तो ये खुद ब खुद सुधर जाएगा
हम तो हार गए इसको सुधारते सुधारते चलो ब्याह देते बेटे को इसकी नकेल तो बहू ही आकर कसेगी ,कितनी सरलता से ये शब्द कोई मां बाप कह देते अपने बिगड़े बेटे के लिए
पर वो ये नहीं जानते कि वो जिस भविष्य के लिए सुनहरे सपने संजोते बेटे के सुधरने के लिए , वो किसी ओर की औलाद को एक उम्मीद के साथ उसे नरक मे धकेल देते ।।
जिस औलाद बेटे को सुधारने मे जिंदगी की बाजी हार गये मां बाप, वो कैसे किसी ओर की औलाद की जिंदगी बर्बाद कर सकते । पर एसी सोच संग बहुत से मां बाप बेटे की शादी करवा देते और बेटा यदि बहू को प्रताड़ित करे चाहे मानसिक या शारीरिक तो कहते बहू कि ही कोई ग़लती होगी और जीते-जी मार देते किसी ओर की औलाद को अपने बिगड़े बेटे की शादी करवाकर । बहू तो हर संभव प्रयास करती , ओर करती ही जाती पर उसे क्या पता कि उसे दर्द की आग में जबरदस्ती , जान बूझकर धकेला सास-ससुर ने , लोगों ने बस फिर इतना ही कहा तेरी किस्मत ही खराब थी। कुछ व्यंग्य कसे तो कुछ , कुछ ओर बस कहते चले गये पिसी तो वो बेगुनाह जो बहुत सपने संजोए थी जिसके सपनों कि डोली को अर्थी में तब्दील कर तमाशा बना मूकदर्शक बन वही सास ससुर देखते रहे ना कोई सांत्वना और ना साथ । बहुत आसान है किसी ओर से उम्मीद लगाना पर जब खुद पर बात आती तो तब पता चलता । अंत बस यही वेदना से भरी ख्वाबों कि डोली अर्थी में तब्दील हो खामोशी ताने या सोचे भाड़ मे जाओ खाओ पियो मौज करो या आंखें सर्वदा के लिए मूंद जाती । इस तरह के विचारों के प्रति मेरी सोच यह हमारी कि कोशिश करो ना समझे कोई तो खाओ पियो मौज करो भाड़ मे जाए रिश्ते नाते , भाड़ मे जाए कहां से कमा के लाता मस्त जिंदगी जियो अपनी बच्चों संग।
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वीना आडवाणी तन्वी
नागपुर, महाराष्ट्र
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