विज़न 2047 - आकांक्षा 47 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था
एशिया आर्थिक संवाद के सातवें संस्करण 23-25 फ़रवरी 2023 में दिखा भारत का दम
युवा आबादी की आकांक्षा, भारतीय अर्थव्यवस्था को 2047 तक 47 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में सहायता करेगी
वैश्विक स्तरपर भारत का युवा जनसंख्यकिय लाभांश,सबसे बड़ी भारतीय परिसंपत्ति के रूप में पहचाना जा रहा है - एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर आज एशिया का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है, क्योंकि एशिया में 4.7 अरब लोग रहते हैं और यह दुनिया की आबादी का 60 फ़ीसदी हिस्सा है। आईएमएफ के अनुसार, एशिया हाल के दिनों में तेज़ी से बढ़ने वाले बाजारों में से एक है। विश्व के प्रमुख उपभोक्ता भारत और चीन एशिया में हैं। इसलिए एशिया को शामिल किए बिना कोई भी देश अपना व्यापार बाजार नहीं बढ़ा सकता! आज एशिया वैश्विक बाजार का प्राथमिक फोकस बनते जा रहा है क्योंकि बहुत सस्ता श्रम और आसानी से जमीन की उपलब्धता एशिया को आकर्षक बनाती है। सीमाओं के पार विवाद रक्षा व्यापार के लिए फायदेमंद होते हैं। इस क्षेत्र में एक उष्णकटिबंधीय जलवायु है और यह संसाधनों में बहुत समृद्ध है। इसलिए कच्चे माल कीउपलब्धता आसान है। आज पूरे एशिया में भारत और विस्तारवादी देश दो प्रमुख हस्तियां हैं, परंतु आज वैश्विक स्तरपर भारत का रुतबा अपेक्षाकृत अधिक है, क्योंकि हम रूस और नाटो देशों दोनों के साथ पैरेलल चल रहे हैं। हमारी विदेश नीति कूटनीति की सकारात्मक चर्चा चर्चाएं दुनिया भर में होती है। चूंकि 23 से 25 फ़रवरी 2023 तक पुणे में भारतीय मेज़बानी से एशिया आर्थिक संवाद का सातवां संस्करण जोश के साथ केंद्रीय वाणिज्य मंत्री के संबोधन से समापन हुआ जिसमें 12 देशों के 44 वक्ताओं ने भाग लिया जिसमें, सम्मेलन में 3 दिनों में 11 सत्र हुए। इन सत्रों में ग्लोबल ग्रोथ प्रॉस्पेक्ट्स: लुकिंग फॉरवर्ड; सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं को लचीला बनाना; एफटीए: द वे फॉरवर्ड एंड मेटावर्स: अंडरस्टैंडिंग द फ्यूचर। इमर्जिंग वर्ल्ड ऑर्डर में अग्रणी सामाजिक रूप से जिम्मेदार व्यवसाय' पर सत्र भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा क्यूरेट किया गया है। अर्थव्यवस्था में क्रांति लाना, भुगतान प्रणालियों को एकीकृत करना और मुद्राओं को डिजिटाइज़ करना' पर सत्र को द एशिया सोसाइटी इंडिया सेंटर द्वारा क्यूरेट किया गया हैजलवायु परिवर्तन के वैश्विक रूप से चुनौतीपूर्ण मुद्दे पर दो सत्रसमर्पित किए गए। इसमें 'जलवायु परिवर्तन, एक वास्तविक खतरा' शामिल है। 'जलवायु लक्ष्यों को पूरा करना, आगे की राह' पर 2070 में चर्चाएं हुई।
साथियों बात अगर हम पुणे में संपन्न एशिया आर्थिक संवाद (एईडी) की करें तो, उद्घाटन सत्र में विदेश मंत्री, भूटान के वित्त मंत्री तथा मालदीव के वित्त मंत्री नें बातचीत की। यह संवाद विदेश मंत्रालय का प्रमुख वार्षिक आयोजन है जिसे पुणे इंटरनेशनल सेंटर के सहयोग से आयोजित किया गया। इसकी प्रमुख थीम एशिया और उभरती विश्व व्यवस्था थी। इसमें वैश्विक विकास की संभावनाओं जैसे विषयों पर भी चर्चा की गई। इस संवाद में ब्राजील, अमरीका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, भूटान, मालदीव, स्विटजरलैंट, सिंगापुर और मेक्सिको समेत अनेक देशों के 44 से अधिक वक्ताओं। अनेक प्रतिनिधि एशिया आर्थिक संवाद की वेबसाइट और डिजिटल मंचों के माध्यम से परिचर्चा में सम्मिलित हुए। इस संवाद का मुख्य फोकस भू-अर्थशास्त्र पर था। एशिया की प्रमुख शक्तियाँ भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया हैं। वे निकट भविष्य में तेजी से बढ़ेंगे। यहां कोविड रिकवरी तेजी से हुई है। इंडोनेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, बांग्लादेश, थाईलैंड, मलेशिया और श्रीलंका को सहायता की आवश्यकता है। यह सम्मेलन एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसमें मंत्रियों, नीति निर्माताओं, उद्योग के नेताओं, डोमेन विशेषज्ञों, शिक्षाविदों और वैश्विक व्यापार और वित्त विशेषज्ञों की उच्च स्तरीय भागीदारी शामिल हुए।इस वर्ष भारत की G20 अध्यक्षता 'भारत की अपनी G20 अध्यक्षता के लिए दृष्टि' और 'हाउ द ग्लोबल साउथ विल शेप द G20 एजेंडा' पर दो महत्वपूर्ण सत्रों के साथ विचार-विमर्श का हिस्सा हुआ।
साथियों बात अगर हम एईडी के 25 फ़रवरी 2023 को माननीय केंद्रीय वाणिज्य मंत्री द्वारा समापन समारोह की करें तो, उन्होंने कहा कि एशिया की अपनी विशेष गतिशीलता है, जहां हमारे पास ऐसी अर्थव्यवस्थाएं हैं जो लोकतंत्र और गैर-पारदर्शी और गैर-नियम-आधारित दोनों हैं। उन्होंने कहा,पिछले एक दशक में,भारत अंतर्राष्ट्रीयकरण और प्रौद्योगिकी तथा काम करने के आधुनिक तरीके के साथ जुड़ना चाहता है। आज, भारत को 21वीं सदी के देश के रूप में नहीं भी तो स्पष्ट रूप से तो दशक के देश के रूप में पहचाना जाता है। हम पहले ही दसवीं सबसे बड़ी से पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में आ चुके हैं। आज हमारे पास एक युवा जनसांख्यिकीय लाभांश है, जिसे हमारी सबसे बड़ी परिसंपत्ति के रूप में पहचाना जा रहा है। उन्होंने उद्योग से पिछले कुछ वर्षों में किए गए सुधारों के बारे में, हमारे मजबूत बृहद आर्थिक बुनियादी कारकों पर, उनकी उपलब्धियों पर गर्व करने की अपील की और कहा, हम मानते हैं कि भारत न केवल सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, हम आने वाले कई दशकों तक ऐसा ही करते रहेंगे। उन्होंने अपने विश्वास को साझा किया कि भारत चार साल या अधिक से अधिक पांच साल में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी। जिस तरह से भारत आगे बढ़ रहा है, उसके बारे में मेरा खुद का विश्वास है कि हम 2047 तक अपनी अर्थव्यवस्था को शायद 35 - 40 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के निकट ले जाएंगे। कोई भी भारतीय किसी से पीछे नहीं रहना चाहता। उद्योग से पिछले कुछ वर्षों में किए गए सुधारों के बारे में, हमारे मजबूत बृहद आर्थिक बुनियादी कारकों पर, उनकी उपलब्धियों पर गर्व करने की अपील की और कहा, हम मानते हैं कि भारत न केवल सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, हम आने वाले कई दशकों तक ऐसा ही करते रहेंगे। श्री गोयल ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष का विकासशील देशों की तुलना में विकसित देशों पर अधिक गंभीर प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा और मुद्रास्फीति, ब्याज दरों और विकास पर परिणामी प्रभाव के लिएविकसित और विकासशील दोनों देशों पर इसका विनाशकारी प्रभाव पड़ा है,भारतीय उत्पादों पर और अधिक गर्व करने के लिए हमारे लोगों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर बल दिया और भारत कानून के शासन, उनकी स्वतंत्रता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करता है। एशिया में बहुत अलग आर्थिक दर्शनसह-अस्तित्व में हैं। हमें पर्याप्त प्रणाली और विनिर्माण प्रणाली बनाने में कुछ समय लगेगा, और चीन से आने वाली कम लागत वाली कम गुणवत्ता वाली वस्तुओं की अफीम से खुद को दूर करने के लिए अपने लोगों और व्यवसायों को भी संवेदनशील बनाना होगा। मुक्त व्यापार समझौतों की चर्चा करते हुए, उन्होंने उद्योग प्रतिनिधियों से कहा कि हमने विश्व के इतिहास में अब तक का सबसे तेज एफटीए किया है, भारत यूएई समझौता 88 दिनों में पूरा हुआ है। उन्होंने कहा, हमने ऑस्ट्रेलिया के साथ एक तेज़ एफटीए भी पूरा किया। दुनिया भारत के साथ काम करने के प्रति यही उत्साह दिखा रही है। इजरायल, कनाडा, ईयू, यूके और जीसीसी के साथ हमारी बातचीत चल रही है। रूस और उसके ईएयू के सहयोगी देश भी भारत के साथ तेजी से बातचीत करना चाहते हैं। अमेरिका के साथ एफटीए पर एक प्रश्न पर,कहा कि अमेरिका में एफटीए की स्वीकृति के लिए अमेरिकी कांग्रेस से अनुमोदन की आवश्यकता है और अमेरिका में इस पर कोई द्विदलीय समर्थन नहीं है। उन्होंने कहा,इसलिए एक वैकल्पिक ढांचे के रूप में भारत प्रशांत आर्थिक संरचना की परिकल्पना की गई है। हम लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं, प्रौद्योगिकी साझेदारी और अप्रत्यक्ष उपायों के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था को खोलने के मामले में अमेरिका के निकट जाने की सोच रहे हैं। अमेरिका के साथ हमारा लगातार संवाद होता है। होली के दौरान अमेरिकी वाणिज्य सचिव के साथ शीर्ष अमेरिकी कंपनियों का एक विशाल व्यापार प्रतिनिधिमंडल भारत आ रहा है। हम भारत-अमेरिका साझेदारी को सुदृढ़ बनाने के लिए अत्यधिक समय और पूंजी लगा रहे हैं। एमएसएमई को सहायता देने के प्रश्न पर, उन्होंने कहा कि बड़े व्यवसायों के आसपास पूरे इकोसिस्टम को देखते हुए निर्यात बढ़ाने के किसी भी प्रयास का एमएसएमई पर प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा “यद्यपि सरकार के पास व्यवसायों को किकस्टार्ट करने की योजनाएँ हैं, अंतत: हमें उपभोक्ताओं और व्यवसायों के हितों के बीच संतुलन बनाना होगा। हम कृत्रिम रूप से किसी क्षेत्र को केवल एक बिंदु तक ही सहायता दे सकते हैं। एमएसएमई हमेशा वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहेंगे। इसलिए, एमएसएमई के साथ-साथ स्टार्टअप और महिला उद्यमियों को विभिन्न छूट प्रदान की जा रही है।आरसीईपी में शामिल नहीं होने पर कहा कि यह आपदा के समान था क्योंकि हम अपील की अदालत के बिना ऐसे मुक्त व्यापार समझौते में प्रवेश कर रहे थे, जहां कोई लोकतंत्र या कानून का शासन नहीं था। कुछ मुट्ठी भर लोगों को छोड़कर, मुझे याद नहीं कि किसी ने आरसीईपी में शामिल होने के लिए कहा हो।उन्होंने कहा कि जीवन की अच्छी चीजों के लिए भारत में युवा आबादी की आकांक्षा भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएगी और हमें 2047 तक 47 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में सहायता करेगी।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करउसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि विज़न 2047 आकांक्षा 47 मिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था। एशिया आर्थिक संवाद के सातवें संस्करण23-25 फ़रवरी 2023 में दिखा भारत का दम। युवा आबादी की आकांक्षा भारतीय अर्थव्यवस्था को 2047 तक 47 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में सहायता करेगी। वैश्विक स्तर पर भारत का युवा जनसंख्यकिया लाभांश सबसे बड़ी भारतीय परिसंपत्ति के रूप में पहचाना जा रहा है।
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