भावनानी के भाव
मौत का मुल्यांकन
मैंने भी सोचा हम तो यूं ही जिंदगी
जिए जा रहे हैं बेकार
मौत ज़िन्दगी से हसीन होती है
सहानुभूति साथ सम्मान तारीफ़ की जा रही है
आज एक गरीब की मौत से पता चला
मौत कितनी हसीन होती है
जिससे बारे में बात करना पसंद नहीं था
लोग उसकी तारीफ़ कर रहे थे
कभी दो मिनट उसके पास कोई बैठा ना था
आज लोगों का हुजूम पास बैठा था
किसी ने कभी उसको कोई तोहफा दिया ना था
आज फूल ही फूल दिए जा रहे थे
उसके साथ कोई दो कदम कभी चला ना था
आज काफिला बन चल रहे थे
वह तरस गया था सबके साथ के लिए
आज लोग उसे कंधे पर बिठा ले जा रहे थे
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कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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