द्वारिका में बस जाओ

 द्वारिका में बस जाओ

द्वारिका में बस जाओ
वृंदावन में मत भटको राधा,
बंसी सुनने तुम आ जाओ ।
कान्हा पर ना इल्जाम लगे,
फिर तुम उसकी हो जाओ ।।

रुकमणी,सत्या, जामवंती संग
तुम द्वारिका में बस जाओ।
छोड़ आया तुझे तेरा कान्हा,
ऐसा इल्जाम ना लगाओ ।।

पूछो हाल जरा कान्हा का,
जो सुन राधा तड़प उठे।।
वो धुन कहां अब बंसी में,
जो राधा प्रेम में बज उठे।।

राधा राधा कान्हा पुकारे,
तुम हो कान्हा की प्यारी ।
तुम वृंदावन में, 
रुक्मणी महल में,
फिर भी तुम राधा रानी।।

वृंदावन में राधा मत भटको,
अधर प्रेम पूर्ण कर जाओ।
जग की चिंता छोड़ तुम राधा,
अब मेरी द्वारिका में बस जाओ।।

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अंकुर सिंह
अंकुर सिंह
हरदासीपुर, चंदवक
जौनपुर, उ. प्र.

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