कविता–कृष्ण की व्यथा
क्या कृष्ण की कोई व्यथा नहीं थी?
उनकी पीड़ा की कोई गाथा नहीं थी? छोड़ा गोकुल मैया और गैया छोड़ा और गोपी का
आंचल उन्हें कितनी हुई पीड़ा हमें पता नहीं?
देख कर अपनी प्रिय सखी का चीरहरण
क्या कांप नहीं उठा होगा कृष्ण का हृदय और मन?
धोए थे सुदामा के चरण कृष्ण ने अपने आंसू से
देख कर अपने मित्र की हालत बह रही थीं नदियां
उस वक्त कृष्ण की आंखों से,
मेवाड़ में मीरा को मिला दुख कृष्ण
के मन को क्या सहन हुआ था?
हृदय में अत्यंत दर्द के साथ मात्र मीरा के लिए कृष्ण ने
अपने मुखारविंद को हंसता दिखाया था
क्या कृष्ण को हमारे दुख-दर्द पता नहीं?
तो उनके दर्द न जानना हमारी खता नहीं?
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