कविता : फितूर
सुना है बड़े मशहूर हो गए हो,क्या इसलिए इतनी दूर हो गए हो !
हर बात चुभती है खंजर सी लेकिन,
फिर भी मुझे तुम मंजूर हो गए हो ।
अजनबियों जैसे मिलने लगे हो,
बड़े आदमी से हुजूर हो गए हो !!
मिले भी तो कर्ज़ा उतारा हो जैसे,
इतने भी क्या मग़रूर हो गए हो !!
लिबास-ए-शोहरत उतारोगे जब भी,
देखना कितने बेनूर हो गए हो !!
मुरव्वत जो कर दी तो इतरा रहे हो,
गुनहगार हो न बेकुसूर हो गए हो !!
बस भी करो अब सताओगे कितना,
मुहब्बत नहीं तुम फ़ितूर हो गए हो !!
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Veerendra Jain, Nagpur |
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Instagram id : v_jain13
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