आओ मन को सकारात्मक सोच में ढालें| Let's mold the mind into positive thinking

तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा

आओ मन को सकारात्मक सोच में ढालें

वर्तमान आधुनिक प्रौद्योगिकी डिजिटल युग में अंधविश्वासों गलतफहमियां से दूर, सकारात्मक सोच रखना सफ़लता की कुंजी है
जीवन में हम जैसा सोचते हैं, वैसा हमारा मन हो जाता है,जो सशक्त और शक्तिशाली ऊर्जा का रूप है, इसमें विश्वास आशा और सुंदर विचारों को रखें - एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया - वैश्विक स्तरपर पूरी दुनिया में भारत मान्यताओं कहावतों, पुराणों पंक्तियों, धार्मिक गाथाओं बलि रीति रिवाजों अंकगणित के अंकों सहित अनेक सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पर आदि अनादि काल से चलता आ रहा है। पौराणिक काल से ही भारत में यह प्रथाएं चलती आ रही है। परंतु हम कुछ दशकों से देख रहे हैं कि, अनेक कुप्रथाओं और नकारात्मक सोच वाली कुछ गतिविधियों पर शासकीय स्तरपर कानून बनाकर, या कुछ प्रथाओं को सामाजिक व्यक्तिगत या घरेलू स्तरपर बंद करने की कोशिशें की गई है। परंतु अभी भी कुछ कुप्रथाओं या विपरीत नकारात्मक सोच शुरू है जिन्हें शासकीय या सामाजिक स्तरपर बंद नहीं किया जासकता। केवल जनता जनार्दन द्वारा जन जागरण अभियान चलाकर ही बंद किया जा सकता है, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कहावत 3 और 13 के आंकड़े की है, जिसे अशुभ माना जाता है हालांकि इन आंकड़ों के कई सफलताओं की गाथाओं में से सबसे अच्छा उदाहरण हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के जीवन में 3 और 13 का महत्व है। उनकी राजनीत सफलताओं में 13 मई 1996 को पहली बार पीएम की शपथ लिए, 13 दिन बाद सरकार गिरी, दोबारा 13 महीने बाद पीएम बने, तीसरी बार पीएम बने तो 13 दिनों की साझा सरकार थी। 13 अप्रैल 1999 को शपथ ली तो पूरे 5 साल चली। 2004 के चुनाव में 13 अप्रैल को ही नामांकन भरा, इस प्रकार 13 का आंकड़ा उनके जीवन में साए की तरह चलता रहा। इन आंकड़ों के अनेक सफलताओं के भावों को देखा जा सकता है। इसलिए आज हम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि आओ मन को सकारात्मक सोच नहीं ढालें।
 
साथियों बात अगर हम तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा वाली कहावत की करें तो, वर्तमान आधुनिक प्रौद्योगिकी डिजिटल युग में अंधविश्वासों गलतफहमियां से दूर सकारात्मक सोच रखना सफलता की कुंजी है। हम 3 या 13 के आंकड़े से डरते हैं या उससे दूर भागने की कोशिश करते हैं, अशुभ मानते हैं परंतु हम अगर तीन के सकारात्मक दृष्टिकोण और अपने मन को सकारात्मक सोच में ढालें तो सफलता की गाथाएं हमारे जीवन से जुड़ जाएगी।
 
साथियों बात अगर हम 3 पर सकारात्मक सोचकी करें तोइसके पीछे की सच्चाई यह है कि कुछ लोग हमको अंधविश्वास में विश्वास दिलाना चाहते हैं जबकि ऐसा कुछ होता ही नहीं कोई संख्या किसी काम को निर्धारित नहीं करती ना ही उसके भविष्य को, अगर हमको लगता है कि 3 लोग किसी काम को मिलकर कर रहे हैं तो वह काम गड़बड़ हो जाएगा तो यह हमारी गलतफहमी है, इसे दूर कर अंधविश्वासों से दूर रहें और सकारात्मक सोच वाले कुछ उदाहरणों को देखें। अखिल सृष्टि के देेेवता, तीनों देव ब्रह्रा, विष्‍णु और महेश की संयुक्‍त मूर्ति अधिकतर तस्‍वीरों में मिलती है। लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती भी तीन हैं ।शंंकर जी भोले बाबा का तिलक तीन रेखाओं में और त्रिशूल भी तीन शूलों से बना होता है। जब भी हम मंदिर में जाते हैं, तो तीन परिक्रमा के लिए ही कहा जाता है। पूजा के बाद आरती भी तीन बार लेकर भक्‍तजन प्रफुल्लित हो जाते हैं।पूजन करते वक्‍त मुख शुद्धि के लिए तीन बार आचमन किया जाता है और तीन ईष्‍टदेव, कुलदेव और स्‍थानदेव का ध्‍यान किया जाता है। हमारी उंगलियों की तरफ ध्‍यान से देखें तो प्रत्‍येक उंगली के पोर में तीन रेखाएं होती हैं। खेल प्रतियोगिता में भी प्रथम, द्वितीय और तृतीय विजेताओं को ही घोषित किया जाता है। जल को भी तीन भागों में भी बांटा जाता है ठोस, द्रव और गैस। समय को भी तीन कालों में बांटा गयाहै-वर्तमानकाल भूतकाल औरभविष्‍यकाल। सिगनल भी तीन होते हैं, लाल, पीला और हरा। घड़ी की सुईंया भी तीन होती हैं। हम गौर करें कि हम गाड़ी से सफर कर रहे होते हैं, वहां भी तीन स्‍लीपर बर्थ होती हैं-लोअर, मिडल औरअपर। जब दौड़ शुरू की जाती है तो उसका प्रारम्‍भ्‍ा भी तीन गिन्‍ने के बाद शुरू होता है। हमारे देश में या और अन्य देशों में भी सेनाओं को तीन भागों में बांटा गया है जल सेना, थल सेना और वायु सेना। नदियों का संगम भी तीन नदियों से ही होता है । त्रिदेव का स्मरण करके अपने ईष्‍टदेव की पूजा करते समय तीन अगरबत्ती जलाने को शुभ माना जाता है। मौसम भी तीन होते हैं-सर्दी, गर्मी और बरसात । आज भी हम स्नेह मिलन तीन बार करते हैं। पूरे विश्व में त्रिगुनात्मक शक्ति सर्वोपरी मानी जाती है। मानव जीवन में भी मुख्य तीन अवस्थायें होती हैं बाल्यकाल, यौवन अवस्था और वृद्धावस्था।
 
साथियों तीन का प्रभाव सकारात्मक व नकारात्मक दोनों ही दॄष्टि से हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है। इसलिये हमें कभी भी नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिये क्योंकि हम जैसा सोचते हैं हमारे जीवन में वैसा ही होता है । हमारा मन सबसे सशक्त व शक्तिशाली ऊर्जा का रूप है, इसमें विश्वास, आशा व सुंदर विचारोंं को रखना चाहिये।

साथियों बात अगर हम 3 पर नकारात्मक सोचकी करें तो शंकर भगवान को विनाशकारी कहा जाता है क्योंकि उनके तीन नेत्र हैं, जब किसी व्यक्ति को गलत काम करने पर डांटा जाता है तो उसे थर्ड क्लास कहा जाता है। मुस्लिम धर्म में तीन बार तलाक-तलाक-तलाक बोलने पर तलाक हो जाता है, जिसपर अभी कानून बन गया है।पुलिस थर्ड डिग्री के आधार पर अपराधी से अपराध स्वीकार करवाती है जो अत्याधिक पीड़ादायक है। शरीर में स्वास्थ्य बिगडने की सबसे बड़ी समस्या वात, पित्त और कफ मानी जाती है । किसी भी घर में गणेश जी की तीन मूर्तियां रखना शुभ नहीं माना जाता है । तृतीय श्रेणी की नौकरी को अच्छा नहीं माना जाता है इसे सम्मानित दॄष्टि से नहीं देखा जाता है। यहां लोग तीन तिगड़ा काम बिगाड़ा वाली सोच का संज्ञान लेते हैं जो एक नकारात्मक सोच है इसे बदलकर सकारात्मक सकारात्मक सोच में लाना चाहिए।
साथियों एक से दस तक के अंको में तीन अंक खास है हमारे जीवन में सम और विषम अंक दोनो ही काफी महत्‍व रखते हैं, कभी-कभी तीन अंक को लेकर सकारात्‍मक और नकारात्‍मक सोच पर अच्‍छी खासी बहस हो जाती है। जैसे तीन सदस्‍यों को एक साथ घर से शुभ्‍ा काम के लिए नहीं निकलना चाहिए। देखा जाए तो तीन अंक को काफी शुभ माना गया है। पूजन के बाद हम आचमन करते हैं, तो प‍ंंडित तीन बार हमारी अंजली में पवित्र जल प्रदान करते हैं।

विचारों की माला तो
विश्वास के फूलों से बनती है,
यदि इसमें प्रेम रस भरा हो तो
सारे जहां की खुशी मिलती है ।
अगर मन की धड़कती आवाज
सुनने की आदत हो तो
दिल की कही हर बात भली लगती है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि तीन तिगड़ा काम बिगड़ा, आओ मन को सकारात्मक सोच में ढालें, वर्तमान आधुनिक डिजिटल युग में अंधविश्वासों गलतफहमियां से दूर सकारात्मक सोच रखना सफ़लता की कुंजी है। जीवन में हम जैसा सोचते हैं वैसा हमारा मन हो जाता है जो सशक्त और शक्तिशाली ऊर्जा का रूप है, इसमें विश्वास आशा और सुंदर विचारों को रखें।


-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

About author

Kishan sanmukh

-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

تعليقات