फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफ़टीए)| Free Trade Agreement (FTA)
अर्थव्यवस्था को गति देने में मुक्त व्यापार समझौता मील का पत्थर साबित होगा
एफ़टीए समझौता करने वाले देशों की उत्पादन लागत बाकी देशों के मुकाबले सस्ती हो जाती है, जिसमें व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलती है - एडवोकेट किशन भावनानीगोंदिया - वैश्विक स्तरपर कोरोना महामारी के भीषण आघात बाद अब दुनिया धीरे-धीरे इस प्रहार से उबर रही है। और अपनी-अपनी अर्थव्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाने के लिए अनेकों प्रकार के रणनीतिक रोडमैप बनाकर उनका क्रियान्वयन कर रहे हैं। कई देश अपने विभिन्न विलंबित योजनाओं को अपडेट करके नए रूप में लागू कर रहे हैं ताकि जनहित में योजनाओं को के क्रियान्वयन कर अर्थव्यवस्था को फिर से गति प्रदान की जाए ताकि महंगाई पर काबू कर जनता को जीवन जीने की सुलभता का संयोजन दिया जाए। बड़े बुजुर्गों की कहावत है एक और एक ग्यारह, दो से भले तीन और तीन से भले 4, एक से भले दो इत्यादि अनेक कहावतें वर्तमान समय में सटीक फिट होने के नतीजे हम कई बार देख चुके हैं। वर्तमान में भी दो दिन पहले हमने मीडिया के माध्यम से जाने कि आस्ट्रेलिया की संसद ने भारत के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को पारित कर दिया है। वैसे तो भारत के अनेक देशों के साथ एफटीए है परंतु ऑस्ट्रेलिया के साथ एफटीए के नए और दूरगामी सकारात्मक परिणाम वाले लाभ प्राप्त होंगे। वहीं ब्रिटेन से भी अतिशीघ्र होने की संभावना है जिसके संकेत वहां के पीएम ऋषि सुनक ने जी-20 सम्मेलन में दे दिए थे। इसलिए हम कह सकते हैं कि प्रगति में एक से भले दो या एक और एक ग्यारह होते हैं, जिसके दूरगामी परिणाम दोनों पक्षों को सुखद भोगने और जनता को जीवन यापन सहित अनेक वस्तुएं सुलभता से अपेक्षाकृत कम कीमत पर फायदे से उपलब्ध होने में सुविधा होती है। इसलिए भारत एफटीए के पक्ष में बहुत आगे बढ़कर समझौते करने को आतुर हैं, ताकि जनहित में उपलब्धि प्रोवाइड कर सके। इसलिए आज हम मीडिया और पीआईबी में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे कि कैसे जनहित और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए एफटीए की महत्वपूर्ण भूमिका है।
साथियों बात अगर हम एफ़टीए को समझने की करें तो, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट का इस्तेमाल देशों के बीच व्यापार को सरल बनाने के लिए किया जाता है। एफटीए के तहत दो देशों के बीच आयात-निर्यात के तहत उत्पादों पर सीमा शुल्क, नियामक कानून, सब्सिडी और कोटा आदि को सरल बनाया जाता है। इसका एक बड़ा लाभ यह होता है कि जिन दो देशों के बीच में यह समझौता होता है, उनकी उत्पादन लागत, बाकी देशों के मुकाबले सस्ती हो जाती है। इससे व्यापार को बढ़ाने में मदद मिलती है और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। वस्तुओं के मामले में एफटीए पर विश्व व्यापार संगठन के नियम कहते हैं कि जब भी एफटीए में सदस्य के रूप में एक या अधिक विकसित देश शामिल हों, तो सभी सदस्य देशों को उनके बीच व्यापार किए जाने वाले सभी उत्पादों परशुल्कों और अन्य व्यापार प्रतिबंधों को समाप्त करना होगा।
साथियों इसका अर्थ है कि जब भी एक या एक से अधिक विकसित देश एफटीए के सदस्य होते हैं, तो एफटीए में आंशिक व्यापार वरीयताओं का आदान प्रदान प्रतिबंधित है। लगभग सभी ट्रेड्स को कवर किया जाना चाहिए और व्यापार बाधाओं को कम करने के बजाय समाप्त किया जाना चाहिए। एफ़टीए, प्रत्येक देश द्वारा आयात की विशाल मेजॉरिटी पर तत्काल टैरिफ कटौती और उनके अंतिम उन्मूलन का प्रावधान करता है। जब दो देश एफटीए में एंटर होते हैं तो दोनों देशों के खरीदारों को शुल्क मुक्त आयात का फायदा मिलता है। इससे उत्पादकों की लागत में कमी आती है और प्रतिस्पर्धा में सुधार होता है। उपभोक्ताओं को कम कीमतों का सीधा लाभ मिलता है। सेवाओं में एफटीए वित्तीय सेवाओं,दूरसंचार और पेशेवर सेवाओं जैसे क्षेत्रों को शामिल करता है।
साथियों अगर एफटीए सदस्य सभी विकासशील देश हों तो नियम काफी ढीले होते हैं। ऐसे में सदस्य देश व्यापार बाधाओं को पूरी तरह से समाप्त करने के बजाय केवल कम करने का विकल्प चुन सकते हैं और अपनी पसंद के अनुसार कम या अधिक उत्पादों पर कटौती लागू कर सकते हैं। भारत-जापान एफटीए को छोड़ दें तो भारत के सभी एफटीए अन्य विकासशील देशों (2005 में सिंगापुर, 2010 में दक्षिण कोरिया, 2010 में आसियान, 2011 में मलेशिया और 2022 में यूएई) के साथ हैं। नतीजतन उन सभी में आंशिक व्यापार प्राथमिकताएं शामिल हैं, जिसमें उत्पादों का एक बड़ा हिस्सा उदारीकरण से पूरी तरह से बाहर रखा गया है। भारत के और भी अनेक समझौते हैं जैसे क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी आरईसीपी, सीईसीपीए, एसएएफटीए, एपीटीए इत्यादि।
साथियों बात अगर हम आस्ट्रेलिया के साथ एफ़टीए ही करें तो, 2 अप्रैल को भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह दोनों देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं दोनों में एक मुक्त व्यापार समझौता स्थापित करता है। भारत एवं ऑस्ट्रेलिया के बीच 20 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार है। इस समझौते के बाद इसके कई गुना बढ़ने की उम्मीद है। इससे दोनों ही देशों के लिए कई नए क्षेत्र खुलेंगे।ऑस्ट्रेलिया पहला महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है जिसके साथ भारत ने वास्तविक मुक्त व्यापार संबंध स्थापित किया है। वर्तमान द्विपक्षीय व्यापार संतुलन, व्यापक अंतर से ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में है। भारत व ऑस्ट्रेलिया के बीच एफटीए के पूरी तरह से लागू होने के बाद ऑस्ट्रेलिया को भारत का 96 फीसदी निर्यात और भारत को ऑस्ट्रेलिया का 85 फ़ीसदी निर्यात ड्यूटी फ्री स्टेटस प्राप्त कर लेगा।
साथियों ऑस्ट्रेलिया से भारत को अब तक सबसे ज्यादा निर्यात होने वाले आइटम्स मोती, सोना, तांबा अयस्क, एल्यूमीनियम, शराब, फल और मेवे, कपास, ऊन और कोयला है। वहीं भारत से ऑस्ट्रेलिया में प्रमुख रूप से पेट्रोलियम उत्पाद,फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण, विद्युत मशीनरी, लोहे और स्टील से बने आर्टिकल्स, वस्त्र और परिधान जाते हैं। भारत के 6,000 से अधिक उत्पादों को ऑस्ट्रेलिया में जल्द बाजार मिलेगा। ऑस्ट्रेलियाई संसद ने मंगलवार को भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मंजूरी दे दी। अब दोनों देश आपसी सहमति से फैसला करेंगे कि यह समझौता किस तारीख से लागू होगा। ऑस्ट्रेलिया के पीएम ने एक ट्वीट में यह जानकारी दी।
साथियों बात अगर हम केंद्रीय वाणिज्य मंत्री के भारत ऑस्ट्रेलिया के ऐतिहासिक एफ़टीए पर संवाददाता सम्मेलन में संबोधन की करें तो, उन्होंने कहाकि ऐतिहासिक भारत ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग एवं व्यापार समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया द्वारा 100 प्रतिशत टैरिफ लाइनों पर शुल्क समाप्त किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि ईसीटीए अर्थव्यवस्था के कई सेक्टरों को, विशेष रूप से कपड़ा, रत्न एवं आभूषण तथा फार्मास्यूटिकल्स को अत्यधिक बढ़ावा देगा। उल्लेखनीय है कि ईसीटीए के परिणामस्वरूप 10 लाख से अधिक रोजगारों के सृजन की उम्मीद है।
-संकलनकर्ता लेखक - कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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